घने जंगल, जहरीले सांप, प्यास लगने पर शर्ट से निचोड़ा पसीना, मैक्सिको से लौटे भारतीयों की कहानी जानकर रूह भी कांप जाएगी
नई दिल्ली। भूख, जहरीले सांप, घने जंगल और यहां तक कि प्यास लगने पर पीने के लिए शर्ट से निचोड़ा हुआ पसीना, यह किसी थ्रिलर फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है। यह कहानी है उन 311 भारतीयों की जिन्हें शुक्रवार को मैक्सिकन इमीग्रेशन अथॉरिटीज ने भारत वापस भेजा है। ये सभी अपने कुछ सपनों को पूरा करने के लिए अमेरिका जाना चाहते थे लेकिन जो रास्ता इन्हें दिखाया गया था वह अब इनके लिए जिंदगी भर रात में आने वाले बुरे सपनों की वजह बन चुका है। सिर्फ कुछ मीटर की दूरी पर थे जब मैक्सिको की अथॉरिटीज ने इन्हें बॉर्डर क्रॉस करते हुए पकड़ लिया।
सपने पूरा करने के लिए जाना था अमेरिका
पंजाब और हरियाणा के युवा अपने हर सपने को पूरा करने के लिए अमेरिका जाना चाहते थे। इनमें से ही एक थे 22 साल के अजय सैनी जो हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रहने वाले हैं। सैनी ने इंग्लिश अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में मैक्सिको से अमेरिका तक के कभी न पूरे होने वाले सफर के बारे में बताया है। सैनी ने इस वर्ष छह जून को अपना घर छोड़ा था और एक लोकल ट्रैवेल एजेंट पर भरोसा जताया। एजेंट ने 12 लाख रुपए के बदले सैनी को मैक्सिको के रास्ते अमेरिका में सुरक्षित एंट्री का वादा किया था। सैनी कहते हैं कि उन्हें सिर्फ एक अच्छी जिंदगी चाहिए थी। अमेरिका में कोई भी नौकरी उन्हें भारत से चारगुना सैलरी दिला सकती थी। पेशे से किसान सैनी का सफर इक्वाडोर से शुरू हुआ था। फिर कोलंबिया, पनामा, कोस्टा रिका, निकारागुआ, होंडुरास और ग्वाटेमाला होते हुए वह मैक्सिको पहुंचे थे।
नदी और पहाड़ करने पड़े पार
जिन युवाओं को भारत वापस भेजा गया है उनमें से ज्यादातर 18 से 35 वर्ष की उम्र के हैं और सबकी कहानी एक ही है। 'ऑन अराइवल' वीजा पर इक्वाडोर पहुंचे जिसका प्रबंध दक्षिण अमेरिका के एक लोकल एजेंट ने किया था। यहां पर आपको बता दें कि दक्षिण अमेरिका के लोकल एजेंट्स में 90 दिन बिताने वाले भारतीयों के लिए वीजा ऑन अराइवल का प्रबंध लोकल एजेंट्स करते हैं। यहां से सभी कोलंबिया पहुंचे और कैंप्स में रहे। इनका अगला पड़ाव पनामा था और यहां तक पहुंचने के लिए इन्हें नदियों और पहाड़ों को पार करना पड़ा। पनामा से बाहर आने के बाद मैक्सिको पहुंचने से पहले ये सभी सेंट्रल अमेरिका के कई देशों से गुजरे। पनामा में इन सभी ने जो कुछ झेला है, उसे जानकर आपकी रुंह कांप जाएगी।
हर तरफ बिछी थीं लाशें
13 से 15 दिनों तक ये सभी पैदल, भूख, डकैतों और जहरीले सांपों का सामना करते हुए पनामा पहुंचे थे। करनाल, हरियाणा के रहने वाले 22 साल के मनीष कुमार बताते हैं कि पनामा के जंगलों में उन्होंने कई डेडबॉडीज देखी थीं। कुछ भूख से मर गए तो कुछ को जहरीले सांपों ने काट लिया था। पांच से सात दिनों तक इन्हें घने जंगल से गुजरना पड़ा और प्लास्टिक बैग्स से तैयार रास्ता इनका इंतजार कर रहा था। तीन दिनों तक इन्हें पानी तक नहीं दिया गया था। इन सभी को अपनी शर्ट का पसीना निचोड़कर पीना पड़ा और तब जाकर इनकी प्यास बुझी। खाने को खाना नहीं था और रास्ते में जानवर भी थे। अजय सैनी की मानें तो उन्हें जानवरों की तरह कैंप्स में रखा गया था। बेस्वाद खाना मिलता और ठंड में कंबल तक नहीं दिया गया था।
घर तक रखना पड़ा गिरवी
शुक्रवार को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मैक्सिको की टोलुका सिटी से टेक ऑफ किए बोइंग 747 ने लैंडिंग की। इस फ्लाइट ने बुधवार को टोलुका से उड़ान भरी थी। करनाल, हरियाणा के रहने वाले 35 साल के बजिंदर सिंह के एक दोस्त कैलिफोर्निया में रहते हैं और उनका ट्रांसपोर्ट का बिजनेस हैं। बजिंदर की मानें तो दोस्त अच्छा खासा पैसा कमा रहा है। अपनी पत्नी और मां को तीन माह पहले घर पर छोड़कर मैक्सिको के लिए रवाना हुए थे। दो माह से उन्होंने घर पर मां और पत्नी से बात तक नहीं की थी। 19 साल के मनदीप सिंह भी इनमें से ही एक हैं। पटियाला, पंजाब के रहने वाले मनदीप सेकेंड ईयर कॉलेज स्टूडेंट हैं। उनके पिता पंजाब पुलिस में काम करते हैं और बेटे की वीजा फीस देने के लिए उन्होंने अपना घर गिरवी रखा और कार तक बेच दी।