राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बोले- मानवाधिकारों में हमारी असफलता महिलाओं के खिलाफ हिंसा का कारण
नई दिल्ली। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को मानवाधिकार दिवस पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि हाल ही में हिंसा की दुर्भाग्यपूर्ण श्रंखला ने हमें फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम एक समाज के रूप में समान अधिकारों और महिलाओं की समान गरिमा के अपने दृष्टिकोण पर कायम हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध की घटनाएं देश के कई हिस्सों में होती हैं यह केवल एक देश तक सीमित नहीं है।
बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दिल्ली में एनएचआरसी द्वारा आयोजित मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में लोग असुरक्षित हैं और उनके मानवाधिकारों का उलंघन हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि, इस मानवाधिकार दिवस मनाने का आदर्श तरीका यह होगा कि हम दुनिया को यह स्पष्ट करें कि हमें घोषणा पत्र के शब्द और आत्मा को जीने के लिए क्या करने की जरूरत है। राष्ट्रपति कोविंद कहते हैं कि इस तरह के आत्मनिरीक्षण के साथ-साथ मानवाधिकारों की धारणा का विस्तार करने की जरूरत हैं। साथ में हमें सहानुभूति और कल्पना की जरूरत है।
जनता
में
बैठे
आपने
13
साल
पुराने
दोस्त
को
पहचाना
जो
घटना
ओडिशा
के
भुवनेश्वर
में
हुई
है
वह
राष्ट्रपति
की
सादगी
का
नया
उदाहरण
है।
राष्टप्रति
कोविंद
का
आमना-सामना
13
साल
बाद
अचानक
अपने
उस
दोस्त
से
हुआ
जिसके
साथ
उन्होंने
अपने
राजनीतिक
जीवन
के
कई
उतार-चढ़ावों
को
देखा।
राष्ट्रपति
का
यह
दोस्त
कोई
और
नहीं
बल्कि
जनता
दल
के
पूर्व
सांसद
बीरभद्र
सिंह
थे।
बीरभद्र,
बीजू
जनता
दल
(बीजेडी)
से
साल
2000
से
2006
तक
राज्यसभा
के
सांसद
रहे
थे।
साल
2000
से
राष्ट्रपति
और
पूर्व
कबायली
सांसद
की
कभी
न
टूटने
वाली
दोस्ती
की
शुरुआत
हुई
थी।
राष्ट्रपति
ने
उन्हें
उनकी
पगड़ी
से
ही
पहचान
लिया
और
तुरंत
उन्होंने
सिंह
से
मिलने
की
इच्छा
जताई।
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