कोरोना वायरस: जानिए कितने में बिकती है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट, देश में कहां-कहां होता है इसका उत्पादन
नई दिल्ली। पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी से जूझ रही है। अभी तक इस वायरस से बचाव के लिए कोई निश्चित दवा नहीं बनी है। लेकिन बावजूद इसके दुनिया के कई देश भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) दवाई की मांग कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत से इस दवाई की मांग दुनिया के करीब 30 देशों ने की, जिसमें अमेरिका भी शामिल है। भारत इस दवाई का सबसे बड़ा निर्यातक देश है, लेकिन मांग बढ़ने के बीच सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में सरकार ने ये भी कहा कि वह उन देशों को दवाई की उपलब्धता कराएगी, जिनकी निर्भरता भारत पर है।
दवाई की कीमत क्या है?
ऐसे में इस दवाई की कीमत और ये कहां बनाई जाती है, इस बारे में जानते हैं। दवाई की बढ़ती मांग को देखते हुए इसका उत्पादन कई गुना बढ़ा दिया गया है। उत्पादन के दौरान अन्य देशों की मांग के साथ-साथ भारत में कितनी दवाई की जरूरत है, इस बात का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। भारत में दवाई की कीमत 3 रुपये प्रति टैबलेट से भी कम है। ऐसा माना जा रहा है कि यहां टैबलेट की मांग 10 करोड़ रहने की संभावना है। भारत सरकार ने देश में दवाई की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख घरेलू निर्माता कंपनियों जायडस कैडिला (Zydus Cadila) और आईपीसीए (Ipca) को पहले ही ऑर्डर दे दिया है।
कौन सी कंपनियां करती हैं उत्पादन?
इन दो कंपनियों के अलावा भारत में इस दवाई का उत्पादन इंटास फार्मास्युटिकल्स (Intas Pharmaceuticals), एमसीडब्ल्यू हेल्थकेयर ऑफ इंदौर (McW Healthcare of Indore), मैक्लीओड्स फार्माक्यूटिकल्स ( Macleods Pharmaceuticals), सिप्ला (Cipla) और ल्यूपिन लिमिटेड (Lupin) करती हैं। इसके अलावा दवाई बनाने के लिए एपीआई (एक्टिव फार्माक्यूटिकल्स इंग्रेडिएंट्स) की सप्लाई का काम, एबोट इंडिया (Abbott India), रुसान फार्मा (Rusan Pharma), मंगलम ड्रग्स (Mangalam Drugs), यूनीकैम रेमेडीस (Unichem Remedies) लॉरस लैब्स (Laurus Labs), विजयश्री ऑर्गेनिक्स (Vijayasri Organics) आदि कंपनियां करती हैं।
कंपनियों ने उत्पादन कई गुना बढ़ाया?
भारत की ये कंपनियां महीने के अंत तक इस दवाई का उत्पादन चार गुना अधिक यानी 40 मेट्रिक टन कर लेंगी। अगले महीने तक पांच से छह गुना अधिक यानी 70 मेट्रिक टन तक का उत्पादन हो जाएगा। दवाई का उत्पादन बढ़ाने की योजना उस वक्त बनाई गई, जब सरकार ने कहा कि वह कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए अन्य देशों की मदद करेगी। भारतीय दवा कंपनियां दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में उत्पादन का 80-85 प्रतिशत हिस्सा निर्यात करती हैं, क्योंकि वैश्विक फार्मा कंपनियों ने मांग की कमी के कारण कम लागत वाली इस दवाई के उत्पादन को बड़े पैमाने पर रोक दिया था।
क्या है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाई?
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन एंटी मलेरिया ड्रग क्लोरोक्वीन से अलग दवा है। इस दवा को मलेरिया के उपचार में तो इस्तेमाल कर ही सकते हैं, साथ ही इसका इस्तेमाल आर्थराइटिस में भी होता है। बीते दिनों भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोरोना वायरस के उपचार के लिए इसी दवाई के उपयोग का सुझाव दिया था। इसके बाद इस दवाई पर अचानक सभी का ध्यान गया। परिषद ने ये भी कहा कि दवाई का इस्तेमाल संक्रमित और संदिग्ध दोनों ही परिस्थितियों में किया जा सकता है। इसके साथ ही अमेरिका सहित कई अन्य देशों में भी मरीजों पर इस दवाई का इस्तेमाल हुआ और सकारात्मक परिणाम देखे गए। जिसके बाद से ही इसकी मांग बढ़ गई है। हालांकि इस दवा का इस्तेमाल केवल डॉक्टर के कहने पर ही किया जा सकता है। इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी भी दी थी।