बिहार की राजनीति में केजरीवाल मॉडल लाएंगे प्रशांत किशोर, आज करेंगे बड़ा ऐलान
Prashant Kishore to bring Kejriwal model as a warrior, not a charioteer in Bihar's politics, will make this big announcement tomorrow, बिहार की राजनी ति में सारथी नहीं योद्धा बनकर केजरीवाल मॉडल लाएंगे प्रशांत किशोर, कल करेंगे ये बड़ा ऐलान
बेंगलुरु। बिहार सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनैतिक बदलाव की प्रयोगशाला रही है। बिहार में नए राजनैतिक प्रयोग की अगुआई प्रशांत किशोर करने जा रहे हैं। दिल्ली के नतीजे से उत्साहित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कमर कस ली हैं। राष्ट्रीय राजनीति में 2014 के आम चुनाव में प्रशांत किशोर का चुनावी रणनीतिकार के तौर पर प्रादुर्भाव नरेन्द्र मोदी के साथ हुआ था। जेडीयू से बाहर निकाले जाने के बाद से प्रशांत किशोर के लिए तमाम अटकलें लगाई जा रही थी। कभी कहां जा रहा है कि वो केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर उनके साथ राष्ट्रीय राजनीति की ओर रुख करेंगे तो कहीं कहा जा रहा कि वह अपनी पार्टी बनाने का ऐलान कर सकते हैं।
सारथी नहीं योद्धा बनेंगे पीके
जेडीयू के जरिए अपना सियासी सफर शुरू करने वाले प्रशांत किशोर अब नीतीश कुमार से अलग हो चुके हैं, लेकिन बिहार की सियासत में अब प्रशांत किशोर नए अवतार में नजर आएंगे। साथ ही उन्होंने एक बात साफ कर दी है कि बिहार में वो एक मैनेजर के तौर पर किसी के सारथी नहीं बनेंगे बल्कि एक राजनीतिक योद्धा के तौर पर मैदान में उतरकर मुकाबला करेंगे।
मंगलवार को करने वाले हैं बड़ा ऐलान
बता दें रणनीतिकार प्रशांत किशोर मंगलवार यानी 18 फरवरी को बड़ी घोषणा पटना में करने वाले हैं। हालांकि अभी इस बात पर अभी कोई खुलासा नहीं हुआ है कि मंगलवार को प्रशांत किशोर अपनी नयी राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान करेंगे या कोई गैर-राजनीतिक फ्रंट गठित करेंगे। इसको लेकर फिलहाल वह चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन उन्होंने साफ कर दिया है कि वह बिहार में किसी भी पार्टी के रणनीतिकार की भूमिका नहीं निभाएंगे। मीडिया से रुबरु प्रशांत ने कहा कि वह आगे क्या करने वाले हैं इसके बारे में मैं कल बताऊंगा। ऐसे में माना जा रहा है कि पीके अपनी राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर सकते हैं!
'हम हारने के लिए नहीं, जीतने के लिए लड़ते हैं'
प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले छह सालों में उत्तर प्रदेश को छोड़कर मैं रणनीतिकार के रूप कोई भी चुनाव नहीं हारा हूं। इससे एक बात साफ है कि मैं चुनाव हारने के लिए नहीं बल्कि जीतने के लिए उतरता हूं। उन्होंने कहा कि मैं राजनीति से दूर नहीं जाऊंगा बल्कि राजनीतिक सक्रियता को अब और आगे बढ़ाने जा रहा हूं।
नीतीश कुमार से सीधे देंगे टक्कर
इस बयान से साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर सक्रिय भूमिका निभाएंगे और नीतीश कुमार को सीधे चुनौती देंगे। बता दें जेडीयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत ने कहा था कि कि वो वापस पटना जाकर नीतीश का जवाब देंगे। वो नीतीश से लोहा लेने के मूड में तो हैं लेकिन उनकी राजनैतिक हैसियत नीतीश के सामने कहीं नहीं ठहरती।
बिहार की राजनीति में लाएंगे केजरीवाल मॉडल
प्रशांत की टीम के एक करीबी ने बताया कि कल पीके बड़ा बम फोड़ेगे। आपको जैसा मालूम हैं कि हाल ही में हुए दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ही थे। आप पार्टी के लिए चुनाव रणनीति तैयार करते समय प्रशांत किशोर अरविंद केजरीवाल के द्वारा दिल्ली में किए गए काम को काफी करीब से देखा हैं और उसका परिणाम भी दिल्ली में मिली जीत के रुप में देखा हैं। इसलिए माना जा रहा है कि वो केजरीवाल मॉडल की तरह बिहार में भी कुछ कर सकते हैं।
केजरीवाल फॉर्मूला का देख चुके हैं असर
