दिल्ली और बिहार चुनाव के लिए प्रशांत किशोर भाजपा के लिए बने बड़ी मुसीबत !
Prashant Kishore Made Big Trouble For BJP for Delhi and Bihar Elections!रणनीतिकार प्रशांत किशोर भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बनते जा रहे हैं। दिल्ली चुनाव की रणनीति तैयार करने के साथ ही बिहार में जेडीयू के साथ भाजपा की दूरियां बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
बेंगलुरु। बिहार में सत्तारूढ़ दल जदयू और भाजपा के बीच इस वक्त कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है लेकिन बिहार एनडीए में विवाद गरमाता जा रहा है। सीएए और एनआरसी जैसे अहम मुद्दों पर बिहार में भी विवाद पनपने लगा है। सत्तारुढ दल में भाजपा सीएए और एनआरसी के पक्ष में है, वहीं जदयू और लोजपा सीएए पर तो साथ हैं, मगर एनआरसी पर भाजपा से बिल्कुल जुदा राय हैं। इसमें जदयू नेता प्रशांत किशोर आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। एक ओर भाजपा के खिलाफ वह कांग्रेस को नसीहत दे रहे हैं कि उसे कांग्रेस शासित प्रदेशों में एनआरसी का विरोध करना चाहिए।
इतना ही नहीं झारखंड में बीजेपी से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली जनता दल यूनाइटेड को भले ही एक भी सीट नहीं मिली हो लेकिन प्रशांत किशोर ने 2020 बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान देकर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं। प्रशांत किशोर ने कहा है कि जेडीयू-बीजेपी के बीच फिफ्टी-फिफ्टी का फॉर्मूला नहीं चलेगा,और जेडीयू को बिहार में बीजेपी के मुकाबले ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। इतना ही नहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ही होंगे क्योंकि वो ही दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं। ऐसे में प्रशांत किशोर आगामी चुनाव के लिए भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बन चुके हैं।
बिहार में प्रशांत ने खोल दिया है भाजपा के खिलाफ मोर्चा
बिहार विधानसभा चुनाव में अभी काफी समय है लेकिन कुल मिलाकर प्रशांत किशोर ने नागरिकता संशोधन बिल पर खिलाफत के साथ ही बीजेपी के खिलाफ नया मोर्चा खोल दिया है। झारखंड में बीजेपी की हार के बाद जेडीयू नेता प्रशांत किशोर ने भाजपा पर अभी से दबाव बनाना शुरु कर दिया है। प्रशांत ने कहा है कि बीजेपी के साथ गठबंधन में भी जेडीयू ने बड़ी पार्टी की हैसियत से चुनाव लड़ा है। 2004 और 2009 के विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू ने बीजेपी से अधिक सीटों पर जीत हासिल की थी। उन्होंने कहा कि जेडीयू साल 2004 से बड़ी पार्टी रही हैं। चुनावी रणनीति बनाने में माहिर माने जाने वाले प्रशांत किशोर ने इसके पहले दावा किया था कि भाजपा के साथ सीटों के बंटावारे का आधार 2015 का चुनाव नहीं, 2010 का विधानसभा चुनाव होगा।
अरविंद केजरीवाल के रणनीतिकार भी है प्रशांत किशोर
2020 के मुहाने पर खड़ी भारतीय राजनीति में पांच साल पुराने कई समीकरण बदल चुके हैं, लेकिन चुनौतियां वैसी ही है। अगर राजनीति के केंद्र में दिल्ली और बिहार को रख कर देखें तो बदलावों के बावजूद बहुत कुछ मिलता जुलता नजर आ रहा हैं। जिस तरह बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर 2015 में जेडीयू की रणनीति तैयार कर रहे थे और उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती बन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खड़े हो गये थे, दिल्ली और बिहार में फिलहाल वैसी ही सियासी स्थिति देखी जा सकती है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार मोदी के सामने जो मुख्यमंत्री सत्ता में वापसी के लिए जूझ रहा है वो नीतीश कुमार नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल हैं।
प्रशांत किशोर के मार्गदर्शन में होगा दिल्ली चुनाव
2015 में तो अरविंद केजरीवाल ने आशीष खेतान को यह जिम्मेदारी दी साथ ही दिल्ली के लोगों से सीधे कनेक्ट होने के कई तरीके अपनाये थे। अब आम आदमी पार्टी का आईपीएसी के साथ चुनाव अभियान को लेकर करार हुआ है। बता दें यह संस्था तकनीकि रुप से अपने से काम करती है और प्रशांत किशोर इसके सलाहकार हैं। यानी कि इन संस्था के मार्गदर्शक मंडल में प्रशांत किशोर हैं। लेकिन वो सीधे सीधे इसलिए नहीं दिखायी देंगे क्योंकि वो नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के उपाध्यक्ष हैं जिसकी बीजेपी के साथ बिहार में गठबंधन की सरकार है।
केजरीवाल को फिर से सत्ता पर कब्जा दिलाने की चुनौती
बहरहाल, आम आदमी पार्टी के ताजा चुनाव प्रचार के तौर तरीकों पर वह ध्यान रख रहे हैं। 2020 के लिए भी सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं और प्रशांत किशोर की संस्था को अरविंद केजरीवाल को फिर से सत्ता पर कब्जा दिलाने की चुनौती है। केजरीवाल के लिए भी मिलता जुलता ही कार्यक्रम बनाया गया है जहां मुख्यमंत्री लोगों के सामने हों और वे उनसे सवाल पूछ सकें। खास बात ये है कि आम आदमी पार्टी के नेता एक राउंड घर घर दस्तक दे रहे हैं।
महाराष्ट्र में भी भाजपा के लिए मुसीबत बन चुके हैं प्रशांत किशोर
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ही थे। प्रशांत किशोर ने ही शिवसेना प्रमुख उद्वव ठाकरे को स्वयं चुनाव लड़ने के बजाय बेटे आदित्य ठाकरे को चुनाव में खड़ा करने की सलाह दी थी। इतना ही भाजपा से फिफ्टी फिफ्टी सीटों के बंटवारे की मांग को लेकर शिवसेना भाजपा के सामने अड़ी उसकी भी पटकथा लिखने वाले प्रशांत किशोर ही थे। जिसका परिणाम ये हुआ कि शिवसेना और भाजपा का वर्षों पुराना महाराष्ट्र में गठबंधन टूट गया और बहुमत हासिल करने के बावजूद भाजपा के हाथ से महाराष्ट्र जैसा मजबूत राज्य चला गया। शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद के लालच में अपने विरोधी विचारधारा वाली एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाकर महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार बना ली। चूंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी प्रशांत किशोर आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल के रणनीतिकार हैं ऐसे में यह चुनाव भाजपा के लिए जीतना इतना आसान नहीं होगा।
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