बंगाल में भाजपा का विजय रथ रोकेंगे प्रशांत किशोर, टीएमसी नेताओं संग की सीक्रेट मीटिंग
नई दिल्ली। एनडीए के सहयोगी जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अब पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति बनाएंगे। इस सिलसिले में प्रशांत किशोर ने बुधवार को टीएमसी के कई सांसदों, प्रवक्ताओं और उन उम्मीदवारों से मुलाकात की जोकि लोकसभा चुनाव में हार गए। इस दौरान प्रशांत किशोर ने तमाम नेताओं से लोकसभा चुनाव में हार की वजह पर चर्चा की। जिस तरह से बंगाल में भारतीय जनता पार्टी ने टीएमसी को पटखनी दी है, उसके बाद टीएमसी ने प्रशांत किशोर को पार्टी का चुनावी रणनीतिकार बनाया है।
बंगाल में भाजपा का उदय
बता दें कि लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने महज 22 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि 2014 में पार्टी ने 34 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं भाजपा ने प्रदेश में शानदार प्रदर्शन करते हुए 18 सीटों पर जबरदस्त जीत दर्ज की। दिलचस्प बात यह है कि 2014 में भाजपा और टीएमसी के वोटों के अंतर में महज तीन फीसदी का अंत रहै, लेकिन सीटों के नंबर में दोनों दलों में काफी अंतर है। प्रशांत किशोर के साथ बैठक में तमाम पार्टी के नेता, पूर्व सांसद भी मौजूद रहे।
कई नेता थे मौजूद
बैठक के दौरान पार्टी के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन भी मौजूद थे, उनके अलावा पार्टी के सांसद प्रसून बनर्जी, अभिेषेक बनर्जी, सौगत रॉय, महुआ मोइत्रा, कल्याण बनर्जी, सुदीप बंदोपाध्याय भी इस बैठक में मौजूद थे। टीएमसी के सूत्रों के अनुसार बैठक में उन तमाम घटनाओं पर चर्चा की गई, जिसकी वजह से पार्टी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। वहीं बैठक में मौजूद कई सांसदों ने बैठक में शामिल होने से इनकार किया है। टीएमसी सांसद काकोली घोष ने कहा कि मैं बैठक में मौजूद नहीं थी, मैं अपने बेटे के साथ खाना खा रही थी, वहीं डेरेक ओर ब्रायन का कहना है कि इस तरह की कोई बैठक नहीं हुई है।
तमाम प्रवक्ता बदले गए
बता दें कि लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही पार्टी ने तमाम प्रवक्ताओँ की छुट्टी कर दी है। अब पार्टी के लिए राज्य में चंद्रिमा भट्टाचार्य, ब्रत्य बसु, सुवेंदु अधिकारी, राजिब बनर्जी अपनी बात रखेंगे। इससे पहले ममता बनर्जी ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि प्रशांत किशोर हमारी मदद करेंगे। लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर वाईएसआर कांग्रेस के लिए बतौर चुनावी रणनीतिकार काम किया था। प्रदेश में वाईएसआर ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी और प्रदेश में नई सरकार का गठन किया और चंद्रबाबू नायडू को सत्ता से बाहर किया।
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