पृथ्वीराज चव्हाण ने शिवसेना के दावों को झुठलाया- '2014 में पार्टी नेताओं ने कांग्रेस से संपर्क किया था.......'
नई दिल्ली- महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण अपने उस बयान पर कायम हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2014 में भी शिवसेना के नेताओं ने सरकार बनाने के लिए उनसे संपर्क किया था। हालांकि, उन्होंने कहा है कि वह उन शिवसेना नेताओं के नाम का खुलासा नहीं करेंगे जिन्होंने इसके लिए कांग्रेस से संपर्क साधा था। गौरतलब है कि इससे पहले शिवसेना ने चव्हाण के इस तरह के दावों को सिरे से नकार दिया था। पार्टी ने दलील दी थी कि चव्वाण की बातों का कोई लॉजिक ही नहीं है। लेकिन, अब जब पृथ्वीराज चव्हाण अपने बयान पर कायम हैं तो बीजेपी को महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सरकार और खासकर अपनी पुरानी सहयोगी को घेरने का एक और मौका मिल गया है।
मैं अपने बयान पर कायम हूं- चव्हाण
2014 में भी बीजेपी के खिलाफ शिवसेना के कांग्रेस से संपर्क करने के दावों को भले ही शिवसेना ने नकारने की कोशिश की हो। लेकिन, महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण अपने दावों पर कायम हैं। चव्हाण ने शिवसेना की ओर से आए खंडन के बाद अपने बयान पर कायम रहते हुए फिर से दावा किया है कि 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने कांग्रेस से संपर्क किया था, हालांकि उन्होंने इसके विस्तार में जाने से मना कर दिया है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक कांग्रेसी नेता ने कहा है कि 'मैं उन नेताओं के नाम का खुलासा नहीं करूंगा, जिन्होंने हमसे संपर्क किया था। अगर मैं ऐसा करता हूं तो यह उनका (शिवसेना) भरोसा तोड़ने जैसा होगा, जो उन्होंने मुझमें दिखाया था।' उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि वे शिवसेना को गलत साबित नहीं करना चाहते, लेकिन 'मैं अपने बयान पर कायम हूं.......'
शिवसेना ने पहले चव्हाण के दावों का खंडन किया था
चव्हाण ने ये प्रतिक्रिया तब दी है जब बुधवार को शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में एक इंटरव्यू में किए गए चव्हाण के दावे को बकवास करार दिया था। 'सामना' में उनके दावों को नकारते हुए कहा गया है, 'पृथ्वीराज चव्हाण जो कह रहे हैं उसमें कोई लॉजिक नहीं है...' हालांकि, इसके संपादक और शिवसेना के नेता संजय राउत ने पहले चव्हाण के दावों पर कुछ भी कहने से ये कहकर मना कर दिया था कि वह एक और विवाद खड़ा नहीं करना चाहते। अखबार में चव्हाण के दावों को नकारते हुए ये भी लिखागया है कि, 'इस दावे को मुंबई की हल्की ठंडी हवाओं में भाप की तरह उड़ा जाना चाहिए। शिवसेना और एनसीपी ने इन दावों को गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन, बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना की ये कहकर आलोचना की है कि चव्हाण ने पार्टी का पर्दाफाश कर दिया है।'
चव्हाण के दावे नकारने के लिए ये तर्क दिया था
चव्हाण के दावों को नकारते हुए 'सामना' में ये भी दलील दी गई है कि दावों के मुताबिक अगर 2014 में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी एक साथ आते भी तो बहुमत का इंतजाम करना संभव नहीं था। संपादकीय के मुताबिक, 'अगर कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना 2014 में साथ आने की कोशिश करते तो भी आंकड़े (बहुमत के लिए) जुटाना संभव नहीं था। यह करीब 149 के आसपास होता जो कि खतरनाक था। अगर मामूली बहुमत होता और बीजेपी जो कि दल-बदल में एक्सपर्ट है, वह अपना हथकंडा अपनाना शुरू कर देती।'
कांग्रेस-शिवसेना में तकरार जारी
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में जब से उद्धव ठाकरे की नेतृत्व में महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सरकार बनी है, आए दिन कांग्रेस और शिवसेना के बीच विवादित बयानों की वजह से गठबंधन की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। पृथ्वीराज चव्हाण के खुलासे के बीच कांग्रेस कोटे के मंत्री अशोक चव्हाण ने भी यह कबूल कर विपक्षी बीजेपी के हाथ में हथियार थमा दिया है कि कांग्रेस मुसलमानों से सहमति लेने के बाद ही शिवसेना के साथ सरकार बनाने को राजी हुई। उससे पहले संजय राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मुलाकातों का दावा करके गठबंधन में तनाव की स्थिति पैदा कर दी थी। जबकि, वीर सावरकर दोनों पार्टियों के बीच गतिरोध का एक मुद्दा बने ही हुए हैं।
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