President Rule in Maharashtra: उत्तराखंड के दूसरे सीएम रह चुके हैं भगत सिंह कोश्यारी, माने जाते हैं RSS के बेहद करीबी
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के बदलते राजनीतिक समीकरण में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की अहम भूमिका रही, उन्होंने सबसे पहले बीजेपी, फिर शिवसेना और अंत में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी एनसीपी से राज्य में सरकार बनाने को पूछा लेकिन राजनीतिक पार्टियों के कुछ भी तय नहीं कर पाने की वजह से कोश्यारी ने सियासी संकट सुलझाने के लिए मंगलवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की, जिस पर कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति कोविंद ने मोहर लगा दी लेकिन इस फैसले से नाखुश विरोधी दल अब राज्यपाल पर ही सवाल खड़े करने लगे हैं।
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भगत सिंह कोश्यारी पर लगाए शिवसेना ने आरोप
बीजेपी के अलावा सभी विपक्षी दल इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और भगत सिंह कोश्यारी पर सवाल उठाते हुए यह आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें सरकार बनाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया हालांकि, एक हैरान करने वाली बात ये है कि एनसीपी ने मंगलवार को तय समय से पहले ही अपना पत्र राज्यपाल को भेज दिया था, जिसके बाद राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई, शिवसेना तो कोश्यारी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गई है, फिलहाल आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
चलिए एक नजर डालते हैं महाराष्ट्र के गर्वनर भगत सिंह कोश्यारी के अब तक के सफर पर ...
प्रारंभिक जीवन
भगत सिंह कोश्यारी का जन्म 17 जून 1942 को उत्तराखंड के बागेश्वर जिले स्थित नामती चेताबागड़ गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रराम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा में पूरी की और उसके पश्चात उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अंग्रेज साहित्य में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। कोश्यारी उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद नित्यानंद स्वामी के बाद भाजपा की अंतरिम सरकार के दौरान सूबे के दूसरे मुख्यमंत्री बनाए गए थे।
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RSS के बेहद करीबी माने जाते हैं कोश्यारी
महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल रहे कोश्यारी बीजेपी को उत्तराखंड में स्थापित करने वाले उन नेताओं में शुमार किया जाता है, जिन्होंने अपना अपना पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी को समर्पित किया है।
करियर
- कोश्यारी 2001 से 2002 तक उत्तराखंड के सीएम रहे।
- 2002 से 2007 तक उत्तराखंड विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे।
- वह 2008 से 2014 तक उत्तराखंड से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे,
- 2014 में बीजेपी ने नैनीताल सीट संसदीय सीट से उन्हें मैदान में उतारा और वह जीतकर पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गए
- लेकिन 2019 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, फिलहाल वो इस वक्त महाराष्ट्र के राज्यपाल की भूमिका निभा रहे हैं।