जब संघ प्रमुख ने इंदिरा गांधी की तारीफ में पढ़े थे कसीदे
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नागपुर पहुंच चुके हैं। प्रणब दा गुरुवार शाम को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा करेंगे और करीब आधार घंटा भाषण देंगे। दूसरी ओर आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति कांग्रेस को रास नहीं आ रही है। यहां तक कि प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी पिताजी को सलाह दे डाली है। शर्मिष्ठा ने कहा कि संघ मुख्यालय में उनका संबोधन भुला दिया जाएगा, लेकिन इससे जुड़ीं तस्वीरें बनी रहेंगी। संघ का न्योता स्वीकार कर पूर्व राष्ट्रपति ने भाजपा और संघ को झूठी कहानियां गढ़ने का मौका दे दिया है। कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में एक अहमद पटेल ने भी प्रणब दा से नाराजगी जाहिर की। प्रणब दा का विरोध सिर्फ कांग्रेस तक सीमित नहीं है बल्कि आरएसएस के विचार से असहमत कमोबेश हर व्यक्ति प्रणब मुखर्जी को 'अपराध बोध' से देख रहा है। लोग भूल रहे हैं कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया और आजीवन प्रतिबंध लगाने के पक्षधर थे, लेकिन चीन के साथ युद्ध के दौरान आरएसएस के कार्यों की उन्होंने तारीफ की थी। सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि संघ प्रमुख केएस सुदर्शन ने कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की खुलकर तारीफ की थी। सुदर्शन ने इंदिरा गांधी की तारीफ में किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस, रैली या सेमिनार में नहीं बल्कि स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए पढ़े थे। ऐसे में संघ के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति पर इतना कहर बरपाना क्या जायज है? आइए डालते हैं इसी पर रोशनी डालते, इंदिरा, नेहरू से जुड़े किस्सों पर एक नजर:
संघ प्रमुख ने गोमती के तट पर पढ़े थे इंदिरा की शान में कसीदे
साल 2013 था जब संघ की कमान केएस सुदर्शन के हाथों में थी। उस समय केंद्र की सत्ता कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के पास थी। इसी दौरान संघ प्रमुख केएस सुदर्शन लखनऊ पहुंचे। गोतमी नदी के तट पर 'संघ शिक्षक वर्ग' को संबोधित करते हुए सुदर्शन ने कहा, 'साहस और दृढ़ता के साथ इंदिरा गांधी ने 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग करने में सफलता पाई। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के भारत में जो नेतृत्व आया, उसके पास कश्मीर समस्या हल करने के लिए इच्छाशक्ति नहीं दिखी। हालांकि, इसी कार्यक्रम में सुदर्शन ने नेहरू की कड़ी आलोचना की थी, लेकिन इंदिरा गांधी के जज्बे को खुलकर सलाम किया था।
जब नेहरू ने संघ के कार्यों पर जताई थी खुशी, खुलकर की थी सराहना
महात्मा गांधी की हत्या के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू संघ से बेहद नाराज थे। 1948 में संघ पर पहली बार प्रतिबंध भी लगाया गया था। ऐसा लंबा दौर चला जब नेहरू को संघ फूटी आंख नहीं सुहाता था, लेकिन 1962 में चीन के खिलाफ चले युद्ध के दौरान आरएसएस के कार्यों से नेहरू प्रभावित हुए। यहां तक कि 1963 की परेड में नेहरू ने संघ को गणतंत्र दिवस परेड का निमंत्रण भी भेजा था। 1977 में आरएसएस ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को विवेकानंद रॉक मैमोरियल का उद्घाटन करने के लिए बुलाया था। इंदिरा गांधी उस समय के वरिष्ठ आरएसएस नेता एकनाथ रानाडे ने न्योता भेजा था।
जब गुरु गोलवलकर से मिले महात्मा गांधी
महात्मा गांधी संघ के हिंदुत्व से सहमत नहीं थे। लेकिन इसके बाद भी वह सरसंघचालक गुरु गोलवलकर से मिले। महात्मा गांधी ने इस दौरान उन्हें यह भी समझाने की कोशिश का प्रयास किया कि आखिर कहां चूक हो रही है। बीबीसी की एक रिपोर्ट में गोलवलकर की गांधी से मुलाकात के बारे में उल्लेख है। इसमें गांधी खुद बता रहे हैं कि गोलवलकर के साथ उनकी क्या बातचीत हुई। गांधी ने कहा, ''कुछ दिन पहले ही आपके गुरुजी से मेरी मुलाकात हुई थी। मैंने उन्हें बताया था कि कलकत्ता और दिल्ली से संघ के बारे में क्या-क्या शिकायतें मेरे पास आई हैं। गुरुजी ने मुझे बताया कि वे संघ के प्रत्येक सदस्य के उचित आचरण की जिम्मेदारी नहीं ले सकते, लेकिन संघ की नीति हिंदुओं और हिंदू धर्म की सेवा करना मात्र है, किसी दूसरे को नुकसान पहुंचाना नहीं।" यहां गांधी संघ से असहमत दिख रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस असहमती को गोलवलकर के साथ मुलाकात रद्द करने का कारण नहीं बनाया। वह उनसे संवाद किया और अपनी बात भी की।
ओम थानवी ने भी दिया प्रणब मुखर्जी की आलोचना का जवाब
जनसत्ता अखबार के पूर्व संपादक ओम थानवी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा- प्रणब मुखर्जी को रोककर हम उन पर ही नहीं, गांधीजी के विवेक पर भी संदेह करते नज़र आएँगे। कहीं आने-जाने में (वे मुसोलिनी से भी मिल लिए थे) गांधी ने गुरेज़ नहीं किया, तो प्रणब क्यों करें? आने-जाने पर बंदिश या रोकटोक अपने आप में ग़ैर-लोकतांत्रिक ख़याल है, आगे भले धोखा ही क्यों न हो
हालांकि,
अपने
एक
ट्वीट
में
ओम
थानवी
संघ
पर
चुटकी
लेते
भी
दिखते
हैं।
उन्होंने
लिखा-
उम्मीद
है
प्रणब
बाबू
अपना
वीडियोग्राफर
साथ
लेकर
गए
होंगे।
वरना
वीडियो
की
काट-छांट
के
माहिर
लोग
गोदी
मीडिया
का
सहारा
लेकर
पूर्व
महामहिम
के
नाम
से
कुछ
भी
परोस
सकते
हैं!
:
(चेतावनी
बज़रिए
वाट्सऐप)