प्रशांत किशोर बंगाल के पांच लाख युवाओं को देंगे ट्रेनिंग, प्रशिक्षण के बाद किसी भी पार्टी से जुड़ने की छूट
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में जिस तरह से ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को हार का सामना करना पड़ा उसके बाद पार्टी प्रदेश में फिर से अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुट गई है। इसके लिए पार्टी चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से संपर्क किया था। हालांकि इसका आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर प्रदेश में टीएमसी को फिर से मजबूत करने के लिए पुख्ता रणनीति बना रहे हैं। इसी के मद्देनजर उन्होंने पश्चिम बंगाल में पांच लाख युवाओं को राजनीतिक में लाने का लक्ष्य बनाया है। दरअसल बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में टीएमसी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है कि वह भाजपा की चुनौती का सामना कर सके।
हर रोज पांच हजार युवा शामिल हो रहे
प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल में राजनीति में युवा अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत हर रोज पांच हजार लोगों को इस अभियान के तहत जोड़ा जा रहा है। लेकिन पीके टीम का लक्ष्य है कि वह इस संख्या को बढ़ाकर हर रोज 10 हजार तक पहुंचाना चाहती है। इस वर्ष के सितंबर माह तक पीके की टीम पांच लाख युवाओं को राजनीति में लाना चाहती है। इसके बाद इन तमाम युवाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी जोकि अगले 15 महीनों तक चलेगी। इस अभियान के तहत इस ट्रेनिंग में कोई भी हिस्सा ले सकता है और फिर वह जिस पार्टी का हिस्सा बनना चाहे बन सकता है।
दी जाएगी ट्रेनिंग
हालांकि युवाओं का रजिस्ट्रेशन सीधे तौर टीएमसी के लिए नहीं किया जा रहा है। लेकिन पीके की टीम का मानना है कि ये पांच लाख युवा आने वाले दिनों में टीएमसी की ही ताकत बनेंगे। यहां तक कि टीएमसी भी पीके के इस अभियान को आगे बढ़ा रही है। सोशल मीडिया पर टीएमसी की ओर से इस अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है। इससे पहले प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। उन्होंने जून माह में दो बार ममता से मुलाकात की थी। जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि आने वाले चुनाव का जिम्मा ममता बनर्जी पीके को दे सकती हैं।
क्यों बदला वोटर का रुख
रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत किशोर की टीम पश्चिम बंगाल में इस बात का आंकलन करेगी कि आखिर क्यों बंगाल में वोटर का मूड बदला। उनकी टीम इस बात का भी आंकलन करेगी कि क्या वोट स्विंग की वजह जाति, आदिवासी, हिंदी भाषा है या कुछ और। बता दें कि पश्चिम बंगाल में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 42 में से 18 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि टीएमसी ने 22 सीटों पर जीत दर्ज की है। प्रदेश में टीएमसी और भाजपा के बीच हिंसक झड़प भी देखने को मिली।
पीके के कई सफल अभियान
गौर करने वाली बात है कि प्रशांत किशोर ने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी अभियान संभाला था। इससे पहले हाल ही के चुनाव में उन्होंने आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के लिए चुनावी जिम्मा संभाला था। जगन मोहन की पार्टी वाईएसआरसी को 25 में से 22 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी। जबकि विधानसभा की कुल 175 में से 151 सीटों पर प्रचंड जीत मिली थी। पीके ने बिहार में आरजेडी, जदयू को 2015 के विधानसभा चुनाव में एक साथ लाने में भी अहम भूमिका निभाई थी।
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