Bihar 2020: केजरीवाल स्टाइल में बिहार की राजनीति में एंट्री लेना चाहते हैं प्रशांत किशोर उर्फ पीके!
बेंगलुरू। दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अब बिहार विधानसभा चुनाव 2020 अगला पड़ाव है जहां लोकतंत्र के उत्सव की तैयारी शुरू हो चुकी है। राष्ट्रीय जनता दल के अगली पंक्ति के नेता तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव ने चुनावी तैयारियों के मद्देनजर चुनावी कैंपेन के लिए रथ यात्रा की शुरूआत करके बिगुल भी बजा दिया है।
महागठबंधन की अगुवाई करने वाली राष्ट्रीय जनता दल मुखिया लालू प्रसाद यादव के जेल में है, जिससे पूरी पार्टी हलकान है, जिससे चुनाव में जदयू और बीजेपी गठबंधन का पलरा भारी है, लेकिन प्रशांत किशोर के चुनावी मैदान में उतरने की सुगबुगाहट ने बिहार की राजनीति में एक नया समीकरण भी बन सकता है।
गौरतलब हौ जनता दल यूनाईटेड के उपाध्यक्ष रहे प्रशांत किशोर और पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा अभी हाल में बड़े बेआबरू होकर जदयू से निकाले गए हैं। जदयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के संकेत दे दिए थे। प्रशांत किशोर संभवत युवाओं के जरिए और खासकर कन्हैया कुमार जैसे कुछ चेहरों को आगे कर एनडीए से मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं।
गत 18 फरवरी के पत्रकारों के बीच प्रशांत किशोर ने युवाओं को साथ लेने का आह्वान करके इसकी पुष्टि भी कर दी है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत के रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर लगातार बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर सक्रियता बतलाती हैं कि पीके कुछ बड़ा सोच रहे हैं।
यही कारण है कि राजनीतिक विश्लेषक भी प्रशांत किशोर के बिहार विधानसभा चुनाव में सक्रियता के कई मायने निकाल रहे हैं, क्योंकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत के बाद दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में ऐसी खबरें जोर पकड़ने लगी थी कि जेडीयू के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अब आम आदमी पार्टी का दामन थाम सकते हैं।
माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर के आप ज्वाइन करने से बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है, क्योंकि प्रशांत किशोर खुद भी बिहार में केजरीवाल शैली में राजनीतिक उत्थान की इच्छा रखते हैं। इसके लिए ही उन्होंने बिहार में एक करोड़ युवाओं की क्रांतिकारी फौज बनाने का ऐलान किया है।
बड़ा मुद्दा यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में दिल्ली की तरह जीतने की इच्छा रखने वाले प्रशांत किशोर की बिहार में राजनीतिक जमीन केजरीवाल की तुलना में बेहद कमजोर है। कम से कम केजरीवाल ने राजनीति में आने से पहले दिल्ली की झुग्गियों में खून पसीना बहाया था।
केजरीवाल ने नागरिक अधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए आरटीआई कानून बनाने में भी उन्होंने अह्म भूमिका निभाई, लेकिन प्रशांत किशोर की हैसियत बिल्कुल जमीनी नहीं है। ऐसे नेता को बिहार की जनता कितना भाव देगी, यह आसानी से समझा जा सकता है, क्योंकि बिहार के वोटर्स दूसरे अन्य राज्यों के वोटरों की तुलना राजनीतिक रूप से अधिक साउंड होते हैं।
