राष्ट्रपति ने दी जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन बिल को मंजूरी, दो केंद्रशासित प्रदेशों में बंट गया J&K
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही इसको लेकर भारत के राष्ट्रपति की ओर से गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेश और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बनने से जुड़ा बिल अब कानून बन गया है।जम्मू-कश्मीर और लद्दाख 31 अक्टूबर को अलग केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में अस्तित्व में आएंगे।
गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा, 'जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 के 34) की धारा 2 के खंड (ए) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप, केंद्र सरकार ने इसके लिए अक्तूबर, 2019 के 31वें दिन को निर्धारित किया है, जो कि इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए निर्धारित दिन है। यह कानून 31 अक्तूबर को अस्तित्व में आ जाएगा। संसद ने इस विधेयक को इसी सप्ताह मंजूरी प्रदान की थी।
इस नए विधेयक के अस्तित्व में आने के बाद जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की तरह विधानसभा होगी और लद्दाख चंडीगढ़ की तरह विधायिका के बिना केंद्र शासित प्रदेश होगा। इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में कानून और व्यवस्था का जिम्मा केंद्र सरकार के पास होगा। केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल होगा और इसकी विधानसभा की अधिकतम सीमा 107 होगी जिसे सीमांकन के बाद 114 तक बढ़ाया जाएगा। विधानसभा की 24 सीटें रिक्त पड़ी रहेंगी क्योंकि ये सीट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में है। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में करगिल और लेह जिले होंगे।
इससे पहले सोमवार को राज्यसभा में और मंगलवार को लोकसभा से इस बिल को भारी बहुमत से पास किया गया था। जिसके साथ ही जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाला 70 साल पुराना आर्टिकल 370 खत्म हो गया। अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। लोकसभा ने दो सरकारी संकल्पों, जम्मू कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 तथा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया था। इससे पहले जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पारित करने के लिए उच्च सदन में हुए मत विभाजन में संबंधित प्रस्ताव 61 के मुकाबले 125 मतों से मंजूरी दे दी गई थी।
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