WhatsApp के इस्तेमाल पर पर रॉयटर्स का बड़ा खुलासा, राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव में किया दुरुपयोग
नई दिल्ली: भारत में लोकसभा चुनाव में व्हाट्सएप ने फर्जी संदेशों को रोकने के लिए मैसज फॉरवर्ड करने की सीमा पर रोक लगा दी थी। लेकिन राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं और डिजिटल मार्केटिंग कर रहे लोगों ने इसकी काट के लिए व्हाट्सएप क्लोन और सॉफ्टेयर टूल की मदद ले रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसकी कीमत 14 डॉलर से कम यानि 100 0 रुपये से भी कम है। इन गतिविधियों ने फेसबुक इंक की स्वामित्व वाली कंपनी व्हाट्सऐप के सामने फेक न्यूज को रोकने में आ रही चुनौतियों को उजागर किया है। भारत में 20 करोड़ से ज्यादा लोग व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं।
'चुनाव में व्हाट्सएप क्लोन की बढ़ी मांग'
रॉयटर की एक रिपोर्ट में लोकसभा चुनावों को लेकर ये खुलासा हुआ कि भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) , उसकी मुख्य विरोधी पार्टी कांग्रेस की डिजिटल कंपिनियों और सूत्रों से इस बात की जानकारी मिली है कि लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसे टूल और ऐप की मांग में बढोतरी हुई है। भारत में 19 मई को लोकसभा चुनाव खत्म हो रहे हैं। पिछले साल भारत में व्हाट्सएप के जरिए फैलाए गए फर्जी संदेशों की वजह से कई जगहों पर मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं हुईं थी। इसके बाद कंपनी ने एक बार में मैसेज फॉरवर्ड करने की सीमा 5 कर दी थी। ये सॉफ्टेयर उन प्रतिबंधो की दूर करते नजर आते हैं। जिससे उपयोगकर्ती एक साथ हजारों लोगों तक पहुंच सकते हैं।
'बीजेपी कांग्रेस ने नहीं दिया जवाब'
रॉयटर्स के मुताबिक कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रमुख दिव्या स्पंदना और बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इसे लेकर कोई जवाब नहीं दिया। दिल्ली में डिजिटल मार्केंटिंग का बिजनेस करने वाले रोहित रेपसवाल ने बताया कि हाल के महीनों में बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं के लिए एक लाख से अधिक संदेश भेजने के लिए उन्होंने 1000 रुपये के सॉफ्टेवयर का इस्तेमाल किया। रेपसवाल ने दो बेडरुम वाले घर में एक इंटरव्यू में बताया कि व्हाट्सएप जो भी करता है उसका तोड़ है।
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व्हाट्सएप का तीन तरीकों से किया दुरुपयोग
रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि व्हाट्सएप का भारत में राजनीतिक प्रचार के लिए कम से कम तीन तरीकों से दुरुपयोग किया गया था। पहले तरीके में ऑनलाइन उपलब्ध मुफ्त क्लोन टूल की मदद से कुछ बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बड़ी तादाद में संदेश फॉरवर्ड किए। दूसरे तरीके में कुछ सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ताओं को व्हाट्सएप संदेशों की डिलीवरी को स्वत: प्रेषित करने की अनुमति देते हैं। वहीं तीसरे तरीके में कुछ कंपनियां राजनीतिक कार्यकर्ताओं को एक वेबसाइट की मदद से अनजान नंबरों द्वारा बड़ी संख्या में व्हाट्सऐप मेसेज भेजती हैं।
'एमेजॉन इंडिया वेबसाइट में सॉफ्टवेयर उपलब्ध'
रॉयटर्स ने पाया कि ऐमेजॉन इंडिया की वेबसाइट पर कम से कम तीन सॉफ्टवेयर उपलब्ध थे। जब रॉयटर्स के एक रिपोर्टर द्वारा इसे खरीदा गया तो वे छोटे कार्डबोर्ड की पैंकिंग के अंदर कॉम्पैक्ट डिस्क के रूप में पहुंचे और इसमें किसी कंपंनी का नाम नहीं थी। कांग्रेस के दो सूत्रों और बीजेपी के एक सूत्र ने बताया कि उनके कार्यकर्ताओं ने "GBWhatsApp" और "JTWhatsApp" जैसे क्लोन ऐप का इस्तेमाल किया, जिससे उन्हें व्हाट्सएप के प्रतिबंधों से बचा जा सके। दोनों ऐप में एक हरे रंग का इंटरफ़ेस है जो व्हाट्सएप के समान है और इसे दर्जनों प्रौद्योगिकी ब्लॉगों से मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है। ये गूगल के आधिकारिक ऐप स्टोर पर उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन एंड्रॉइड फोन पर काम करते हैं।
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