राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनीत किए गए पूर्व CJI रंजन गोगोई
नई दिल्ली। देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनीत किया। पूर्व सीजेआई गोगोई ने अयोध्या के रामजन्म भूमि विवाद पर लगातार सुनवाई करके निपटारा किया था। इसके अलावा राफेल लड़ाकू विमान की खरीद के मामले में केंद्र सरकार को क्लीन चिट दी थी।
उन्होंने 2001 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायिक सेवा में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उनका 2010 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद 2011 वे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए। 23 अप्रैल, 2012 उन्हें को पदोन्नत कर सर्वोच्च न्यायालय भेजा गया था।
जस्टिस और चीफ जस्टिस के तौर पर न्यायमूर्ति गोगोई का कार्यकाल कुछ विवादों और व्यक्तिगत आरोपों से अछूता नहीं रहा। गोगोई अपने साढ़े 13 महीनों के कार्यकाल के दौरान कई विवादों में भी रहे और उन पर यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप भी लगे लेकिन उन्होंने उन्हें कभी भी अपने काम पर उसे हावी नहीं होने दिया। वह बाद में आरोपों से मुक्त भी हुए। उनकी अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने 9 नवंबर को अयोध्या भूमि विवाद में फैसला सुनाकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया।
जस्टिस गोगोई ही थे जिन्होंने 10 जनवरी 2018 को तीन अन्य वरिष्ठ जजों के साथ मिलकर तब के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ संयुक्त प्रेस वार्ता की थी। जजों ने आरोप लगाया था कि जस्टिस मिश्रा न्यायपालिका की स्वयात्तता से खिलवाड़ कर रहे हैं। रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर हुए थे। वह पूर्वोत्तर से सर्वोच्च न्यायिक पद पर पहुंचने वाले शख्स हैं। रिटायर होने से पहले इन्हीं की अध्यक्षता में बनी बेंच ने अयोध्या के विवादित स्थल पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
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