बता दें वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार के भी चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ही थे। उस समय नीतीश फॉर बिहार कैंपेन के लिए प्रशांत के लिए काम कर चुके सदस्य ने बताया कि प्रशांत किशोर अब कोशिश करेंगे कि बिहार में केजरीवाल फॉर्मूला लागू हो।
लाखों युवाओं का प्रोफाइल पीके के पास है मौजूद
प्रशांत किशोर युवा शक्ति के सहारे बिहार का केजरीवाल बनने की कोशिश करेंगे। वह बदलाव और नई राजनीति को अपना हथियार बनाएंगे। वो बदलाव और नई राजनीति को अपना हथियार बनाएंगे। पीके जेडीयू के उपाध्यक्ष रहते ही आई पैक के थ्रू ऐसे लाखों युवाओं का प्रोफाइल तैयार कर चुकी है जो सक्रिय राजनीति में आना चाहते हैं। अब नए मिशन में ये डाटाबेस काम आने वाला है।
युवा शक्ति से बिहार में पैठ बनाएंगे प्रशांत
बता दें जेडीयू से जुड़ने के बाद पीके ने बिहार के युवाओं को राजनीति से जोड़ने की शुरुआत की थी। बिहार के विभिन्न शहरों से लेकर दिल्ली में भी इसको लेकर लगातार युवाओं से मुलाकात की थी। इसके लिए उन्होंने 'यूथ इन पॉलिटिक्स' कैंपेन की शुरुआत की थी। इस कैंपेन की साइट के मुताबिक पौने चार लाख से ज्यादा युवा उनके साथ जुड़ चुके हैं। उनके तेवर से साफ है कि पी के रणनीतिकार या सलाहकार के तौर पर काम नहीं करेंगे बल्कि दो साल पहले उन्होंने जो राजनीतिक यात्रा शुरू की थी, उसे ही धार देंगे।
जातीय समीकरण में भी लागू करेंगे केजरीवाल फॉर्मूला
ये तो सच है कि बिहार के धुरंधर राजनीतिक नेताओं के सामने प्रशांत चुनावी राजनीति में नौसिखियां हैं। पोल स्ट्रैटेजिस्ट के करियर से बाहर निकल कर वोट के दंगल में कूदना आसान नहीं है। नीतीश और लालू इसके महारथी हैं। एक और तथ्य पीके के विरोध में जाती है। बिहार की राजनीति में जातीय फैक्टर। इसका जवाब भी पीके समर्थक बिहार के राजनीतिक इतिहास में ही खोजते हैं जब जेपी के परिवर्तन लहर में जातीयता गौण हो गई थी।
पीएम और आधा दर्जन सीएम संग काम कर चुके हैं पीके
प्रशांत किशोर की संस्था I-PAC 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी और बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम कर चुकी है। प्रशांत किशोर 2014 के आम चुनाव में पहली बार चर्चा में आए थे। उन्हें बीजेपी के चुनाव प्रचार को 'मोदी लहर' में तब्दील करने का श्रेय जाता है। इसके बाद प्रशांत किशोर ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और बिहार में नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक मैनेजर के तौर पर काम किया और महागठबंधन को सत्ता दिलाने में सफल रहेृ। इसके बाद बीजेपी से उनकी राह अलग हुई फिर वह बिहार में आरजेडी-जेडीयू के गठबंधन के लिए काम किए। पीके ने पंजाब में अमरिंदर सिंह, आध्र प्रदेश में जगन और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली। फिलहाल उनकी टीम पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और तमिलनाडु में डीएमके की भी मदद कर रही है।
पीके के खाते में दर्ज हैं ये बड़ी जीत
आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और पंजाब में कांग्रेस की जीत में पीके की प्रचार टीम का अहम रोल था। इसके अलावा दिल्ली में आम आदमी पार्टी और महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ का काम किय।
क्या राजनीतिक योद्धा के रुप में सफल हो पाएंगे पीके
बिहार की राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो 90 के दशक के बाद यहां तीन राजनीतिक धूरी रही है। बीजेपी, आरजेडी और जेडीयू। तीनों से कोई भी दो दल जब साथ आए हैं, तो सरकार उसी गठबंधन की बनी है। 2005, 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव और 2009 व 2019 लोकसभा के नतीजे भी इसके गवाह बने हैं। बता दें अक्टूबर में होने वाले बिहार विधानसबा में बीजेपी, जेडीयू और लोजपा का गठबंधन है। एनडीए नीतीश कुमार के चेहरे पर ही चुनावी मैदान में उतरने जा रही है। ऐसे में नीतीश कुमार के रथ को रोकने की पीके की रणनीति कहां तक सफल होती है, यह देखने वाली बात होगी।