स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करना पड़ेगा भारी, अध्यादेश को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
नई दिल्ली। कोरोना संकटकाल में तमाम डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाने में जुटे हुए हैं। लेकिन बावजूद इसके देश के अलग-अलग हिस्सों में उनपर हमले हो रहे हैं। इन हमलों के खिलाफ केंद्र सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया और इसपर कानून बनाने का फैसला लिया। सरकार स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले रोकने के उद्देश्य से अध्यादेश लेकर आई, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब यह अध्यादेश कानून बन गया है। ऐसे में स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों को अब गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
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नए अध्यादेश महामारी रोग (संशोधित) अध्यादेश 2020 को राष्ट्पति की मंजूरी मिलने के बाद यह अब कानून बन गया है। इस कानून के तहत मेडिकल टीम पर हमला करने पर 3 महीने से 5 साल की सजा और 50,000 से 2 लाख रुपए तक का जुर्माना होगा। अगर गंभीर नुकसान हुआ है तो 6 महीने से 7 साल की सजा का प्रावधान और जुर्माना 1 लाख से 5 लाख रुपए है। इस बाबत केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा।
बुधवार को जावड़ेकर ने बताया महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन कर अध्यादेश लागू किया जाएगा। ऐसा अपराध अब संज्ञेय और गैर-जमानती होगा। वहीं अगर स्वास्थ्य कर्मियों के वाहनों या क्लीनिक को नुकसान पहुंचाया गया तो ऐसा करने वालों से क्षतिग्रस्त की गई संपत्ति का बाजार मूल्य से दोगुना दाम मुआवजे के रूप में वसूला जाएगा। जावड़ेकर ने स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 50 हजार का इंश्योरेंस की भी घोषणा की। साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार ने 1.88 करोड़ रकम की पीपीई का भी ऑर्डर दिया गया है।इसके अलावा प्रकाश जावड़ेकर ने जानकारी दी है कि हेल्थ ब्रीफिंग अब रोजोना ना होकर सप्ताह में 4 दिन होगी। प्रेस रिलीज और कैबिनेट ब्रीफिंग वैकल्पिक (अल्ट्रनेट) दिन की जाएगी। साथ ही उन्होंने बताया है कि प्लाइट कब शुरू होंगी इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
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