कोरोना के लिए कितनी असरदार हैं रेमडेसिविर सहित ये चार दवाईयां, ICMR ने दिया इस सबसे बड़े सवाल का जवाब
नई दिल्ली। आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने मंगलवार को कहा कि डब्ल्यूएचओ एकजुटता परीक्षण 30 देशों का परीक्षण है, जिसमें भारत सहभागी है और इसके अंतरिम परिणाम वेबसाइट पर डाले गए हैं। इसकी समीक्षा अभी तक नहीं की गई है। भार्गव ने कहा कि इन दवाओं को लेकर जितना अपेक्षा की गई थी ये उतना बेहरत काम नहीं कर रही हैं। गौरतलब है कि हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि कोरोना उपचार में उपयोग की गई दवाओं रेमडेसिविर, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, लोपिनाविर/रिटोनाविर और इंटरफेरोन का कोविड-19 मरीजों पर या तो बेहद कम असर हुआ अथवा बिल्कुल भी कारगर साबित नहीं हुईं।
डब्ल्यूएचओ का कहना था कि कोरोना उपचार को लेकर विश्व भर में बड़े स्तर पर किए गए अलग-अलग अध्ययन से इस बात के 'निर्णायक साक्ष्य' मिले कि गंभीर रूप से बीमार लोगों पर रेमडेसिविर दवा का बेहद कम प्रभाव रहा। मतलब यह बिल्कुल भी कारगर साबित नहीं हुई। इस दौरान डॉ. भार्गव ने लोगों से मास्क पहनना जारी रखने और देश में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए उचित व्यवहार का पालन करने की अपील की। ICMR के चीफ ने बताया कि कोरोनोवायरस संक्रमण के मुख्य लक्षण में बुखार, खांसी और सांस फूलना शामिल है।
उन्होंने कहा, "किसी भी संक्रमण के बाद शरीर में एंटीबॉडी विकसित होती हैं। कोरोना वायरस के मामले में भी यह देखा गया है कि एंटीबॉडी कम से कम पांच महीने तक रहती हैं। कोविड-19 वायरस अभी भी विकसित हो रहा है और हम इसके बारे में ज्यादा सीख रहे हैं। अगर पांच महीने के भीतर एक व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी घट जाती हैं, तो फिर से संक्रमण की संभावना है और वह व्यक्ति COVID-19 से दोबारा संक्रमित हो सकता है। इसलिए किसी को एक बार बीमारी होने के बाद भी मास्क पहनने जैसी सावधानी बरतनी जरूरी है।"
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