राजस्थान में पिक्चर अभी बाकी है, क्लाईमैक्स को लेकर गहलोत और पायलट खेमों में छिड़ा है युद्ध!
बेंगलुरू। राजस्थान में जारी राजनीतिक संकट का समाधान बागी कांग्रेसी नेता सचिन पायलट के कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दो दिन पूर्व हुई मुलाकात के बाद हो गया लगता है और गुरूवार को सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने विधायक दल की बैठक में करीब एक महीने के बाद मुलाकात भी जरूर की है, लेकिन अब दोनों गुटों के विधायकों में रस्साकसी अब उफान पर आ गई है, जिससे सीएम गहलोत विश्वास मत को लेकर आशंकित है और समर्थित विधायकों को विधानसभा सत्र तक होटल में अभी भी कैद रखा है।
#WATCH Jaipur: Congress leader Sachin Pilot meets CM Ashok Gehlot at his residence.
Congress Legislature Party meeting to take place here, ahead of the special session of the #Rajasthan Assembly tomorrow. pic.twitter.com/0pIZ1vr2dM
— ANI (@ANI) August 13, 2020
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जब राजस्थान में डूब रहा था अशोक गहलोत का राजनीतिक कैरियर, तब सचिन पायलट ने संभाला था मोर्चा!
विधानसभा सत्र से पहले अशोक गहलोत फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं
कहा जा रहा है कि राजस्थान में जारी एक महीने का सियासी संकट का हल प्रियंका गांधी के बीच-बचाव के बाद एक तरफ जहां हल होता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन 14 अगस्त से शुरू होने जा रहे राजस्थान विधानसभा सत्र कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेता फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। यही कारण है कि राजस्थान सीएम अशोक गहलोत अपने समर्थक विधायकों को जैसलमेर से निकालकर एक बार फिर फेयर माउंट होटल में पहुंचा दिया है।
आलाकमान के साथ हुए पैच अप से इत्तेफाक नहीं रखना चाहते हैं गहलोत
माना जाता है कि प्रियंका गांधी से बागी रहे सचिन पायलट की मुलाकात के बाद हुए पैच अप से अशोक गहलोत इत्तेफाक नहीं रखना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें सचिन पायलट द्वारा खुद को छले जाने की आशंका है। यही वजह है कि गुरूवार को कांग्रेस विधायक दल में समर्थित विधायकों को लाने से परहेज किया, क्योंकि बुधवार को सचिन पायलट के साथ कांग्रेस आलाकमान की पैच अप की खबरों के बीच जैसलमेर पहुंचे गहलोत को समर्थित विधायकों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था।
गहलोत समर्थित विधायक पायलट के कांग्रेस में पुनर्वापसी को लेकर नाराज
अशोक गहलोत समर्थित विधायक सचिन पायलट के कांग्रेस में पुनर्वापसी को लेकर नाराज बताए जा रहे हैं। सचिन समर्थक बागी विधायकों की वापसी से नाराज गहलोत गुट के विधायकों की मांग है कि बागी विधायकों को सरकार और संगठन में कम से कम छह माह तक कोई पद नहीं दिया जाए। संकट के वक्त पार्टी में निष्ठा रखने वाले विधायकों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाए।
मुझे नहीं मालूम है कि आलाकमान और पायलट के बीच में क्या बात हुई
बकौल अशोक गहलोत, मुझे नहीं मालूम है कि कांग्रेस आलाकमान और सचिन पायलट के बीच में क्या बात हुई। अशोक गहलोत का यह डर लाजिमी भी है, क्योंकि कांग्रेस आलाकमान से सचिन पायलट के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला द्वारा दिया एक बयान गहलोत को चैन की सांस नहीं लेने दे रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था, 'कोई घर पर आ जाए तो उसे भगाया तो नहीं जा सकता है' इससे गहलोत ऊहापोह की स्थिति में है।
वसुंधरा राजे क समर्थक 10 विधायकों की गणित से भी गदगद थे गहलोत
यही वजह है कि सीएम अशोक गहलोत ने प्रियंका गांधी के कथित समझौते के भरोसे सरकार से हाथ धो बैठने की आशंका से घिर गए हैं। समर्थित 100 विधायकों को जैसलमेर से लाकर दोबारा फेयर माउंट होटल में भेज देना बताता है कि सीएम गहलोत विधानसभा में शक्ति प्रदर्शन से पहले किसी भी हालत में कोई कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं, क्योंकि वो विधानसभा में बहुमत साबित करने के प्रति आश्वस्त हैं और वसुंधरा समर्थक 10 विधायकों की गणित से भी गहलोत गदगद हैं।
वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी विधायकों के बीच बिखराव की थी खबर
दरअसल, कांग्रेस की तरह ही पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी विधायकों के बीच भी बिखराव की खबर है। माना जा रहा है कि बीजेपी में राजे समर्थक क्षत्रप विधायक फिर से सिर उठा रहे हैं और वो आलाकमान के साथ नाफरमानी करने से भी नहीं चूकेंगे। हालांकि बीजेपी विधायक दल की गुरूवाई की बैठक में वसुंधरा राजे शामिल हुईं, लेकिन आगे क्या रणनीति वसुंधरा अख्तियार करेगी, यह देखना काफी दिलचस्प होगा।
भूल जाओ और माफ करो की भावना के साथ गहलोत ने नसीहत जरूर दी
एक तरफ जहां अशोक गहलोत अपने विधायकों को होटल में शिफ्ट किया है, तो दूसरी तरफ सचिन पायलट गुट के विधायक अपने-अपने घरों में पहुंच चुके हैं। हालांकि सीएम गहलोत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं एवं जनप्रतिनिधियों को ''भूल जाओ और माफ करो" की भावना के साथ लोकतंत्र बचाने की नसीहत जरूर दी है, लेकिन शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में विश्वास मत हासिल करने से पहले गहलोत किसी भी तरह की जोखिम लेने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।
