8 हफ्ते के गर्भ के साथ पुलिस भर्ती में दौड़ी महिला, सिर्फ 30 सेकेंड पीछे रही, अब कोर्ट ने दिया पक्ष में फैसला
पुलिस भर्ती में गर्भवती दौड़ी महिला के पक्ष में आया कोर्ट का फैसला
चेन्नै। मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस भर्ती के लिए हुए फिजिकल टेस्ट में मामूली अंतर से पीछे रहने वाली महिला उम्मीदवार के पक्ष में फैसला सुनाया है। पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए हुई दौड़ में महिला उम्मीदवार तय समय से 30 सेकंड पीछे रह गई थी। इस वजह महिला का चयन नहीं हो सका, लेकिन कोर्ट ने महिला के गर्भवती होने की वजह से उसके पक्ष में फैसला सुनाया।
जानकारी
के
मुताबिक,
जिस
वक्त
पुलिस
भर्ती
के
लिए
दौड़
हुई,
उस
समय
महिला
उम्मीदवार
के
गर्भ
में
पांच
से
छह
का
शिशु
था।
इसके
बाद
महिला
ने
निर्धारित
समय
से
केवल
30
सेकेंड
ज्यादा
लिया।
याचिका
पर
सुनवाई
करते
हुए
अदालत
ने
कहा
कि
महिला
की
उम्मीदवार
की
हालत
को
देखते
हुए
30
सेकेंड
के
अतिरिक्त
समय
की
अनदेखी
की
जानी
चाहिए।
कांस्टेबल
ग्रेड-2
के
लिए
भर्ती
में
हिस्सा
लेने
वाली
महिला
का
नाम
आर
देविका
है।
आर देविका की याचिका पर जस्टिस एस विमला ने फैसला सुनाया है। अदालत ने भर्ती बोर्ड को देविका को कांस्टेबल के पद पर भर्ती के आदेश दिए जाते हैं। याचिकाकर्ता को तय मापदंड के मुताबिक 100 मीटर दौड़ को 17.50 सेकंड में पूरा करना था लेकिन उन्हें 30 सेकंड ज्यादा लग गए। याचिकाकर्ता ने कहा था कि फिजिकल टेस्ट के समय उसे आठ हफ्ते का गर्भ था जिसके कारण वह तय समय में दौड़ पूरी नहीं कर सकी।
महिला उम्मीदवार ने याचिका में कहा कि फिजिकल टेस्ट के समय उसके गर्भ में 8 हफ्ते का शिशु था, जिसके कारण वह रेस में थोड़ी सी पिछड़ गई। इस पर जज साहिबा ने कहा कि फिजिकल टेस्ट में महिला को अयोग्य करार दिया गया, जो आपत्तिजनक है। देविका का पुलिस भर्ती दौड़ में भाग लेना ही उनके साहस को दिखाता है।
महिला उम्मीदवार को 100 मीटर दौड़ की प्रतियोगिता 17.50 सेकेंड में पूरी करनी थी, लेकिन उसने 0.30 सेकेंड का अतिरिक्त समय लिया। इसी चलते महिला को शारीरिक दक्षता परीक्षा में असफल घोषित कर दिया गया। यह आपत्तिजनक था।
न्यायाधीश ने कहा, याचिकाकर्ता गर्भवती थी। इस तथ्य को संज्ञान में रखते हुए यूनीफाइड सर्विसेज रिक्रूटमेंट बोर्ड को निर्देश दिया जाता है कि ग्रेड-2 कांस्टेबल या ग्रेड-2 जेल वार्डन पद के लिए महिला उम्मीदवार का चयन किया जाए।