Pongal 2021: चेन्नई पहुंचे RSS प्रमुख मोहन भागवत ने की कादुम्बडी मंदिर में पूजा
RSS chief Mohan Bhagwat offered prayers at Sri Kadumbadi Temple in Chennai today: तमिलनाडु में आज पोंगल का त्योहार जोर-शोर से मनाया जा रहा है। आज सुबह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी चेन्नई के श्री कादुम्बडी मंदिर में पूरे विधिविधान से पूजा की। आपको बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी आज तमिलनाडु पहुंचने वाले हैं, जो अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।
मालूम हो कि जहां उत्तर भारत के लोग आज 'मकर संक्रान्ति' मना रहा है तो वहीं दक्षिण भारत 'पोंगल' के जश्न में डूबा हुआ है। ये दोनों ही फसलों के त्योहार कहे जाते हैं। उत्तर भारत में 'मकर संक्रान्ति' मनायी जाती है जिसका महत्व सूर्य के मकर रेखा की तरफ़ प्रस्थान करने को लेकर है जबकि दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में 'पोंगल' के जरिये सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का स्वागत किया जाता है मतलब कि भाव एक ही है।
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तमिल लोग इसे अपना 'न्यू ईयर' मानते हैं
तमिलनाडु में सूर्य को अन्न-धन का भगवान मान कर चार दिनों तक उत्सव मनाया जाता है। इस त्योहार का नाम 'पोंगल' इसलिए है क्योंकि इस दिन सूर्य देव को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है वह 'पोंगल' कहलता है। तमिल भाषा में 'पोंगल' का एक अन्य अर्थ निकलता है अच्छी तरह उबालना। तमिल लोग इसे अपना 'न्यू ईयर' मानते हैं।
चार दिनों का त्योहार है पोंगल
ये चार दिनों का त्योहार है। पहली पोंगल को 'भोगी पोंगल' कहते हैं जो देवराज इन्द्र का समर्पित हैं। दूसरी पोंगल को 'सूर्य पोंगल' कहते हैं। यह भगवान सूर्य को निवेदित होता है। तीसरे पोंगल को 'मट्टू पोंगल' कहा जाता है इस दिन किसान अपने बैल की पूजा करते हैं। चार दिनों के इस त्यौहार के अंतिम दिन 'कन्या पोंगल' मनाया जाता है जिसे 'तिरूवल्लूर' के नाम से भी लोग पुकारते हैं।
क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति?
तो वहीं आज उत्तर भारत मकर संक्रांति मना रहा है। पौष मास के शुक्ल पक्ष में मकर संक्रांति को सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। शास्त्रों में उत्तारायण की अवधि को देवी-देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात के तौर पर माना गया है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, तप, जप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है।। इस त्योहार का संबंध केवल धर्मिक ही नहीं है बल्कि इसका संबंध ऋतु परिवर्तन और कृषि से है। इस दिन से दिन एंव रात दोनों बराबर होते है।
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