जिस सिनेमाघर में 'पद्मावती' लगेगी वो नहीं बचेगा: प्रवीण तोगड़िया
नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने कहा है कि केंद्र सरकार फिल्म 'पद्मावती' पर रोक लगाए नहीं तो सिनेमा घर में जो होगा उसे इतिहास याद रखेगा। जयपुर दौरे पर पहुंचे तोगड़िया ने करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी से मुलाकात के बाद ये बातें कहीं। तोगड़िया ने कहा कि हमारी परंपरा के मुताबिक पद्मावती हमारी मां थी, ऐसे में हम उनके खिलाफ कैसे कुछ सुन सकते हैं। ऐसे में बहेतर यही होगा कि केंद्र सरकार खुद फिल्म को बैन कर दे नहीं तो हम खुद इसे रोकेंगे।
शान्ति के लिए फिल्म बैन करे सरकार
प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि केंद्र सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखना चाहती है तो फिल्म 'पद्मावती' पर रोक लगा देनी चाहिए। अगर सरकार इसे नहीं रोकेंगी तो देखें कि कौन सा सिनेमा बचेगा? या तो कानून से रोक दें, नहीं तो भुजाओं के बल से रूकेगी। तोगड़िया ने कहा कि वो सिनेमाघर नहीं बचेगा जिस पर फिल्म पद्मावती लगेगी। तोगड़िया ने इस दौरान करनी सेना से फिल्म के विरोध में चल रहे आंदोलन को लेकर भी जानकारी ली।
भाजपा नेता कर चुके दीपिका सिर काटने पर ईनाम का ऐलान
संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' शूटिंग के समय से ही विवादों में है। करनी सेना और कई राजपूत संगठन फिल्म का विरोध कर रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों में भी खासतौर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक और पदाधिकारी फिल्म रिलीज होने पर थियेटर फूंकने तक की धमकी दे चुके हैं। हरियाणा के एक भाजपा नेता फिल्म के निर्माता और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को कत्ल करने पर दस करोड़ के ईनाम की बात भी कह चुके हैं।
फिल्म जगत कर रहा समर्थन
एक तरफ फिल्म को लेकर विरोध हो रहा है तो वहीं फिल्म जगत से फिल्म के समर्थन में आवाजें उठ रही हैं। कई जाने-माने अभिनेता और निर्देशक फिल्म का समर्थन कर चुके हैं। दीपिका और संजय लीला भंसाली को जान से मारने की धमकियों का भी फिल्मी हस्तियों ने विरोध किया है। गुरुवार को ही नाना पाटेकर ने फिल्म को लेकर जिस तरह से धमकियां दी जा रही हैं, उसकी निंदा की है। पहले फिल्म को एक दिसंबर को रिलीज किया जाना था लेकिन फिलहाल फिल्म की रिलीज टाल दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट जता चुका बयानों पर नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट फिल्म को लेकर अहम पदों पर बैठे लोगों के बेतुकों बयानों पर नाराजगी जता चुका है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को कहा कि जब यह फिल्म मंजूरी के लिए लंबित हैं, तब सार्वजनिक पदों पर बैठे लोग को कैसे यह बयान दे सकते हैं कि सेंसर बोर्ड को इस फिल्म को पास करना चाहिए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने से सेंसर बोर्ड का निर्णय प्रभावित होगा। अदालत ने कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को कानून का पालन करना चाहिए और ऐसी किसी फिल्म पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, जिसे सेंसर बोर्ड से मंजूरी नहीं मिली हैं।