नीतीश के BJP के साथ दोबारा गठबंधन पर प्रशांत किशोर ने उठाए सवाल, JDU में खलबली
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और रणनीतिकार प्रशांत किशोर के दिए गए बयान से बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो सकती है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि वे पार्टी प्रमुख और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के भाजपा के साथ दोबारा गठबंधन करने के तरीके से सहमत नहीं हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि महागठबंधन से अलग होने पर नीतीश कुमार को नए सिरे से जनादेश हासिल करना चाहिए था। प्रशांत किशोर के इस बयान से पार्टी में खलबली मच गई है।
JDU-BJP के गठबंधन पर प्रशांत किशोर का बड़ा बयान
प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू के दौरान ये बातें कहीं। वहीं, प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद जदयू के भीतर हलचलें तेज होने लगी हैं।उनकी अपनी ही पार्टी में नाराजगी है क्योंकि प्रशांत किशोर का यह इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा था। हालांकि प्रशांत किशोर ने कहा कि नेताओं का पाला बदलना कोई नई बात नहीं है। जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि आप एन चंद्रबाबू नायडू, नवीन पटनायक और डीएमके जैसी पार्टियों को देख लीजिए। और पीछे देखेंगे तो हमारे पास वी पी सिंह सरकार का भी उदाहरण है, जिसे भाजपा और वाम दलों दोनों ने ही समर्थन दिया था।
नए सिरे से जनादेश के लिए जाना चाहिए था- प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने कहा कि जुलाई, 2017 में महागठबंधन से अलग होने का नीतीश कुमार का फैसला सही था या नहीं, इसे मापने का कोई पैमाना नहीं है। जो लोग नीतीश कुमार में पीएम मोदी को चुनौती देने की संभावनाएं देखते थे, उनके इस कदम से वे निराश हुए। लेकिन जिनको लगता था कि पीएम मोदी से मुकाबला करने के उत्साह में शासन से समझौता किया, वे सही महसूस करेंगे।
'बीजेपी के साथ दोबारा गठबंधन के तरीके से सहमत नहीं'
उस पूरे प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, 'बिहार के हितों को ध्यान में रखते हुए ये मानना है कि यह सही था लेकिन उन्होंने जो तरीका अपनाया उससे सहमत नहीं हूं। मेरी अभी भी यही राय है कि भाजपा के साथ दोबारा गठबंधन के फैसले पर उन्हें आदर्श रूप से नया जनादेश हासिल करना चाहिए था।'
तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से असहज हुए थे नीतीश
बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के साथ काम किया था। बिहार के तत्कालीन डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों ने नीतीश कुमार को असहज किया और उनकी खूब आलोचना भी हुई। बाद में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि बीजेपी के समर्थन से 24 घंटे के भीतर नीतीश कुमार ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी।