ईश्वर न करे आपके राज्य का हो आंध्र प्रदेश जैसा हाल!
हैदराबाद। आंध्र प्रदेश के विभाजन के विरोध में तटीय शहरों और रायलसीमा में बिजली कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। आलम यह है कि एक दर्जन से ज्यादा शहर व सैंकड़ों गांव अंधेरे में डूब गये हैं। ट्रेनें जिस स्टेशन तक पहुंची थीं, वहीं रुक गई हैं। बसों का किराया आसमान छू रहा है। अस्पतालों में बिजली नहीं होने के कारण मरीज बेहाल हैं, तमाम मरीज अस्पताल छोड़-छोड़ कर भाग रहे हैं। बच्चे अंधेरे में होमवर्क कर रहे हैं, तो डॉक्टर इलाज। यूं कहिये कि आंध्र प्रदेश का अधिकांश भाग मोमबत्ती के सहारे जीवित है।
एक तरफ चंद्र बाबू नायडू तो दूसरी तरफ जगन मोहन रेड्डी अनिश्चितकालीन अनशन पर बैटे हुए हैं। अनशन के चलते उनके समर्थक सड़कों पर उतर चुके हैं। जगह-जगह प्रदर्शन भी जारी हैं। वर्तमान स्थिति को देखते हुए यही लगता है कि हालात सामान्य होने में समय लग सकता है।
तटीय शहरों में लगातार तीसरे दिन गुरुवार को भी कई रेलगाड़ियां रद्द की गई हैं। विशाखापटनम से निकलने वाली कई एक्सप्रेस ट्रेनों समेत लगभग 20 रेलगाड़ियां रद्द कर दी गईं। रद्द की गई रेलगाड़ियों में विशाखा-सिकंदरबाद जन्मभूमि एक्सप्रेस, विशाखा-तिरुपति तिरुमाला एक्सप्रेस, विशाखा-सिकंदराबाद गरीब रथ, विशाखा-हैदराबाद गोदावरी एक्सप्रेस, विशाखा-सिकंदराबाद दुरंतो एक्सप्रेस और विशाखा-निजामुद्दीन लिंक एक्सप्रेस रेलगाड़ियां शामिल हैं। दक्षिण मध्य रेलवे ने विशाखा-विजयवाड़ा रत्नाचल एक्सप्रेस, कोरापुट-विशाखा इंटरसिटी एक्सप्रेस, विशाखा-नांदेड़ एक्सप्रेस, विशाखा-गुंटुर और अन्य यात्री गाड़ियां रद्द कर दी हैं।
उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश में विशाखापटनम और विजयनगरम के बीच रेलगाड़ियां हड़ताल से सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं। कई रेलगाागाड़ियां अलग-अलग स्टेशनों पर रुकी हुई हैं जिससे यात्रियों को परेशानी हो रही है। ग्रिड से रेलवे को होने वाला विद्युत प्रसार भी प्रभावित हुआ है और इसे देखते हुए रेलवे ने विजयवाड़ा रेलखंड की कई रेलगाड़ियां रद्द कर दी हैं। विशाखापटनम से विजयवाड़ा जाने वाली सभी मालगाड़ियों को भी रद्द कर दिया गया है। रेल प्रशासन कुछ महत्वपूर्ण रेलगाड़ियों को डीजल इंजन के सहारे चला रहा है।
प्रदेश के इस हाल को देखते हुए कोई भी होगा यही कहेगा कि काश मेरे राज्य का हाल कभी भी ऐसा नहीं हो। आगे का हाल तस्वीरों में:
विशाखापट्नम का हाल
आप विशाखापट्नम शहर को देख सकते हैं, किस तरह पूरा शहर अंधेरे में डूबा हुआ है।
वाहनों से रौशनी
शहर में इस समर्य अगर उजाला दिखाई दे रहा है तो वो सिर्फ वाहनों की हेडलाइट और मोमबत्त्यिों से है।
कैसे पढ़ रहे होंगे बच्चे
