जब सांसद बनते ही प्रणब मुखर्जी की बहन ने कर दी थी भाई के राष्ट्रपति बनने की भविष्यवाणी
नई दिल्ली: देश के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. प्रणब मुखर्जी का सोमवार देर शाम निधन हो गया। 20 दिन पहले उनकी ब्रेन सर्जरी हुई थी। इसके साथ ही वो कोरोना वायरस से भी संक्रमित हो गए थे। ऑपरेशन के बाद से ही उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। जिस वजह से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। किसी जमाने में इंदिरा गांधी प्रणब मुखर्जी के राजनीतिक कौशल से बहुत प्रभावित थीं। जिसके बाद वो उन्हें राजनीति में ले आईं। राजनीति में आते ही प्रणब दा की बहन ने उनके राष्ट्रपति बनने की भविष्यवाणी कर दी थी।
घोड़े देख हैरान रह गए डॉ. मुखर्जी
दरअसल जब प्रणब मुखर्जी नए-नए सांसद बने थे, तो अपने आवास के बरामदे में बैठे थे। उनके बगल उनकी बहन भी थीं। तभी अचानक वहां से राष्ट्रपति भवन के घोड़े गुजरे। इस पर उन्होंने घोड़ों को बड़े ही ध्यान से देखा। इसके बाद अपनी बहन से मजाक में कहा कि वो चाहते हैं कि अगले जन्म में राष्ट्रपति भवन में घोड़े बनें। इतना कहने के बाद वो मुस्कुराने लगे।
सच साबित हुई भविष्यवाणी
डॉ. मुखर्जी की बहन अन्नपूर्णा बनर्जी उनसे दस साल बड़ी थीं। वो पहले अपने भाई की इस चाहता को सुनकर मुस्कुराईं और फिर एक भविष्यवाणी कर दी। उन्होंने कहा कि अगले जन्म की बात छोड़ो तुम इसी जन्म में ही भारत के राष्ट्रपति बनोगे। आखिरकार सालों बाद उनकी बहन की भविष्यवाणी सच साबित हुई और उनका छोटा भाई 25 जुलाई 2012 को भारत का राष्ट्रपति बना।
पोलटू था बचपन का नाम
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल में हुआ था। बचपन में प्रणब दा को सब प्यार से पोलटू बुलाया करते थे। प्रणब दा ने बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर कोलकाता यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में एमए और एलएलबी की डिग्री ली। करियर के शुरुआती दौर में डॉ. मुखर्जी कोलकाता के डिप्टी अकाउंटेंट जनरल के ऑफिस में क्लर्क हुआ करते थे, इसलिए उन्हें लोग बड़े बाबू बुलाया करते थे। इसके बाद वो 1963 में विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर भी रहे।
ऐसा था राजनीतिक जीवन
प्रणब दा ने कुछ समय के लिए पत्रकारिता भी की। 1969 में वो अजय मुखर्जी की अध्यक्षता वाली बांग्ला कांगेस में शामिल हुए, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नजर उन पर पड़ी। इसके बाद प्रणब ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। प्रणब मुखर्जी को पहली बार जुलाई 1969 में राज्यसभा के लिए चुना गया था। उसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के सदस्य रहे।
जब बने कांग्रेस के संकटमोचन
प्रणब दा 1980 से 1985 तक राज्यसभा में सदन के नेता भी रहे। इसके बाद उन्होंने मई 2004 में लोकसभा का चुनाव जीता। माना जाता है कि यूपीए सरकार में प्रणब मुखर्जी के पास सबसे ज्यादा जिम्मेदारियां थीं। उन्होंने वित्त मंत्रालय संभालने के अलावा बहुत से मंत्रिमंडलीय समूह का नेतृत्व भी किया। साल 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वर्ष 1996 से लेकर 2004 तक केंद्र में गैर-कांग्रेसी सरकार रही लेकिन 2004 में यूपीए के सत्ता में आने के बाद से ही प्रणब मुखर्जी सरकार और पार्टी के संकटमोचक के तौर पर काम करते रहे।