मानहानि का केस रद्द कराने के लिए प्रिया रमानी ने कोर्ट में दायर की याचिका, एमजे अकबर ने लगाए थे आरोप
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा मानहानि के मामने में दोषी करार दी गईं जर्नलिस्ट प्रया रमानी ने कोर्ट में खुदपर से आरोप हटाने के लिए याचिका दायर की है। दरअसल मीटू अभियान के तहत रमानी ने एमजे अकबर पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इसके बाद अकबर ने रमानी पर मानहानी का केस कर दिया था। बीते 25 फरवरी को रमानी को 10,000 के जुर्माने के साथ जमानत दी गई थी। साथ ही उन्हें बुधवार को कोर्ट में पेश होने को कहा गया था। रमानी ने कहा कि अगली बार जब 10 अप्रैल को कोर्ट मेरे खिलाफ चार्ज फ्रेम करेगा। इसका बाद पूरी कहानी सुनाने की बारी मेरी होगी। मेरा बचाव मेरी सच्चाई होगी। रमानी की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने एमजे अकबर के न पहुंचने पर सवाल उठाए।
एमजे अकबर ने कोर्ट में कहा था कि रमानी द्वारा लगाए गए झूठे आरोपों से समाज में मान सम्मान को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा 40 साल में कमाई गई इज्जत को प्रिया के आरोपों ने धुमिल कर दिया है। उन्होंने का कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छपे लेखों में प्रिया के ट्वीट छापे गए। इससे मानहानी साबित होती है। गौरतलब है किपूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर कई महिला पत्रकारों ने मीटू कैंपेन के तहत यौन शोषण का आरोप लगाया था। हालांकि अकबर ने सभी आरोपों को झूठा करार दिया था लेकिन इस सब विवाद में फंसने के चलते उन्हें साल 2018 के अक्टूबर में राज्यमंत्रीके पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
1989 लोकसभा चुनाव से पहले एमजे अकबर ने जर्नलिज्म छोड़कर राजनीति में आने का फैसला लिया था। अकबर ने बिहार के किशनगंज से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, जो वह जीत भी गए थे। राजीव गांधी के प्रवक्ता थे, लेकिन उस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। हालांकि, एमजे अकबर की स्थिति पार्टी में मजबूत थी। राजीव गांधी से उनकी करीबी थी, इसलिए एमजे अकबर का रुतबा कायम रहा। 1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गई। राजीव गांधी के बाद अकबर राजनीति में असहज महसूस करने लगे और 1992 में कांग्रेस पार्टी छोड़कर वापस पत्रकारिता में लौटे। 2014 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली।
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