JNU हिंसा: ब्रिटेन के अखबार में छपी खबर पर भड़के जावड़ेकर, बोले- भारत के टूटने का अनुमान लगाना बंद करें
नई दिल्ली। देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जेएनयू में हुई हिंसा का वीडियो सोशल मीडिया के सहारे पूरी दुनिया तक में पहुंच गया है। भारतीय मीडिया की ही तरह विदेशी मीडिया ने भी इसे कवर किया। लेकिन ब्रिटेन के एक अखबार ने जिस तरह इस पूरे घटनाक्रम को लिखा है उसकी आलोचना हो रही है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों पर हमला करने वाली नकाबपोश भीड़ को 'राष्ट्रवादी' कहने के लिए ब्रिटेन के एक अखबार की सोमवार को तीखी आलोचना की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हर मौके पर भारत के टूटने का अनुमान लगाना बंद करें।
ब्रिटिश अखबार पर बरसते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट कर जावड़ेकर ने कहा, 'मैं जानता हूं कि भारत को समझने की आपसे उम्मीद लगाना थोड़ा ज्यादा होगा, लेकिन आप एक कोशिश कर सकते हैं। आप कोई भी मौका मिलने पर भारत के टूटने का अनुमान लगाना बंद करें। भारत विविधता वाला लोकतंत्र है और यह मजबूती से उभर कर आने के लिए सभी मतभेदों को साथ लेकर चलता है।'
अखबार को टैग करते हुए उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि दुनियाभर के प्रौद्योगिकीविद् आपकी प्रौद्योगिकी पाने के इच्छुक होंगे, जो नकाबपोश भीड़ को डिकोड कर 'राष्ट्रवादी' बताते हैं। एक बात और, हमारे देश के सभी विश्वविद्यालय एवं संस्थान धर्मनिरपेक्ष हैं। आपको बता दें कि ब्रिटेन के अखबार में जेएनयू में रविवार रात हुई हिंसा के लिए शीर्षक दिया गया था- 'राष्ट्रवादी भीड़ ने दिल्ली के धर्मनिरपेक्ष विश्वविद्यालय में उपद्रव किया।'
दिल्ली पुलिस पर उठे सवाल
मीडिया में आई खबरों में जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों के हवाले से कहा गया है कि जब ये नकाबपोश बर्बरता कर रहे थे तो पुलिस बाहर खड़ी थी। उनका आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने नक़ाबपोशों को रोकने की कोशिश तक नहीं की। इस दौरान ये नकाबपोश पत्रकारों को भी धमकाते रहे, उनके साथ मारपीट की और जितनी गुंडई वे कर सकते थे, उन्होंने की। इस गुंडई के खिलाफ देश भर के कई विश्वविद्यालयों के छात्र सड़क पर उतरे हैं और उन्होंने इसे जेएनयू पर हमला नहीं बल्कि देश के संविधान पर हमला बताया है।