इस शहर में अंधेरे को देखते हुए आप भी इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां बच्चे कैसे पढ़ाई कर रहे होंगे।
प्लेटफॉर्म का हाल
आंध्रा के अधिकांश स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म का हाल कुछ ऐसा ही है।
फंस गये लोग
रेलवे स्टेशनों पर लोग फंसे हुए हैं, क्योंकि ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं।
फंस गये लोग
रेलवे स्टेशनों पर लोग फंसे हुए हैं, क्योंकि ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं।
खाली हुई ट्रेनें
रद्द होने के बाद जो ट्रेन जहां थी वहीं खड़ी हो गई और सभी लोग उतर गये।
एसी हो या स्लीपर
एसी हो या स्लीपर सभी का एक जैसा हाल।
खाली डिब्बे
ट्रेनों के खाली होने के बाद स्टेशनों पर भीड़ बढ़ गई है।
खाली हुई ट्रेनें
रद्द होने के बाद जो ट्रेन जहां थी वहीं खड़ी हो गई और सभी लोग उतर गये।
प्लेटफॉर्म का बुरा हाल
रेलवे स्टेशनों के प्लेटफॉर्म का बुरा हाल है। यहां साफसफाई भी ठीक से नहीं हो पा रही है।
प्लेटफॉर्म पर बिलख रहे बच्चे
तमाम परिवार ऐसे हैं, जिनके बच्चे प्लेटफॉर्म पर बिलख रहे हैं।
स्टेशनों पर रेलवे ट्रैक
तटीय क्षेत्रों में लगभग सभी स्टेशनों पर रेलवे ट्रैक खाली पड़े हैं।
डीजल इंजन का सहारा
कई ट्रेनें जो चल भी रही हैं, वो डीजल इंजन के सहारे हैं।
प्लेटफॉर्म पर इंतजार
जो ट्रेनें चल रही हैं, उनके इंतजार में भारी भीड़ देखने को मिल रही है।
प्लेटफॉर्म पर बिलख रहे बच्चे
तमाम परिवार ऐसे हैं, जिनके बच्चे प्लेटफॉर्म पर बिलख रहे हैं।
प्लेटफॉर्म पर इंतजार
जो ट्रेनें चल रही हैं, उनके इंतजार में भारी भीड़ देखने को मिल रही है।
खचाखच भरी ट्रेन
आंध्र में जो ट्रेनें चल रही हैं उनका हाल यह है कि डिब्बे खचाखच भरे हुए हैं।
ट्रेन में सीट नहीं
आंध्र में तमाम ट्रेनों में तो जनरल से लेकर एसी डिब्बों का यही हाल है।
यात्रियों का बुरा हाल
जो यात्री ट्रेन में हैं और ट्रेन आगे चल नहीं रही है, उनका बहुत बुरा हाल है।
डीजल इंजन का सहारा
आंध्र में अब डीजल इंजन का ही सहारा है इस समय।
अस्पताल में मरीज बेहाल
तटीय आंध्रा के अधिकांश अस्पतालों में बत्ती गुल होने के कारण मरीज बेहाल हैं।
मोमबत्ती में हो रहा इलाज
आंध्र के अस्पतालों में तमाम मरीजों का मोमबत्ती में इलाज हो रहा है।
मरीज छोड़कर भागे
तमाम अस्पतालों में तो मरीज घर चले यगे।
अंधेरे में मौत
इस अस्पताल में बिजली नहीं होने की वजह से अब तक तीन मरीजों की मौत हो चुकी है।
मरीज बेहाल
अस्पतालों में ठीक ढंग से इलाज नहीं मिल पाने पर मरीज बेहाल हैं।
मोमबत्ती जुलूस
तेलंगाना को अलग किये जाने के विरोध में कैंडल मार्च।
नहीं चाहते तेलंगाना को अलग करना
ये लोग तेलंगाना से अलग नहीं होना चाहते हैं।