प्रद्युम्न मर्डर केस: 'एक पिता ने अपना बेटा खोया, लेकिन मेरे बेटे को बचा लिया'
नई दिल्ली। प्रद्युम्न मर्डर केस में आरोपी बनाए गए बस कंडक्टर अशोक की मां केला दवी ने बरुण ठाकुर के प्रति कृतज्ञता जाहिर की है जिनकी वजह से वो अपने बेटे को जेल से बाहर आते हुए देख सकेंगी। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक केला देवी ने कहा, 'बरुण ठाकुर (प्रद्युमन के पिता) ने अपना बेटा खो दिया है लेकिन उन्होंने मेरे बेटे को बचा लिया। मैं हमेशा उनके और उनके परिवार के न्याय के लिए लिए गए स्टैंड के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहूंगी।'
थाने के चक्कर लगाता रही अशोक की मां
बता दें कि 8 सितंबर को गुरुग्राम के रायन इंटरनेशन स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले प्रद्युम्न की हत्याके मामले में पुलिस ने बस कंडक्टर अशोक को मुख्य आरोपी बनाते हुए गिरफ्तार किया था। लेकिन प्रद्युम्न के पिता, बरुण ठाकुर इस पुलिसिया जांच से संतुष्ट नहीं थे। बरुण ठाकुर ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की। अशोक की गिरफ्तारी के बाद से ही उसका परिवार लगातार थाने जाकर उसके बेगुनाह होने की बात कहता रहा लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी। अशोक के परिवार को राहत तब मिली जब सीबीआई ने इस मामले में 11वीं कक्षा के एक छात्र को मुख्य आरोपी बताते हुए गिरफ्तार किया। मिली जानकारी के मुताबिक छात्र ने पद्युमन के हत्या की बात भी कबूल ली है।
जीवन भर अशोक ने किया मुश्किलों का सामना
अशोक की मां केला देवी ने कहा, 'अशोक अपने पूरे जीवन में परिवार का ख्याल रखने के लिए मुश्किलों का सामना करता रहा है। उसका एक ही सपना था कि परिवार के लिए एक छोटा सा घर बना सके और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवा सके।' केला देवी ने कहा, 'उसकी गिरफ्तारी के बाद अभी घर में क्या हालात है इस बारे में मैंने उसे अभी तक कुछ नहीं बताया है।'
अशोक के बेटे को उम्मीद- जल्द आएंगे पापा
अशोक के दो बेटें हैं। बड़े बेटे की उम्र 8 साल है जबकि छोटा 5 साल का है। अशोक के दोनों बेटों को उम्मीद है कि उसके पिता जल्द ही घर लौटेंगे। अपनी दादी के गोदी में बैठे अशोक के बड़े बेटे ने कहा, 'वह रोज शाम को 5 बजे घर आने के बाद हमारे साथ वक्त बिताते थे। वह घर आते ही मुझे गोदी में उठा लेते थे और पड़ोस की दुकान पर मुझे टॉफी दिलाने के लिए ले जाया करते थे।' शुक्रवार को अशोक से जेल में मिलकर लौटी उसकी पत्नी ममता ने कहा, 'वो काफी भावुक थे। मैं जब भी उनसे मिलने जाती वो मुझे देखकर रोने लगते और मुझसे दोनों हाथ जोड़कर कहते है कि मैं बेगुनाह हूं।'
कौन करेगा इसकी भरपाई?
ममता ने बताया कि अशोक अपने परिवार से काफी ज्यादा प्यार करते हैं। परिवार का ख्याल रखने के लिए अशोक ने लगभग 10 सालों तक 100 रुपये की दिहाड़ी पर मजदूरी की है। बाद में वो ऑटोरिक्शा चलाने लगे और इधर कुछ सालों से रायन स्कूल में 7000 रुपये महीने की तनख्वाह पर बस कंडक्टर बन कर परिवार की रोजी रोटी चला रहे थे। ममता ने कहा, '8 सितंबर को उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही परिवार को रोज का खर्चा चलाने के लिए ही संघर्ष करना पड़ रहा है। यहां तक कि मेरे पास अपने बच्चों के विंटर यूनिफॉर्म खरीदने के लिए भी पैसे नहीं है। हम रोज के खाने के लिए गांव वालों पर निर्भर हैं। इस सबका भरपाई कौन करेगा?'
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