ICMR का दावा- कोरोना से होने वाली मौतों में पॉल्यूशन का भी योगदान
नई दिल्ली। एक स्टडी के मुताबिक, कोरोना वायरस (कोविड-19) की चपेट में आने वाले मरीजों के लिए वायु प्रदूषण जानलेवा साबित हो रहा है। वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में दावा किया है कि दुनियाभर में कोरोना वायरस से हुई करीब 15 प्रतिशत मौतों का संबंध लंबे समय तक वायु प्रदूषण वाले माहौल में रहना बताया गया है। वहीं आईसीएमआर के प्रमुख बलराम भार्गव ने कहा कि, कोविड के कारण हो रही मौतों में प्रदूषण भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। बता दें कि, देश की राजधानी दिल्ली के लोग पहले ही खराब हवा की परेशानी से जूझ रहे हैं।
इंडियन काउंसिल मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि, यूरोप और अमेरिका में हुई स्टडीज से शोधकर्ताओं को पता चला है कि, कोविड के कारण हो रही मौतों के लिए प्रदूषण भी एक कारण है। स्टडी में वायु प्रदूषण से संबंध का पता लगाया गया है। शोधकर्ताओं की टीम ने कहा कि वायु प्रदूषण और कोरोना मृत्युदर के बीच सीधे जुड़ाव का कोई संकेत नहीं मिला है। हालांकि वायु प्रदूषण के कारण कोरोना संक्रमण की गंभीरता और स्वास्थ्य संबंधी दूसरे खतरों के बीच प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों संबंधों को देखा गया है।
हॉर्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने अमेरिका में एक राष्ट्रीय स्तर का अध्ययन किया है जो कि कोरोना महामारी और वायु प्रदूषण के बीच संबंध स्थापित करता है। शोध में बताया गया कि हवा में मौजूद जहरीले कणों के लंबे वक्त तक संपर्क में रहने वाले लोग अगर कोविड-19 की चपेट में आ जाएं, तो उनमें मौत का खतरा बढ़ जाता है। पीएम 2.5 स्तर के कण हवा तक पहुंचने के सबसे बड़े स्त्रोत कार, रिफाइनरी, पावर प्लांट हैं।
शोधकर्ताओं ने अमेरिका की तीन हजार से ज्यादा काउंटी में संक्रमण से हुई मौतों और वहां वायु प्रदूषण के स्तर की तुलना की। इन सभी काउंटी में जनसंख्या के मुकाबले अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तर की संख्या, संक्रमण के कुल मामले, मौसम की स्थिति और सामाजिक व व्यावहारिक कारक जैसे मोटापा और धूम्रपान की आदतों को जोड़कर अध्ययन किया गया। स्टडी के मुताबिक , जिन काउंटी में ज्यादा प्रदूषण होगा, वहां अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या ज्यादा होगी। इसके साथ ही मरने वालों की संख्या भी अधिक होगी।
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