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साध्वी निरंजन के इस्तीफा मांगने वोल अपने गिरेबान में झांके

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नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। साध्वी निरंजन ज्योति अगर अपने काम से मीडिया की सुर्खियां बटोरतीं तो बेहतर रहता। एक साध्वी से इस तरह की अपेक्षा नहीं थी कि उनकी भाषा इतनी सड़क छाप होगी। पर एक सवाल उनसे भी जो साध्वी से इस्तीफा मांग रहे हैं। क्या इससे पहले संसद की मर्यादा को तार-तार करने वालों से माफी के लिए कहा जाएगा?

Political leaders should not only blame Sadhvi Niranjan

यह सब जानते हैं कि साध्वी ने संसद में खेद प्रकट कर दिया है, पर विपक्ष उनके इस्तीफे पर अड़ा है। साध्वी ने दिल्ली में एक चुनावी सभा में कहा था कि आपको तय करना है कि दिल्ली में रामजादों की सरकार बनाओगे या .... की सरकार।

इस्तीफा निदान नहीं

वरिष्ठ पत्रकार और आलोचक अवधेश कुमार कहते हैं कि हंगामा नहीं होता और और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वाणी में संयम बरतने की बात नहीं की जाती तो ज्योति खेद प्रकट नहीं करतीं। पर क्या इस्तीफा इसका निदान है?

अवधेश कुमार कहते हमने संसद के अंदर नेताओं के मुहं से गालियां सुनी हैं, राख लगाकर जीभ खींच लेंगे कहते सुना है, मिर्ची पाउडर का स्प्रे और मारपीट देखा है। ऐसे नेताओं को संसद के अंदर खेद प्रकट करते नहीं देखा। जहां तक चुनावी सभाओं तथा वक्तव्यों का प्रश्न है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए चरित्रहनन जैसे शब्दों से लेकर नपुंसक....यमराज, सांप, बिच्छू, हत्यारा ......पता नहीं क्या क्या कहा गया।

क्या किसी ने इसके लिए खेद प्रकट किया है? क्या किसी ने माफी मांगी है? बेशक,नेताओं के गंदे बयानों की लंबी सूची बनाई जा सती है। ऐसे नेता बहुत कम हैं जिन्हें अपने कहे हुए ऐसे विषैले या अपशब्दों पर अंदर से पश्चाताप होता है।

आंतरिक पश्चाताप

हमारी राजनीति में अब आंतरिक पश्चाताप के लिए माहौल बनाने और ऐसा होने के बाद क्षमा करने के लिए माहौल बचा कहां है? किसी को भी इस बात से लेना देना नहीं है कि भाषा की मर्यादा तोड़ने वाले की अंतरात्मा ने उसे धिक्कारा या नहीं। किसी को इससे सरोकार नहीं कि आगे इसकी पुनरावृत्ति न हो ऐसी स्थिति पैदा करने के लिए काम किया जाए। यांत्रिक तरीके से विरोध एवं यांत्रिक तरीके से खेद.....। अगर राजनीति में भाषा एवं आचरण की मर्यादा स्थापित करनी है तो फिर पूरे राजनीति का चरित्र बदलना होगा। साध्वी के भाषण के अंश राजनीति या किसी भी सभ्य समाज में अस्वीकार्य हैं।

रॉबर्ट वाड्रा पर हमला

जिस भाषण पर हंगामा हुआ उसमें निरंजन ज्योति ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर हमला किया था। उन्होंने कहा था कि बर्तनों की दूकान चलाने वाले का बेटा, सोनिया गांधी का दामाद अरबपति-खरबपति कैसे बन गया। पर यहां यह महत्वपूर्ण नहीं हैं कि किसके लिए कहा गया, मूल बात है कि जो शब्द प्रयोग किया गया वह किसी के संदर्भ में नहीं होना चाहिए।

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English summary
Political leaders should not only blame Sadhvi Niranjan.
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