Pranab Mukherjee Passed Away: 10 राजाजी मार्ग जाकर PM मोदी ने दी 'प्रणब दा' को श्रद्धांजलि
नई दिल्ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को दुनिया को अलविदा कहा दिया, वो लंबी बीमारी से जूझ रहे थे, बता दें कि 84 साल के प्रणब मुखर्जी की हाल ही में ब्रेन सर्जरी हुई थी जिसके बाद से वो गहरे कोमा में थे, वो कोरोना संक्रमित भी निकले थे लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद प्रणब दा को बचाया नहीं जा सका। देश के लोकप्रिय नेता प्रणब मुखर्जी के निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है, केंद्र सरकार ने भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।
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PM मोदी ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
आज दिल्ली में दोपहर 2.30 बजे लोधी श्मशान घाट पर प्रणब दा का अंतिम संस्कार किया जाएगा। अभी उनके उनके आवास पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं, जिसमें कई राजनेता भी शामिल हैं, अब से थोड़ी देर पहले पीएम नरेंद्र मोदी भी 10 राजाजी मार्ग पहुंचे और उन्होंने प्रणब मुखर्जी की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पण की।
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प्रणब दा को पिता तुल्या मानते थे पीएम मोदी
आपको बता दें कि विरोधी दल के होने के बावजूद प्रणब दा के देश के पीएम नरेंद्र मोदी से काफी मधुर संबंध रहे, मोदी के लिए प्रणब दा पिता तुल्य थे,उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास पथ पर एक अमिट छाप छोड़ी है। एक विद्वान व्यक्ति उत्कृष्टता, एक विशाल राजनेता, वह राजनीतिक स्पेक्ट्रम और समाज के सभी वर्गों द्वारा उनकी प्रशंसा की गई, उनका जाना काफी दुखद है।
पश्चिम बंगाल में भी राजकीय शोक
मालूम हो कि प्रणब मुखर्जी के निधन पर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने भी आज राज्य में एक दिन का शोक घोषित किया है इसलिए आज सभी सरकारी दफ्तर बंद हैं, राज्य पुलिस दिवस समारोह भी 2 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया गया है।
'प्रणब मुखर्जी बेहद उदार और दयालु थे'
तो वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक जताते हुए कहा है कि उनके जाने से एक खालीपन से आ गया है, वह उदार और दयालु थे, जो बातचीत के दौरान यह नहीं जाहिर होने देते थे कि मैं भारत के राष्ट्रपति से बात कर रहा हूं, गैरों को अपना बनाना उन्हें बखूबी आता था।
भारत रत्न से सम्मानित थे प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी को पहली बार जुलाई 1969 में राज्य सभा के लिए चुना गया था। उसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्य सभा के लिए चुने गए। वे 1980 से 1985 तक राज्य में सदन के नेता भी रहे। मुखर्जी ने मई 2004 में लोक सभा का चुनाव जीता और तब से उस सदन के नेता थे। माना जाता है कि यूपीए सरकार में प्रणब मुखर्जी के पास सबसे ज़्यादा जिम्मेदारिया थीं। उन्होंने वित्तमंत्रालय संभालने के अलावा बहुत से मंत्रिमंडलीय समूह का नेतृत्व भी किया। प्रणब दा को लोग आसमानी व्यक्तित्व वाला नेता कहते थे, जो कि जमीन से जुड़ा रहता था, कांग्रेस के संकटमोचक कहलाने वाले प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति थे, साल 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।