Privatization: रेलवे निजीकरण की सांकेतिक घोषणा आम बजट में कर चुकी है सरकार!
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बेंगलरू। राजधानी दिल्ली से लखनऊ और लखनऊ से दिल्ली के बीच चलाई जा रही तेजस एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन निजी कंपनी आईआरसीटीसी के हवाले करने के बाद रेलवे बोर्ड अब 150 पैसेंजर ट्रेनों को निजी संचालकों की सौंपने की तैयारी रही है। रेलवे बोर्ड द्वारा पैसेंजर ट्रेनों को निजी संचालकों के हाथों में सौंपने के प्रयास को रेलवे के निजीकरण की कवायद के रूप देखा जा रहा है।
लेकिन रेलवे के निजीकरण पर हाय तौबा मचाने से पहले यह जानना जरूरी है कि केंद्र सरकार ने आम बजट में रेलवे के निजीकरण को लेकर पहले ही संकेत दे चुकी थी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आम बजट 2019-20 के दौरान रेलवे मे पीपीपी के तहत विनिवेश करने की घोषणा की थी, जिसके तहत वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार ने कुल एक लाख करोड़ रुपए विनिवेश के माध्यम से उगाहने का लक्ष्य रखा था।
रेलवे मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित विनिवेश लक्ष्य के तहत ही निजी संचालक आईआरसीटीसी को तेजस एक्सप्रेस के संचालन का जिम्मा सौंपा गया। रेल मंत्रालय विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए रेलवे में सुविधा बढ़ाने के नाम पर अगले 12 साल में 50 लाख करोड़ निवेश जुटाने का लक्ष्य तैयार किया है, जिसके जरिए रेलवे का बुनियादी विकास के जरिए अच्छी सेवा, सुरक्षा, हाई स्पीड ट्रेन जैसी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
दरअसल, भारत सरकार के विनिवेश लक्ष्य के अगले चरण के तहत अब 150 पैसेंजर ट्रेनों और 50 रेलवे स्टेशनों को निजी संचालकों के हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है। इसी संबंध में हाल ही में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव को एक पत्र लिखा है। रेलवे बोर्ड को लिखे पत्र में नीति आयोग ने रेलवे बोर्ड को 150 पैसेंजर ट्रेनों को निजी ट्रेन ऑपरेटरों को सौंपने की तैयारी करने को कहा है।
देश के 50 रेलवे स्टेशनों को निजी ऑपरेटरों के हवाले करने के बारें चर्चा करते हुए नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बताया कि फैसले को लेकर रेल मंत्री से विस्तार से बातचीत हो चुकी है, जिसे वरीयता के आधार पर लागू किया जाना है। उनके मुताबिक रेलवे स्टेशनों और पैसेंजर ट्रेनों को निजी ऑपरेटर्स को सौंपने के प्रोजेक्ट के प्रभावी कार्यान्वन के लिए सदस्यों, इंजीनियरिंग रेलवे बोर्ड और सदस्य ट्रैफिक रेलवे बोऱ् को एक समूह में शामिल किया जाएगा।
गौरलतब है प्रोजेक्ट पर अमल के लिए सचिव स्तर के एम्पावर्ड ग्रुप को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए बनाए गए एम्पावर्ड ग्रुप में नीति आयोग के सीईओ, रेलवे बोर्ड चेयरमैन, इकॉनोमिक अफेयर डिपार्टमेंट के सचिव, मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अरबन अफेयर के सचिव के साथ रेलवे बोर्ड के सदस्य इंजीनियरिंग और रेलवे बोर्ड सदस्य ट्रैफिक को भी शामिल किया गया है।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के मुताबिक देश के 400 स्टेशनों को विश्व स्तरीय सुविधाओं वाला बनाया जाना था, लेकिन कई साल से चल रहे इस प्रोजेक्ट में कुछ खास उपलब्धि नहीं मिली। महज कुछ स्टेशन ईपीसी मोड पर हाथ में लिए गए। ऐसे में अब 50 स्टेशनों का चयन कर उन्हें प्राथमिकता में लाया जाएगा। इसके लिए 6 एयरपोर्ट के निजीकरण करने का जो अनुभव रहा है, उसी तर्ज पर एम्पावर्ड ग्रुप काम करेगा।
तेजस एक्सप्रेस के बाद 150 पैसेंजर ट्रेन और 50 स्टेशन को निजी ऑपरेटर्स को सौंपने की कवायद से रेलवे कर्मचारी हलकान है। तेजस एक्सप्रेस को निजी संचालक आईआरसीटीसी को सौंपने का विरोध पूरे देश में करने वाले ऑल इंडिया रेलवेमैंस फेडरेशन का कहना है कि रेलवे का सबकुछ निजी हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है।
सरकार द्वारा रेलवे के निजीकरण के प्रयासों को रोकने के लिए उनके पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं है। संभव है कि पैसेंजर ट्रेनों को निजी ऑपरेटर्स को सौंपने के आधिकारिक पुष्टि के बाद ऑल इंडिया रेलवमैंस फेडरेशन राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने की घोषणा कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है आम बजट में रेलवे में सार्वजनिक निजी साझेदारी, निगमीकरण और विनिवेश पर जोर दिया गया था, जो निजीकरण पर ले जाने का रास्ता है। हालांकि कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने रेलवे के निजीकरण की आंशका के चलते सरकार को घेरने का प्रयास किया था और सरकार को बड़े वादे करने की बजाय रेलवे की वित्तीय स्थिति सुधारने के साथ-साथ रेलवे में सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चिति करने की सलाह दी थी।
लोकसभा में रेलवे की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने तब निजीकरण के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि है कि रेलवे की माली हालत सुधारने और इसे विश्वस्तरीय बनाने के लिए सरकार सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) और निगमीकरण की राह पर चलेगी।
कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार कांग्रेस की तरह सपने दिखाने नहीं इरादे लेकर आई है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने तब आरोप लगाया था कि सरकार रायबरेली कोच फैक्टरी सहित सात रेल उत्पादन इकाइयों का भी निगमीकरण कर सकती है।
दुनिया की सबसे बड़ी रेल सेवाओं में से एक भारतीय रेलवे 1853 में अपनी स्थापना के समय से सरकार के हाथों में रही है, लेकिन रेल मंत्रालय विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए रेलवे में सुविधा बढ़ाने के नाम पर अगले 12 साल में 50 लाख करोड़ निवेश जुटाने का लक्ष्य तैयार किया है, जिसके जरिए रेलवे का बुनियादी विकास के जरिए अच्छी सेवा, सुरक्षा, हाई स्पीड ट्रेन जैसी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल एक लाख करोड़ रुपए विनिवेश के माध्यम से उगाहने का लक्ष्य रखा है।
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