यह भी सवाल उठेगा कि एक ही छलांग में बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी नापने की ख्वाहिश रखने वाले प्रशांत किशोर ने बिहार की जनता के लिए अब तक क्या किया है? यह सभी जानते हैं कि प्रशांत किशोर की पहचान पिछले 7 से 8 वर्षो में महज एक चुनावी रणनीतिकार के रूप में रही हैं।
जो पार्टी, विचारधारा से इतर होकर महज एक प्रोफेशनल डेटा कंपनी के सीईओ की तरह करोड़ों रुपए लेकर अलग-अलग पार्टी को सत्ता में पहुंचाने का ठेकेदारी करते आए हैं। बिहार से ज्यादा समय तक दूर रहने के कारण शायद प्रशांत किशोर शायद भूल गए हैं कि बिहार की राजनीति दिल्ली की तरह इतनी सीधी नहीं है।
गौरतलब है जदयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहते हुए प्रशांत किशोर ने दल के निर्णयों से इतर जाकर एनआरसी और सीएए के विरोध में मुहिम चला रखी थी। दिल्ली में जदयू और भाजपा की दोस्ती और गृहमंत्री अमित शाह को लेकर बयान दिए थे। इसकी वजह से जदयू ने पवन वर्मा और उन्हें 29 जनवरी को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
तब पीके ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि दिल्ली चुनाव बाद पटना आने पर इसका जवाब दूंगा। उन्होंने तब साफ किया था कि वो न तो कोई पार्टी बनाने जा रहे हैं और न ही किसी दल से जुड़ने जा रहे हैं, लेकिन अब माना जा रहा है कि बिहार में नौजवान लीडरशिप तैयार करने को लेकर जुटे प्रशांत किशोर सही समय पर अपने पत्ते खोलना चाहते हैं।
प्रशांत किशोर ने बिहार में नौजवान लीडरशिप की एक खेप तैयार करने की शुरूआत भी केजरीवाल शैली में की है। 'बात बिहार की' अभियान के जरिए अब तक करीब ढाई लाख से ज्यादा लोगों को जुड़ चुके प्रशांत किशोर ने इस अभियान की शुरुआत www.baatbiharki.in वेबसाइट लॉन्च होने के साथ की थी।
प्रशांत किशोर के इस अभियान से जुड़ने के लिए www.baatbiharki.in कोई भी युवा वेबसाइट पर जाकर खुद को रजिस्टर कर सकता हैं। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति मोबाइल नम्बर 6900869008 पर मिस्ड कॉल देकर भी बात बिहार की अभियान का हिस्सा बन सकता है।
उल्लेखनीय है अभी तक प्रशांत किशोर द्वारा शुरू किए बात बिहार की मुहिम से 664959 लोग वेबसाइट पर रजिस्टर हो चुके हैं। प्रशांत किशोर की कंपनी आई पैक के मुताबिक कंपनी हर सप्ताह बात बिहार की अभियान से जुड़े लोगों का आंकड़ा भी पेश करेगी और अगले 100 दिनों में एक करोड़ लोगों को इस अभियान से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रशांत किशोर की यह शैली अन्ना आंदोलन के दौरान इंडिया अगेस्ट करप्शन से मिलती-जुलती है, जिसके जरिए न केवल केजरीवाल की राजनीतिक जमीन समतल हुई थी बल्कि चुनाव लड़ने और लड़ाने के लिए आम आम आदमी पार्टी को देश दुनिया ने खूब चंदा भी दिया था।
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प्रशांत किशोर ने साफ कर दी है अपनी राजनीतिक स्थिति
बिहार के कई राजनीतिक दलों के नेताओं के जरिए उनको अपने साथ जुड़ने के बयान के बाद प्रशांत किशोर ने कहा कि उन्होंने अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है। फिर भी कोई राजनीतिक दल उनके जुड़ने की बात करता है तो क्या कहा जाए। जनाधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने प्रशांत किशोर को अपने साथ जोड़ने की बात की थी। साथ ही लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव का बयान भी इसी तरह का आया था। हालांकि तेजस्वी ने साफ तौर पर कहा था कि उन्हे प्रशांत किशोर की जरूरत नहीं हैं।
पीके बोले, बिहार में बड़ी राजनीतिक शून्यता आने वाली है?
