ज्यादा लगेज की वजह से वाराणसी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रोके गए इस देश के राष्ट्रपति, बड़ी मुश्किल से मिल सकी फ्लाइट
वाराणसी। एयरपोर्ट पर जाकर ज्यादा सामान की वजह से आम आदमी को रोके जाने की खबरें आम हैं। मगर जब मामला किसी देश के राष्ट्रपति से जुड़ा हो तो यह दिलचस्प हो जाता है। मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन को इस वाकये से दो चार होना पड़ा है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति रूपन को सिर्फ इसलिए रोक लिया गया क्योंकि उनका लगेज तय वजन से ज्यादा था। रूपन, दिल्ली आ रहे थे जब उनके साथ यह घटना घटी है।
लगेज के लिए मांगी गई फीस
रूपन अपने छह सदस्यों वाले प्रतिनिधिमंडल के साथ दो दिनों की यात्रा पर वाराणसी पहुंचे थे। उनके साथ उनके परिवार के लोग भी थे। एयर इंडिया के कर्मी ने रूपन से कहा कि उन्हें सिर्फ तभी अंदर जाने की मंजूरी दी जाएगी जब वह अतिरिक्त लगेज के लिए फीस अदा करेंगे। लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट के एक अधिकारी की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। एयरपोर्ट डायरेक्टर आकाशदीप माथुर की तरफ से इस घटना की पुष्टि की गई है। उन्होंने बताया कि जैसे ही उन्हें इस घटना के बारे में पता लगा, उन्होंने तुरंत ही इसमें हस्तक्षेप किया। डीएम कौशल राज शर्मा ने भी एयर इंडिया के स्टाफ से इस मामले पर बात की है।
मंत्रालय तक से की गई बात फिर मिली फ्लाइट
एयर इंडिया के स्टाफ ने कहा कि उन्हें प्रक्रिया का पालन करना होगा। अधिकारियों ने इसके बाद एविएशन मिनिस्ट्री और एयर इंडिया के सीनियर ऑफिशियल्स से बात की। इसके बाद उन्हें बताया गया कि राष्ट्रपति से अतिरिक्त लगेज के लिए किसी भी तरह की फीस न ली जाए। एयर इंडिया के मैनेजर आतिफ इदरीस ने बताया है कि बैगेज ज्यादा होने की वजह से ही टीम से पेमेंट के लिए कहा गया था। इसके बाद अथॉरिटीज की तरफ से आए निर्देशों के बाद लगेज बिना फीस लिए हुए भेज दिया गया। इसके बाद राष्ट्रपति, नई दिल्ली आने के लिए फ्लाइट में बोर्ड हो सके। पृथ्वीराज सिंह रूपन बुधवार को बिहार के गया जिले
गया में पिंडदान करके लौट रहे थे
मोक्षनगरी के नाम से मशहूर इस शहर के विष्णुपद मंदिर परिसर में उन्होंने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तीन प्रमुख पिंडस्थलों पर पिंडदान किया। रूपन ने पिंडदान करने के बाद अक्षयवट में पिंड का विसर्जन किया। पिंडदान करने के बाद वह विष्णुपद मंदिर में भगवान विष्णु के चरण की पूजा-अर्चना की। उन्होंने इस मौके पर कहा, 'हमने परिवार के साथ पूजा अर्चना की है। गया आने से हमारे पूरे परिवार के मन को बहुत शांति मिली है। यहां से लौटने के बाद मॉरीशस जाकर लोगों को यहां आने के लिए प्रोत्साहित करुंगा और उन्हें कहेंगे कि वे एक बार जरूर विष्णुपद मंदिर में जाएं और वहां जाकर श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करें।
बिहार से बताया गहरा रिश्ता
उन्होंने कहा, 'हमारे पूर्वज गया जिले की मिट्टी में पैदा हुए थे और रोजी-रोटी के लिए मॉरीशस चले गए थे। मॉरीशस के राष्ट्रपति के शब्दों में, 'मेरा बिहार से पुराना लगाव रहा है, इसलिए यहां की मिट्टी को हम नमन करते हैं।' इसके बाद राष्ट्रपति नालंदा के लिए रवाना हो गए।' 24 मई 1959 को जन्में रूपन ने दिसंबर 2019 में मॉरीशस के राष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभाली थी। वह मई 2010 से नवंबर 2019 तक संसद के सदस्य रहे हैं। जिस समय वह मॉरीशस के सांसद थे, उनके पास आर्ट्स एंड कल्चर के अलावा सामाजिक एकता और आर्थिक सशक्तीकरण का विभाग था। संसद छोड़ने के बाद दो दिसंबर 2019 को वह देश के सांतवें राष्ट्रपति चुने गए थे। इसी दिन उन्होंने अपने पद की शपथ ली थी।