महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल के बीच राष्ट्रपति शासन के कयास पर संजय राउत ने दिया ये जवाब
मुंबई। पूरा देश कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ रहा है, लेकिन महाराष्ट्र कोरोना वायरस का केंद्र बना हुआ है, यहां कोरोना संक्रमण के मामले 50 हजार को पार कर गए हैं। ऐसे में लगातार उद्धव ठाकरे पर सवाल खड़ा हो रहा है। सरकार पर खड़े हो रहे सवाल के बीच प्रदेश में ठाकरे सरकार को लेकर सियासी हलचल भी तेज हो गई है। रिपोर्ट की मानें तो महाराष्ट्र के हालात को देखते हुए राष्ट्रपति शासन के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन इसपर शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत का कहना है कि किसी को भी परेशान होने की जरूरत नहीं है।
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राष्ट्रपति शासन के कयास पर दिया ये बयान
संजय राउत ने कहा कि जब देश और प्रदेश मुश्किल समय से गुजर रहे हैं और अगर शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे दिग्गज नेता आपस में बात कर रहे हैं तो किसी को भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। राष्ट्रपति शासन के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैंने इस तरह की कोई बात ना तो अमित शाह और ना ही नितिन गडकरी से सुनी है। ऐसे में आखिर मैं कैसे इन बातों पर यकीन कर लूं। बता दें कि इससे पहले सोमवार को एनसीपी चीफ शरद पवार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की थी। राज्यपाल से मुलाकात के बाद उन्होंने उद्धव ठाकरे संग भी तकरीबन डेढ़ घंटे तक बैठक की, जिसके बाद प्रदेश की सरकार की स्थिरता को लेकर सवाल खड़ा होने लगा है।
संजय राउत बोले, सरकार स्थिर
बैठक में शिवेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत भी शामिल थे। बैठक के बाद आज संजय राउत ने कहा कि प्रदेश की उद्धव ठाकरे सरकार स्थिर और मजबूत है। इसके साथ ही राउत ने इस तरह के कयासों को खारिज किया है कि ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार अस्थिर है, उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से स्थिर और मजबूत है। हालांकि संजय राउत ने यह साफ नहीं किया कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच बैठक के दौरान चर्चा का मुद्दा क्या रहा।
सोमवार को बैठकों का सिलसिला
बता दें कि सोमवार की सुबह शरद पवार ने प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से राजभवन में मुलाकात की थी, जिसके बाद शरद पवार और उद्धव ठाकरे के बीच यह बैठक हुई थी। बैठक के बाद संजय राउत ने कहा कि जिन लोगों को लग रहा है कि सरकार अस्थिर है, वो मेरी समझ से बाहर हैं। इससे पहले शरद पवार की राज्यपाल के साथ बैठक के बाद एनसीपी ने दावा किया था कि राज्यपाल ने खुद शरद पवार को मुलाकात के लिए न्योता दिया था और इसके पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं है।
टाइमिंग पर खड़े हो रहे सवाल
लेकिन महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बीच जिस तरह से ये बैठके हो रही हैं, उसकी टाइमिंग पर सवाल खड़े हो रहे हैं। माना जा रहा है कि शिवसेना और एनसीपी के बीच पर्दे के पीछे सबकुछ ठीक नहीं है और दोनों के रिश्तों में खटास चल रही है। बता दें कि महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन वाली महाराष्ट्र अघाड़ी की सरकार है। शरद पवार ने इससे पहले खुलकर कहा था कि राज्यपाल कोश्यारी प्रदेश सरकार के प्रशासन में हस्तक्षेप कर रहे हैं और वह पहले नेता थे जिन्होंने खुलकर यह बात कही थी। हाल ही में वरिष्ठ भाजपा नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने भी कोरोना से निपटने में प्रदेश सरकार की विफलता को लेकर राज्यपाल से शिकायत की थी।
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