प्रशांत किशोर का मानना है कि बिहार में जो राजनीतिक शून्यता आने वाली है, उसे भरने के लिए नेतृत्व का कोई नया चेहरा बिहार की मिट्टी से ही निकलेगा, जो संघर्ष करते हुए नेतृत्व संभालेगा। अभी जो नेता है, वो हवा हवाई है, जो बिहार की बात नहीं करते, बिहार के विकास की बात नहीं करते, केवल वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।
PK के मुताबिक बिहार में नीतीश कुमार से बड़ी लाइन खींचनी पड़ेगी
प्रशांत किशोर ने कहा कि रैली की भीड़ देखकर कोई यह न समझे की जनता उसे ही वोट देगी। सीएए-एनआरसी और एनपीआर के इस दौर में विपक्ष में खड़े सभी नेताओं की रैली में भीड़ आ रही है. इसलिए इसमें कोई गलतफहमी में न रहे. उनका मानना है कि जो बिहार की बात करेगा, वही बिहार पर राज करेगा. उसके लिए नीतीश कुमार से बड़ी लकीर खींचनी पड़ेगी.
रणनीतिकार नहीं अब नेतृत्व का चेहरा बनकर उतरेंगे प्रशांत किशोर
मीडिया के सवालों के जवाब में गोल मोल जवाब देने वाले प्रशांत किशोर की भूमिका आने वाले दिनों में बदलने वाली है। ऐसा लगता है कि वे अब चुनावी रणनीतिकार के पेशे को छोड़ कर ज़मीन की राजनीति में हाथ-पांव चलाना चाहते हैं। आश्चर्य नहीं होगा कि प्रशांत किशोर आने वाले दिनों में चुनावी रणनीतिकार की भूमिका छोड़कर बिहार में सत्ता परिवर्तन की अलख जगाते हुए खुद के पॉलिटिकल कैरियर की कैंपेनिंग करते हुए नज़र आएं।
तीन महीने में ख़ुद को आंकने की कोशिश में जुटे प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में अपनी हैसियत को मापने के लिए बात बिहार की अभियान को लांच किया और उसके जरिए करीब एक करोड़ युवाओं को अपने साथ जोड़ने में लगे हैं। इसके बाद उनकी योजना पूरे बिहार में यात्रा करने की है और फिर उसके तीन महीने के बाद अपनी राजनीतिक पारी की घोषणा कर सकते है। यह उनके तीन महीने के आउटकम पर निर्भर करेगा। यानी कह सकते हैं कि प्रशांत किशोर अगले तीन महीनों में ख़ुद को आंकना चाहते हैं कि उन्हें कितने लोगों का साथ मिल पाता है और फिर उसके बाद पार्टी बनाने या नहीं बनाने की घोषणा करेंगे!
'बात बिहार की' अभियान के जरिए बिहार में नौजवान लीडरशिप तैयार करेंगे
प्रशांत किशोर ने बिहार में नौजवान लीडरशिप की एक खेप तैयार करने की शुरूआत भी केजरीवाल शैली में की है। 'बात बिहार की' अभियान के जरिए अब तक करीब ढाई लाख से ज्यादा लोगों को जुड़ चुके प्रशांत किशोर ने इस अभियान की शुरुआत www.baatbiharki.in वेबसाइट लॉन्च होने के साथ की थी। प्रशांत किशोर के इस अभियान से जुड़ने के लिए www.baatbiharki.in कोई भी युवा वेबसाइट पर जाकर खुद को रजिस्टर कर सकता हैं। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति मोबाइल नम्बर 6900869008 पर मिस्ड कॉल देकर भी बात बिहार की अभियान का हिस्सा बन सकता है।
बिहार में नया राजनीतिक समीकरण खड़ा करेंगे प्रशांत किशोर
माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर के बिहार की राजनीति में उतरने से कुछ बदले न बदले लेकिन ज़मीनी स्तर तक एक सगंठन खड़ा करने में पीके ज़रूर सफल हो सकते हैं, जिसका लाभ उन्हें आगामी चुनावों में मिल भी सकता है, लेकिन पहले साल में ही खूंटा गाड़ने वाली स्थिति में नहीं आ सकेंगे। चूंकि प्रशांत किशोर को बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू चीफ नीतीश कुमार ने यही काम दिया था इसलिए वो जमीनी कार्यकर्ताओं के बल पर ढाई चाल चलकर कोई करिश्मा कर जाएं तो आश्चर्य नहीं होगा।
