पीएम मोदी के मंत्रिपरिषद का विस्तार संभव, ये नए चेहरे बन सकते हैं मंत्री
नई दिल्ली- बिहार में भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदों के मुताबिक कामयाबी पा ली है। 9 राज्यों में उप चुनाव भी संपन्न हो चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात से लेकर मणिपुर तक और उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक अपना जलवा कायम रखा है। एमपी में तो उसने शिवराज सिंह चौहान की सरकार में स्थायीत्व कायम कर दी है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिपरिष्द में विस्तार और फेरबदल की चर्चाएं भी जोड़ पकड़ने लगी हैं। इसकी वजह ये है कि केंद्र में कई मंत्री पद खाली हैं। पीयूष गोयल, नरेंद्र सिंह तोमर और प्रकाश जावड़ेकर के पास अतिरिक्त मंत्रालयों की जिम्मेदारियां हैं। अगले साल असम और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। यही वजह है कि आने वाले कुछ हफ्तों में मोदी सरकार में कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है।
मोदी सरकार में फेरबदल की चर्चा कई महीनों से चल रही है, लेकिन अब लग रहा कि यह मध्य दिसंबर से पहले ही हो सकता है। बिहार चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद उप मुख्यमंत्री पद पर जिस तरह से सुशील कुमार मोदी की जगह दूसरे विधायकों की प्लेसमेंट की गई है, उससे लगता है कि उनका केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होना लगभग तय है। वह खुद भी नई पारी शुरू करने का संकेत दे चुके हैं और पार्टी भी बिहार में नई राजनीति की दिशा तय करने के लिए अब उनके कंधों पर ज्यादा बोझ डालने के लिए तैयार नहीं है। अक्टूबर में लोजपा नेता राम विलास पासवान के निधन से खाद्य और उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय भी खाली पड़ा है और उनकी बिहार से राज्यसभा सीट पर भी चुनाव होना है और दोनों ही जगहों के लिए सुशील मोदी फिट बैठ सकते हैं।
सुशील मोदी से पहले से ही जो एक नाम सबसे ज्यादा संभावितों में से है, वह है पूर्व कांग्रेस नेता और भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का। उनके प्रताप से मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी सुरक्षित हुई है और कांग्रेस और कमलनाथ के हाथों से सत्ता अब पूरी तरह से फिसल चुकी है। ग्लावियर-चंबल संभाग में कांग्रेस के बागियों की उप चुनाव में जीत सुनिश्चित करवाकर सिंधिया ने यह फिर साबित किया है कि वो आज भी इलाके में जनता के दिलों के 'महाराज' हैं। वो कांग्रेस के जमाने में भी मंत्री रह चुके हैं, इसलिए उन्हें एक महत्वपूर्ण मंत्रालय मिलने की संभावना है।
इनके अलावा असम और पश्चिम बंगाल के कुछ सांसदों को भी मंत्रिपरिषद में जगह मिल सकती है। इन राज्यों में 2021 के मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में भी होने हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पश्चिम बंगाल की 42 में से 18 सीटों पर जीती थी। आने वाले विधानसभा चुनाव में वह 294 सीटों में से 200 से ज्यादा सीटों पर जीत का लक्ष्य लेकर चल रही है। एक तरह से पार्टी ने बंगाल का चुनाव अभियान अभी से शुरू कर दिया है। ऐसे में केंद्र सरकार में राज्य का प्रतिनिधित्व बढ़ने की पूरी संभावना है। संभावना है कि मंत्रिपरिषद विस्तार में लॉकेट चटर्जी को कोई अहम जिम्मेदारी मिल सकती है।
मोदी मंत्रिपरिषद में आज एनडीए के प्रतिनिधि के नाम पर सिर्फ आरपीआई के रामदास अठावले ही बच गए हैं। शिवसेना एक साल पहले जा चुकी है। शिरोमणि अकाली दल ने कृषि कानूनों पर गुलाटी मारी है। कर्नाटक से सांसद और रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी की कोरोना से निधन के बाद वह पद भी खाली है।
वहीं एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद जेडीयू केंद्र में सरकार का हिस्सा नहीं है। वह पहले दो पद की जिद पर अड़ी थी, लेकिन बदले हालातों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह नीतीश कुमार को पार्टी के लिए एक पद का ऑफर देकर भी मना सकते हैं। उधर, लोजपा राम विलास पासवान तक केंद्र में मोदी सरकार का हिस्सा थी। लेकिन, चिराग पासवान को मंत्रिपरिषद में जगह मिलेगी या नहीं यह आज की तारीख में बहुत ही टेढ़ा सवाल है। वैसे केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री और बिहार के बक्सर से बीजेपी सांसद अश्विनी चौबे ने उनके लिए 'गलती सुधारने का मौका मिलना चाहिए' कहकर प्रदेश भाजपा के एक वर्ग की भावना जाहिर कर दी है। हालांकि, उन्होंने साफ कहा है कि यह उनकी निजी राय और मंत्री बनाना न बनाना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है।
इसे भी पढ़ें- नीतीश कुमार के साथ अगली सरकार, बिहार भाजपा में नई सोशल इंजीनियरिंग की शुरुआत