लोकसभा चुनाव 2019: आणंद लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: गुजरात की आणंद लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के दिलीप भाई पटेल है। उन्होंने साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी के बेटे भरत सिंह सोलंकी को 63, 426 वोटों से पराजित किया था। दिलीप भाई पटेल को यहां पर 490, 829 वोट मिले थे तो वहीं भरत सिंह सोलंकी को 427, 403 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। सोलंकी का हारना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका था क्योंकि इससे पहले दो बार वो ही इस सीट पर सांसद थे।
आणंद लोकसभा सीट का इतिहास
आणंद लोकसभा सीट संसदीय क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद इस सीट पर सबसे पहला आम चुनाव 1957 में हुआ था, जिसे कि कांग्रेस ने जीता था और तब से लेकर साल 1984 तक कांग्रेस का यहां छत्र राज रहा। साल 1989 में यहां पहली बार भाजपा ने जीत दर्ज की, हालांकि 1991 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस की वापसी हुई और 1996 और 1998 का चुनाव भी उसी ने यहां जीता और ईस्वरभाई चावड़ा यहां से लगातार तीन बार जीतकर लोकसभा पहुंचे। साल 1999 का चुनाव यहां पर भाजपा ने जीता और दिलीप भाई पटेल यहां से सांसद चुने गए लेकिन साल 2004 और 2009 में ये सीट कांग्रेस के ही कब्जे में ही रही और भरत सिंह सोलंकी यहां से सांसद चुने गए लेकिन साल 2014 के चुनाव में उन्हें बीजेपी नेता दिलीप भाई पटेल से शिकस्त झेलनी पड़ी और दिलीप पटेल को दूसरी बार यहां से सांसद होने का गौरव हासिल हुआ।
दिलीप भाई पटेल का लोकसभा में प्रदर्शन
दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान सांसद दिलीप भाई पटेल की लोकसभा में उपस्थिति 69 प्रतिशत रही है और इस दौरान उन्होंने एक भी डिबेट में हिस्सा नहीं लिया और 228 प्रश्न पूछे हैं। साल 2014 के चुनाव में यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 14,96,859 थी, जिसमें से मात्र 9,70,894 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग यहां पर किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 5,41,176 और महिलाओं की संख्या 4,29,718 थी।
आणंद , एक परिचय-प्रमुख बातें-
गुजरात का आनंदपुर शहर आज 'आणंद' के नाम से जाना जाता है, किंवदंती के अनुसार आनंदपुर सारस्वत ब्राह्मणों का मूल स्थान है, कहा यह भी जाता है कि आनंदपुर मालवा राज्य के अधीन था, इसका दूसरा नाम 'वरनगर' भी था। ऋग्वेद प्रातिशाख्य के रचयिता 'उव्वट' ने अपने ग्रन्थ के प्रत्येक अध्याय के अंत में 'इति आनन्दपुर वास्तव्यं' लिखा है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि उन्होंने ऋग्वेद प्रातिशाख्य इसी स्थान पर लिखा था, आपको यह भी बता दें कि नागर ब्राह्मण 'वरनगर' के निवासी होने की वजह से ही 'नागर' कहलाते हैं, बहुत सारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों को अपने आंचल में समेटे इस शहर की आबादी 20,92,745 है, जिसमें से 69.66% लोग गांवों में और 30.34% लोग शहरों में निवास करते हैं, यहां 4.99% लोग एससी वर्ग के और 1.19% लोग एसटी वर्ग के हैं।
आणंद लोकसभा सीट कांग्रेस की सेफ सीटों में से एक मानी जाती रही है लेकिन साल 2014 के मोदी लहर में यह सीट भाजपा के खाते में चली गई, लेकिन तब और आज के सियासी हालात में अंतर है, गुजरात विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के अच्छे प्रदर्शन से कांग्रेस के अंदर आत्मविश्वास की वृद्धि हुई है और इसी वजह से वो यहां अपनी हार का बदला लेने की पूरी कोशिश करेगी तो वहीं इसमें कोई शक नहीं कि इस सीट पर अपने प्रभु्त्व को बचाए रखने का दवाब भाजपा पर भी जबरदस्त होगा। देखते हैं कि यहां की जनता इस बार अपना आशीर्वाद किसे देती है क्योंकि इस सीट का सिंकदर तो वही होगा, जिसे जनता का साथ मिलेगा।