जब बिहार सीएम नीतीश ने पीके को बताया था बिहार का भविष्य
2018 में प्रशांत किशोर आधिकारिक तौर पर जेडीयू में शामिल हो गए। नीतीश कुमार ने उन्हें सीधे पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घोषित कर दिया। पीके अघोषित रूप से पार्टी में नंबर 2 माने जाने लगे. प्रशांत किशोर की जेडीयू में एंट्री के दौरान नीतीश कुमार ने कहा था, 'मैं आपको कहता हूं, प्रशांत किशोर भविष्य हैं.' सूत्रों की मानें तो पीके के बढ़ते सियासी कद से जेडीयू के कई नेताओं को चिंता में डाल दिया था. इन्हीं में एक नाम आरसीपी सिंह का भी था, जिन्होंने कभी नीतीश कुमार के राइट हैंड माने जाने वाले लल्लन सिंह को रिप्लेस किया था.
नीतीश को धमाकेदार जीत दिलाने के लिए पीके को मिला था इनाम
बिहार के 2015 चुनाव में पीके ने महागठबंधन (आरजेडी+जेडीयू+कांग्रेस) के प्रचार की जिम्मेदारी संभाली थी। इस चुनाव में बीजेपी को तगड़ी हार का सामना करना पड़ा। नीतीश कुमार बिहार के सीएम बने तो प्रशांत किशोर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। नीतीश के साथ प्रशांत किशोर की नजदीकियां बढ़ती गईं।
जब प्रशांत किशोर का यह बयान नीतीश को तीर की तरह चुभा गया
जदयू में उपाध्यक्ष रहते हुए पिछले साल प्रशांत किशोर ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि आरजेडी से गठबंधन तोड़ने के बाद नीतीश कुमार को नैतिक रूप से चुनाव में जाना चाहिए था न कि बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनानी चाहिए थी। प्रशांत किशोर का यह बयान नीतीश कुमार को तीर की तरह चुभा। मौके की नजाकत को समझते हुए आरसीपी सिंह ने लल्लन सिंह के साथ मिलकर पीके के खिलाफ ऐसी सियासी गोटियां सेट की कि नीतीश के आंखो के तारे बने प्रशांत किशोर कांटे की तरह चुभने लगे।
नीतीश पर पीके डाल रहे थे भाजपा से अलग होने का दबाव
पीके नीतीश कुमार पर लगातार भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ने का दबाव डाल रहे थे। उनका मानना था कि यदि जदयू अपने दम पर राज्य विधानसभा की 240 में से 80 से 90 सीटें जीत लेती है, तो राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई जा सकती है। लेकिन अमित शाह ने जदयू को बिहार में बड़े भाई का दर्जा देने का ऐलान कर पीके के मंसूबों को ठंडा कर दिया। माना जा रहा है कि अब जदयू 110, भाजपा 100 और लोजपा 30 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं।
बड़े बेआबरू होकर जदयू से निकाले गए प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के प्रचार की कमान संभाला और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। साथ ही नीतीश कुमार पर भी सवाल खड़े करने लगे। विवाद बढ़ता ही गया और आरोप-प्रत्यारोप दोनों ओर से लगाए जाने लगे। नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह के साथ मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को पार्टी में लिया गया है और उन्हें पार्टी से बाहर जाना है तो जा सकते हैं। इस पर पीके ने जवाब दिया कि झूठ मत बोलिए। इसके बाद बुधवार को नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर से किनारा करना ही बेहतर समझा और उन्हें पार्टी बाहर का रास्ता दिखा दिया।