लद्दाख में माइनस 25 डिग्री तामपान में भी भारतीय सेना को ताजी सब्जियां-सुपरफूड देने की ये है तैयारी
नई दिल्ली- भारतीय सेना ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कड़ाके की ठंड गुजारने की तैयारी कर ली है। वहां डटी भारतीय सेना की मदद के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन भी अपनी हो से लगातार कोशिशें करने में जुटा हुआ है। उसी के तहत अब उसी ठंडे वातावरण में सब्जियां उगाने की भी व्यवस्था की गई है। योजना ये है कि जब वहां माइनस 25 डिग्री से भी कम तापमान होगा, तब भी स्थानीय स्तर पर हरी सब्जियां उगाई जाएंगी और जवानों को पूरा पोषण देने के लिए सुपरफूड भी वहीं पर पैदा किया जाएगा। इसके लिए काफी रिसर्च हुआ है और उसके नतीजे उत्साहित करने वाले नजर आ रहे हैं।
सेना को ताजी सब्जियां-सुपरफूड देने की ये है तैयारी
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने लद्दाख में माइनस 25 डिग्री से भी कम तापमान में जवानों तक ताजा सब्जियां और सुपरफूड उपलब्ध कराने के लिए पैसिव ग्रीनहाउस टेक्नोलॉजी, जीरो एनर्जी-बेस्ड टेक्निक स्टोरेज और माइक्रोग्रीन्स जैसी तकनीकों पर काफी ज्यादा शोध किया है। इसके लिए डीआरडीओ के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च ने काफी मेहनत की है और उसके अच्छे नतीजे मिले हैं। लेह के इलाके में तमाम सब्जियों को उगाने का इंतजाम किया जा रहा है। इस इलाके में सब्जियां उगाने के लिए पहले उनके अनुकूल माहौल तैयार किया गया है। यही नहीं इस इलाके में ऑक्सीजन का स्तर बहुत ही कम होता है इसके लिए यहां सुपरफूड भी उगाई जा रही है, जिसकी कम मात्रा लेने पर भी बहुत ज्यादा एनर्जी मिलती है।
माइनस 25 डिग्री में भी सेना को मिलेगी ताजी सब्जियां
डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च के डायरेक्टर डॉक्टर ओम प्रकाश चौरसिया ने कहा है कि अब फोकस इस बात पर है कि सर्दियों में भी गर्मियों की तरह ताजी सब्जियां उपलब्ध रहें। उनके मुताबिक, 'दो तरह के दृष्टिकोण हैं, एक तो स्टैंडर्ड ग्रीनहाउस टेक्नोलॉजी है। इस जगह (लेह में) पर बहुत अधिक ठंड में हाई सोलर इंटरसिटी होती है, इसलिए हमलोग पैसिव ग्रीनहाउस पर काम कर रहे हैं। हम कैबेज, गोभी और यहां तक की टमाटर जनवरी के महीने में भी उगा सकेंगें, जबकि उस समय तापमान माइनस 25 डिग्री तक गिर जाता है। हमारे पास एक अंडरग्राउंड ग्रीनहाउस भी है। दूसरा दृष्टिकोण है की गर्मियों वाली सब्जियों का स्टोरेज विकसित करें। इसके लिए जीरो एनर्जी-बेस्ड स्टोरेज टेक्नोलॉजी है। आलू, कैबेज, गोभी, मूली, गाजर 4-5 महीनों तक स्टोर किया जा सकता है।'
सुपरफूड की थोड़ी मात्रा में भरपूर क्षमता
चौरसिया ने बताया कि डीआईएसएआर क्विनोआ, चिया सीड, सीबकथॉर्न और गोजी बेरीज जैसे सुपरफूड की भी खेती कर रहा है, जो सिर्फ लेह में उगाई जाती हैं। उनका कहना है कि, 'इस इलाके में ऑक्सीजन का स्तर कम है और तनाव की स्थिति है। इसलिए,हमें ऐसा भोजन की जरूरत है जिसमें भरपूर पोषण उपलब्ध हो। हम एक ऐसा सुपरफूड उगा रहे हैं, जो ऐसा खाद्य पदार्थ है कि जिसे आप थोड़ा सा लेते हैं और यह बहुत ही प्रभावी होता है। हम क्विनोआ, चिया सीड, सीबकथॉर्न और गोजी बेरीज जैसे खाद्य पदार्थों की खेती कर रहे है। '
'संजीवनी बूटी' की खेती करने की तैयारी
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और विशेष 'सोलो' नाम के पौधे का जिक्र किया था, जिसे संजीविनी बूटी के नाम से भी जानते हैं और लद्दाख में पाया जाता है। लद्दाख की संजीवनी बूटी के बारे में डॉक्टर चौरसिया ने बताया कि, 'हिमालय जड़ी-बूटियों का खजाना है। संजीवनी हिमालय में पाई जाने वाली एक बूटी है। इसका वैज्ञानिक नाम रोडिओला है। यह थकान दूर करता है, पहाड़ पर होने वाली तकलीफों को मिटाता है और यादाश्त बढ़ाता है। संजीवनी की जड़ में गुलाब की खुशबू होती है। डीआरडीओ संघ शासित प्रदेश प्रशासन के साथ मिलकर इसकी बड़े पैमाने पर खेती करने की तैयारी कर रहा है। '
माइक्रोग्रीन प्लांट उगाने पर भी काम
डीआईएसएआर ने माइक्रोग्रीन प्लांट पर भी काम किया है, जिसकी मदद से जवान बेहद खराब मौसम में भी 10 से 15 दिनों में पौधे विकसित कर सकते हैं। इसके एक वैज्ञानिक डॉक्टर दोर्जी ने कहा, 'दूर के इलाके में सेना बहुत ही मुश्किल हालात में तैनात है और वहां सब्जियां उगाने के लिए मिट्टी उपलब्ध नहीं है। तकनीक के जरिए हम सेना के जवानों को ये माइक्रोग्रीन प्लांट उपलब्ध करवा पाएंगे, जब वे उस इलाके में लंच या ब्रेकफास्ट कर रहे होंगे।.....इनका मसालों के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ' उन्होंने बताया कि इस तरीके से करीब 20 सब्जियां उगाई जा सकती हैं, जो कि विटामीन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होती हैं।