एक सप्ताह और गहलोत खेमे के विधायकों को होटल में रहना पड़ सकता है
राजनीतिक पंडितों की मानें तो अभी एक सप्ताह तक और गहलोत खेमे के विधायकों को होटल में रहना पड़ सकता है। यह अलग बात है कि सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की वापसी के बावजूद पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के पास पूर्ण बहुमत है, जिसमें वसुंधरा राजे समर्थक 10-11 विधायकों के समर्थन का भरोसा भी गहलोत के विधानसभा में बहुमत साबित करने का बड़ा आधार माना जा रहा है।
विधानसभा में बहुमत साबित करने से ही राजस्थान में खत्म होगा संकट
राजस्थान में राजनीतिक संकट का स्थायी समाधान विधानसभा सत्र में गहलोत सरकार के बहुमत साबित करने से ही खत्म होगा, जिसके लिए मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने भी कमर कस रखा है। बीजेपी ने सभी विधायकों को विधानसभा सत्र में शामिल होने के लिए व्हिप जारी कर दिया है और सदन में गहलोत को बहुमत साबित करने की चुनौती दी है।
बीते 2 दिनों राजस्थान में सियासी संकट सुलझने का आसार जरूर दिखे हैं
बीते 2 दिनों राजस्थान में सियासी संकट सुलझने का आसार जरूर दिख रहे हैं, लेकिन गहलोत सचिन पायलट पर भरोसा नहीं करना चाहते हैं। इसी डर से सीएम गहलोत खेमे के विधायकों पहले होटल फेयरमाउंट में बंद कर रखा गया था। फिर खरीद-फरोख्त के डर से उन्हें जैसलमेर के होटल सूर्यगढ़ में शिफ्ट कर दिया और 12 दिन बाद बुधवार को विशेष विमान से जैसलमेर से जयुपर शिफ्ट करने के बाद फिर उन्हें होटल फेयरमाउंट में शिफ्ट कर दिया है।
प्रदेश में शीर्ष नेताओं के बीच रस्साकसी मुख्य वजह हैं चाटूकार विधायक
प्रदेश में शीर्ष नेताओं में शुमार अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच रस्साकसी मुख्य वजह चाटूकार विधायकों निजी स्वार्थ भी है, जो दोनों खेमों के नेताओं को खुद के मंत्री पद के लिए दोनों नेताओं के खिलाफ विषवमन कर रहे हैं। पायलट समर्थक विधायक जहां सचिन पायलट को मुख्यमंत्री मैटरियल बताकर झाड़ पर चढ़ा रखा है, तो गहलोत समर्थक विधायक उन्हें सचिन पायलट के खिलाफ इसलिए भड़का रहे हैं, क्योंकि उनकी मौजूदा मलाईदार शक्ति छिन सकती है।
राज्यपाल के आदेश के बाद 14 अगस्त से शुरू हो रहा है विधानसभा सत्र
राज्यपाल कलराज मिश्र के आदेश के बाद शुक्रवार, 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से अभी सिर्फ कोरोना वायरस संकट, लॉकडाउन और अन्य मुद्दों पर चर्चा की बात कही गई थी, लेकिन विधानसभा सत्र के पहले ही दिन ही बीजेपी गहलोत सरकार चैन से बैठने देने के मूड में नहीं है और गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी और चर्चा के बाद गहलोत सरकार को बहुमत साबित करना ही होगा।
बीजेपी का दावा है कि सदन में नहीं बचेगी गहलोत सरकार
विधानसभा में भाजपा के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कांग्रेस अपने घर में टांका लगाकर कपड़े को जोड़ना चाह रही है, लेकिन कपड़ा फट चुका है. ये सरकार जल्द ही गिरने वाली है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि यह सरकार अपने विरोधाभास से गिरेगी, बीजेपी पर यह झूठा आरोप लगा रहे हैं. लेकिन इनके घर के झगड़े से बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है।
कांग्रेस ने भंवरलाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह को उनके पद पर बहाल किया
एक ओर जहां बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का मन बना चुकी है, तो दूसरी ओर कांग्रेस अपने मनमुटाव तेजी से दूर करने में लगी हुई है। इसी क्रम में गुरूवार को कांग्रेस ने सचिन पायलट गुट के दो बड़े चेहरों भंवरलाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह को उनके पद पर बहाल कर दिया है। इसकी पुष्टि कांग्रेस के राज्य प्रभारी अविनाश पांडे ने ट्विटर पर दी। यानी पार्टी ने इन दोनों ही नेताओं का कांग्रेस से निलंबन वापस ले लिया है।
भाजपा विधायक दल की बैठक हुई, पूर्व सीएम वसुंधरा भी हुईं शामिल
गुरूवार को ही जयपुर में भाजपा के पार्टी मुख्यालय में भाजपा विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी मौजूद थीं। बीजेपी में अंतर्कलह भी उफान पर है, लेकिन वसुंधरा राजे के विधायक दल की बैठक में शामिल होने से विधानसभा सत्र में गहलोत सरकार के पक्ष में बीजेपी के 10 विधायकों के जाने की कवायद को विराम लगा है। शायद अंदरूनी कलह के चलते भाजपा विधायक दल की बैठक को कई बार टाला गया था।
कल ही होनी है बसपा के 6 विधायकों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
कांग्रेस में विलय करने वाले बसपा के 6 विधायकों के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मामले को शुक्रवार तक के लिए टाल दिया है। भाजपा विधायक मदन दिलावर की तरफ से ये याचिका दायर की गई है। वहीं, इस संबंध में बसपा ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।