कोरोना संक्रमित होने के कारण प्रणब मुखर्जी के पार्थिव शरीर को वैन में लाया गया लोधी रोड, हुआ कोविड प्रोटोकॉल का पालन
नई दिल्ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 31 अगस्त को दुनिया को अलविदा कहा दिया, वो लंबी बीमारी से जूझ रहे थे, बता दें कि 84 साल के प्रणब मुखर्जी की हाल ही में ब्रेन सर्जरी हुई थी जिसके बाद से वो गहरे कोमा में थे, वो कोरोना संक्रमित भी थे लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद प्रणब दा को बचाया नहीं जा सका। देश के लोकप्रिय नेता प्रणब मुखर्जी के निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है, केंद्र सरकार ने भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।
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कोविड प्रोटोकॉल का पालन
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अंतिम संस्कार आज लोधी गार्ड में हुआ, जहां बेटे अभिजीत मुखर्जी ने सारे संस्कार पूरे किए हैं। प्रणब दा कोरोना पॉजिटिव थे, इसलिए उनके अंतिम संस्कार में एसओपी का पालन किया गया और उनके पार्थिव शरीर को गन कैरिज की जगह वैन में रखकर श्मशान घाट लाया गया।
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आसमानी व्यक्तित्व वाला नेता थे प्रणब दा
मालूम हो कि प्रणब दा को लोग आसमानी व्यक्तित्व वाला नेता कहते थे, जो कि जमीन से जुड़ा रहता था, कांग्रेस के संकटमोचक कहलाने वाले प्रणव मुखर्जी देश के लोकप्रिय नेताओं में शामिल थे। वह देश के 13वें राष्ट्रपति थे, प्रणब मुखर्जी को पहली बार जुलाई 1969 में राज्य सभा के लिए चुना गया था।
पंचतत्व में विलीन 'प्रणब दा'
उसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्य सभा के लिए चुने गए। वे 1980 से 1985 तक राज्य में सदन के नेता भी रहे। मुखर्जी ने मई 2004 में लोक सभा का चुनाव जीता और तब से उस सदन के नेता थे।
भारत रत्न से सम्मानित
मुखर्जी ने मई 2004 में लोक सभा का चुनाव जीता और तब से उस सदन के नेता थे। माना जाता है कि यूपीए सरकार में प्रणब मुखर्जी के पास सबसे ज़्यादा जिम्मेदारिया थीं। उन्होंने वित्तमंत्रालय संभालने के अलावा बहुत से मंत्रिमंडलीय समूह का नेतृत्व भी किया। साल 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
दो मिनट का मौन
आज मोदी कैबिनेट की बैठक में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी गई, इस दौरान कैबिनेट के सभी सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखा गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणब मुखर्जी जी ने दशकों से राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए अथक प्रयास किया, सरकार में हो या विपक्ष में, उन्होंने सभी को साथ लिया, उनके अपार योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
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