प्रियंका की एंट्री ने बदले यूपी के सियासी समीकरण, अब ये कदम उठा सकती हैं मायावती
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रियंका गांधी की एंट्री के बाद राज्य के सियासी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। लोकसभा चुनावों से पहले यूपी में सपा और बसपा ने आपस में गठबंधन कर कांग्रेस को साइड लाइन कर दिया था। जिसके बाद राहुल गांधी के मास्टर स्ट्रोक ने अब राजनीतिक दलों को चिंता में डाल दिया है। यूपी में प्रियंका के आने के बाद सपा-बसपा गठबंधन और बीजेपी अपनी चुनावी रणनीति बदलने की योजना बना रहे हैं। राजनीतिक विषलेश्कों की मानें तो प्रियंका की एंट्री से सबसे अधिक भयभीत सपा औऱ बसपा गठबंधन अपनी चुनावी रणनीति पर फिर विचार कर रहे हैं। अब तक माना जा रहा था कि, मायावती चुनाव लड़ सकती हैं लेकिन अब वह अपने इरादों को बदलती दिख रही है।
प्रियंका की एंट्री के बाद मुस्लिम मतदातओं का रुख
बसपा सूत्रों के मुताबिक ऐसी खबरें आ रही है कि, प्रियंका गांधी के चुनावों में शामिल होने के बाद मायावती लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकती है। वहीं मुस्लिम वोटरों के रुख को देखते हुए गठबंधन एक बार फिर से लोकसभा टिकटों को लेकर नई रणनीति बना रहा है। गठबंधन के ऐलान के बाद ऐसा माना जा रहा था कि, मायावती के बिजनौर के नगीना सीट से चुनाव लड़ सकती हैं, लेकिन अब इस सीट से गिरीश चंद्र जाटव के चुनाव लड़ने की खबरें सामने आ रही हैं।
टिकट वितरणों पर फिर मंथन कर रही है बीएसपी
इसके अलावा ऐसे भी कयास लगाए जा रहे थे कि, मायावती अम्बेडकरनगर से भी चुनाव लड़ सकती हैं लेकिन यहां पर पार्टी रमेश पांडेय को मैदान में उतारने की योजना बना रही है। गठबंधन की घोषणा के बाद बसपा ने करीब दो दर्जन प्रभारियों के नामों का ऐलान कर दिया है। दरअसल बसपा में किसी जिले का प्रभारी ही प्रत्याशी होता है। लेकिन अब राज्य की बदले सियासी समीकरणों के चलते बसपा नई रणनीति पर मंथन कर रही है। माना जा रहा है कि पार्टी कुछ सीटों पर प्रत्याशी बदल सकती है।
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पार्टी टिकट देने में पहले देख रही हैं इन चीजों को
सूत्रों के मुताबिक शुरुआत में बसपा ने हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की संभावनाओं के चलते मुस्लिमों को अधिक टिकट देने मूड में नहीं थी, लेकिन प्रियंका गांधी की एंट्री के बाद राज्य के मुस्लिम मतदातों को रुख में बदलाव देखने को मिला है। जिसके बाद पार्टी अब नई रणनीति के तहत टिकटों में मुस्लिम उम्मीदवारों को अधिक टिकट देने की योजना बना रही है। अब पार्टी टिकट देने में आर्थिक स्थिति, लोकसभा क्षेत्र में मौजूदगी जैसे कई पहलुओं पर भी ध्यान दे रही है। इसके साथ ही पार्टी पूर्व सांसद, विधायक और बसपा सरकार में मंत्री रहे नेताओं के नाम पर विचार कर रही हैं।
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