आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण बिल को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए समान्य श्रेणी में 10 प्रतिशत कोटा बिल को मंजूरी दे दी है। बता दें कि इससे पहले संसद के दोनों सदन लोकसभा और राज्यसभा ने भी इस बिल को मंजुरी दे दी थी। जिसके बाद इसको राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है।
बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
बिल 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन करता है एएनआई के मुताबिक, सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के संविधान संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। याचिका में संविधान के उल्लंघन का दावा किया गया। संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक, 2019 के खिलाफ यह याचिका यूथ फॉर इक्वेलिटी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। यूथ फॉर इक्वेलिटी नामक ग्रुप और डॉ कौशल कांत मिश्रा द्वारा दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तय किए गए 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन करता है।
एक दिन बढ़ानी पड़ी थी राज्यसभा की कार्यवाही
बता दें कि इस बिल को पास कराने के लिए बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही को एक दिन के लिए बढ़ाया गया था। इससे पहले मंगलवार को लोकसभा ने इस बिल को मंजूरी दे दी। बिल को लेकर अधिकतर दलों ने इसका समर्थन किया। हालांकि बिल को लेकर कुछ राजनीतिक दलों ने कहा है कि सरकार की मंशा बिल को पास कराने की नहीं बल्कि इसका राजनीतिक लाभ लेने की है। लेकिन अंत में बिल दोनों सदनों से पास हो गया।
10 घंटे की लंबी बहस के बाद राज्यसभा में पास हुआ था बिल
10 घंटे की लंबी बहस के बाद राज्यसभा में पास हुआ सवर्ण आरक्षण बिल सवर्ण आरक्षण बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में पास हुआ।लोकसभा में 3 के मुकाबले 323 मतों से पास होने के बाद राज्यसभा में भी इस बिल को पास कर दिया गया। राज्यसभा ने 7 के मुकाबले 165 मतों से इस बिल को पारित कर दिया। बिल के पास होने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा।