Made in Amethi:राहुल गांधी का ये 'सपना' जल्द पूरा करने वाली है मोदी सरकार
नई दिल्ली- कांग्रेस नेता राहुल गांधी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनाव से पहले देश के छोटे-छोटे शहरों में बड़े-बड़े उद्योगों (खासकर मोबाइल फैक्ट्रियों) को बढ़ावा देने की जोर-शोर से वकालत कर चुके हैं। उनका 'मेड इन..फलां-फलां' वाला बयान खूब चर्चित भी हो चुका है। अब मोदी सरकार देश के फौजियों को वजनदार राइफलों से मुक्ति दिलाने के लिए जो प्रयास कर रही है, उसका नतीजा जल्दी ही दिखाई भी देने वाला है। खास बात ये है कि रक्षा मंत्रालय की पहल से आने वाले वर्षों में 'मेड इन अमेठी' का खूब नाम होने वाला है। दरअसल, अमेठी की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री अत्याधुनिक राइफल के निर्माण के लिए तैयार हो चुकी है और जल्द ही यहां पर उत्पादन शुरू होने वाला है। डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत इस फैक्ट्री से 2022 तक करीब 7 लाख अत्याधुनिक असॉल्ट राइफलों का उत्पादन होने वाला है।
अमेठी में एके 203 राइफलों का उत्पाद जल्द होगा शुरू
राहुल गांधी की कर्मस्थली रही अमेठी की कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में जल्द ही कलाश्निकोव राइफलों का उत्पादन शुरू होने जा रहा है। यहां पहले चरण में 6.7 लाख एके 203 असॉल्ट राइफलें तैयार होंगी। रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए 700 करोड़ रुपये का इंतजाम किया है। एके 203 सीरीज की ऑटोमेटिक राइफलों के कलपुर्जों के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक आसपास के उद्योगपतियों ने भी इसके लिए टेंडर भरे हैं। उम्मीद है कि 2022 तक यह अत्याधुनिक लेकिन वजन में हल्की (3 किलोग्राम) राइफल बनकर तैयार होगी और जल्द ही भारतीय फौजियों को भारी इंसास असॉल्ट राइफलों (4.10 किलोग्राम) से छुटकारा मिल सकेगा। जानकारी के मुताबिक इस राइफल के निर्माण के लिए रूस भारत को अपनी पूरी तकनीक ट्रांसफर करेगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी शुरू से छोटे-छोटे शहरों में बड़ी-बड़ी चीजों के उत्पादन पर जोर देते आए हैं, उस हिसाब से जब अमेठी की फैक्ट्री से पहला राइफल बनकर निकलेगा तो उनके लिए यह सरकार का बहुत बड़ा तोहफा होगा।
कलपुर्जे भी भारत में ही बन रहे हैं
करार के तहत रूस से पूर्ण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए पहले एक लाख राइफल तैयार होने के बाद इसमें इस्तेमाल होने वाले सभी कलपुर्जे भारत में ही बनाए जाने हैं। मसलन, इस राइफल के लिए अलीगढ़ में मैग्जीन, हैमर 5.56, ऑटोमेटिक फिक्चर्स, स्प्रिंग बार, पुलिंग चक, गाइड क्लोजिंग कप, स्प्रिंग हैमर, लीवर कैच, मैग्जीन बॉडी हाउजिंग लोअर और अपर, पिन लीवर, कैच मैग्जीन, टिगर पार्ट्स का निर्माण होगा। इसके लिए भारत सरकार ने घरेलू कंपनी से ही करार किया है, जिन्हें पहली खेप में 6,000 राइफलों के लिए कलपुर्जे तैयार कराकर देने हैं। कारबाइन का निर्माण कानपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री और केरल की तिरुचिरापल्ली ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में शुरू कर दिया गया है।
इसी साल मार्च में पीएम मोदी ने किया था उद्घाटन
गौरतलब है कि मार्च 2018 में रक्षा मंत्रलय के जरिए भारतीय कंपनी कैलाश और रूसी कंपनी निकोव के बीच भारत में कलाश्निकोव के निर्माण के लिए करार हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेठी में कलाश्निकोव राइफल फैक्ट्री का उद्घाटन इसी साल 3 मार्च को किया था। पहले चरण में सेना के लिए 6.7 लाख राइफल के निर्माण के बाद इसकी संख्या जरूरत के हिसाब से कम से कम 7.5 लाख तक किए जाने की संभावना है, जो कि दूसरे सुरक्षा बलो को उपलब्ध करवाए जाएंगे। सबसे खास बात ये है कि एके 203 राइफल हल्की जरूर हैं, लेकिन इनकी मारक क्षमता 600 मीटर की होगी और ये एक मिनट में 600 राउंड गोलियां दाग सकेंगी। उम्मीद है कि भारत में इसके उत्पादन पर प्रति राइफल करीब 1,000 डॉलक की लागत आएगी।
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