जानिए रक्षा मंत्रालय की सलाहकार समिति क्या काम करती है जिसमें शामिल हुईं हैं प्रज्ञा ठाकुर
नई दिल्ली। गुरुवार को भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर एक बार फिर से विवादों में आ गईं। उन्हें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति में जगह मिली है। इस खबर के आते ही मानो भूचाल सा आ गया। मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी प्रज्ञा को बीजेपी के राज्यसभा सांसद सीपी ठाकुर की जगह समिति में जगह मिली हैं। जिस समिति में ठाकुर शामिल हैं उसमें कुल 21 सदस्य हैं जिसमें विपक्ष के कई नेता शरद पवार और फारूख अब्दुल्ला प्रमुख जैसे नाम शामिल हैं।
क्या है इस सलाहकार समिति का जिम्मा
संसदीय समिति पर जिम्मा होता है कि वह संसद के दोनों सदनों के लिए सलाहकार समितियों की मीटिंग का इंतजाम करे। कई नीतियों और कार्यक्रमों पर केंद्र और विभिन्न सांसदों के बीच अनौपचारिक चर्चा का आयोजन इस समिति का अहम जिम्मा होता है। इस प्रकार की समितियों की मीटिंग संसद के सत्रों के दौरान चर्चा के दौरान तो हो ही सकती हैं साथ ही साथ जब संसद का सत्र नहीं चल रहा हो तो भी इस प्रकार की मीटिंग्स को बुलाया जा सकता है।
कैसे तय होता है एजेंडा
इस प्रकार की समिति में राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों के 40 सदस्य हो सकते हैं। इसकी मीटिंग का एजेंडा कमेटी के चेयरमैन की तरफ से तय किया जाता है। वर्तमान समय में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसके चेयरमैन हैं। एजेंडा तय करते समय चेयरमैन या तो उन सुझावों पर ध्यान देते हैं जो सदस्यों की तरफ से उन्हें दिए जाते हैं या फिर मुलाकात के दौरान मेंबर्स से सलाह करके इनका निर्धारण किया जाता है।
चुनावों से ही विवादों में प्रज्ञा
प्रज्ञा ठाकुर को जब से पार्टी की तरफ से लोकसभा चुनावों में का टिकट दिया गया था, वह उस समय से ही विवादों में हैं। ठाकुर उस समय पहली बार विवादों में आ गई थीं जब उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोंडसे को देशभक्त करार दिया था। उनके इस बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई थी। उन्होंने कहा था कि गोंडसे को 'सच्चा देशभक्त' बताकर महात्मा गांधी का अपमान करने के लिए ठाकुर को वह कभी भी माफ नहीं कर सकते हैं।
31 अक्टूबर को आया नोटिफिकेशन
इस सलाहकार समिति को संसदीयकार्य मंत्रालय की तरफ से निर्धारित किया जाता है। सूत्रों की मानें तो जो भी सलाह इस कमेटी की तरफ से दी जाती है, उसे मानने के लिए कोई भी बाध्य नहीं है। इससे जुड़ा नोटिफिकेशन 31 अक्टूबर को जारी किया गया था।