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नज़रिया: 'नरेंद्र मोदी ही राहुल गांधी के सबसे बड़े टीचर हैं'

बीजेपी और कांग्रेस के लिए गुजरात के नतीजों के क्या मायने हैं? एक विश्लेषण.

By BBC News हिन्दी
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मोदी शाह
SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images
मोदी शाह

अभी तक आए रुझानों के मुताबिक़ बीजेपी गुजरात में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाती नज़र आ रही है. कहा जा रहा था कि इस बार गुजरात में बीजेपी को कांग्रेस से ज़बर्दस्त टक्कर मिल सकती है. राहुल गांधी की रैलियों और युवा नेताओं हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी की तिकड़ी को देखकर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था.

पढ़िए, गुजरात चुनाव के रुझानों पर वरिष्ठ पत्रकार और गुजरात की राजनीति को क़रीब से देखते आ रहे आरके मिश्रा की राय उन्हीं के शब्दों में.

ग्रामीण इलाक़ों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन बीजेपी को मात देने और सरकार बनाने के लिए तो उसे शहरी इलाक़ों में भी ऐसा ही प्रदर्शन दोहराने की ज़रूरत थी.

बीजेपी रैली
SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images
बीजेपी रैली

हालाँकि ये बात भी सही है कि शहरी इलाक़े बीजेपी का गढ़ रहे हैं. पिछले चुनाव में भी 64 में से 60 सीटें भारतीय जनता पार्टी की ही थीं. अभी तक के रुझानों से साफ़ है कि कांग्रेस पार्टी इन शहरी इलाक़ों में बीजेपी के गढ़ को ध्वस्त नहीं कर पाई. कांग्रेस की सारी कोशिशें अहमदाबाद, वडोदरा, राजकोट, सूरत जैसे शहरी इलाक़ों में आकर रुक गईं.

मोदी बनाम राहुल

इस बार के चुनाव में कोई स्थानीय नेता या मुद्दा सामने नहीं आया. पूरा चुनाव मोदी बनाम राहुल लड़ा गया. ये कांग्रेस की एक उपलब्धि है क्योंकि पहली बार कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी जी को एंगेज किया. अब तक मोदी जी आगे दौड़ते थे और कांग्रेस पीछे खिसकती रहती थी.

राहुल
SANJAY KANOJIA/Getty Images
राहुल

लेकिन इस बार राहुल इस राज्य में एक चुनौती की तरह सामने आए. इस बार वोटिंग प्रतिशत में भी फ़र्क नज़र आ रहा है. साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा है कि कांग्रेस का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है.

एक समय था कि कांग्रेस और राहुल गांधी को चुनौती तक नहीं माना जाता था. लेकिन इस बार ऐसी हड़बड़ाहट इस हद तक हुई कि प्रधानमंत्री को अपने 'गुजरात का बेटा' और 'चायवाला' जैसे कार्ड भुनाने पड़े.

कांग्रेस की सफलता!

गुजरात चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस को इसके काफ़ी फ़ायदे मिलेंगे क्योंकि इसमें राहुल गांधी एक नए रूप में सामने आए.

इस चुनाव के बाद राहुल गांधी को नया आत्मविश्वास मिलेगा. पार्टी को नई ऊर्जा मिलेगी और विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी का कद बढ़ेगा.

दूसरे राहुल का मणिशंकर अय्यर के ख़िलाफ़ फ़ैसला और चुनाव के बाद यह कहना कि हम प्यार की राजनीति करना चाहते हैं, उनको आगे बढ़ने में मदद करेगा.

मोदी
SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images
मोदी

इस बात को सब मानते हैं कि अगर केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार हो तो फ़ायदा तो होता है.

दूसरे, प्रचार अभियान के बीच बीजेपी ने कुछ ऐसे फ़ैसले किए जिनका फ़ायदा उन्हें तुरंत मिला जैसे सूरत में जीएसटी को लेकर गुस्सा था तो उन्होंने कैंपेन के बीच उसमें बदलाव कर दिए.

तीसरे, नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी की हमेशा से रणनीति रही है कि वे दिग्गज नेताओं को टारगेट करते हैं. जैसे अगर आप यहां भी देखें तो कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल, सिद्धार्थ पटेल और अर्जुन मोडवाडिया तीनों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा.

आत्ममंथन की ज़रूरत

इन नतीजों के बाद कांग्रेस और बीजेपी दोनों को आत्ममंथन करने की ज़रूरत है. प्रधानमंत्री को विचार करना होगा कि आख़िर कब तक वे 'मेरे साथ अन्याय हुआ' जैसी बातों पर चुनाव लड़ और जीत सकते हैं.

मोदी
Getty Images
मोदी

उन्होंने सरकार भले ही बचा ली, लेकिन उन्हें समझना पड़ेगा कि ग्रामीण इलाक़ों में उनकी राजनीति कमज़ोर (अलोकप्रिय) हो रही है.

दूसरे, मजबूत होता विपक्ष उनके लिए आगे चलकर परेशानी खड़ी कर सकता है.

कांग्रेस का इस वक़्त गुजरात के शहरी इलाक़ों में ज़मीनी स्तर पर कोई स्ट्रक्चर ही नहीं बचा है. इसके बावजूद भी अगर कांग्रेस आपको दौड़ा सकती है तो ज़ाहिर है कि ताक़त हासिल करने के बाद तो वो चुनौती ही बढ़ाएगी.

तीसरे, इस नतीजे के बाद राष्ट्रीय स्तर पर भी कांग्रेस में नई जान आएगी. यानी वहां भी बीजेपी को ज़्यादा चुनौती का सामना करना होगा.

मोदी
PRAKASH SINGH/Getty Images
मोदी

इसके अलावा बीजेपी को सोचना होगा कि सिर्फ़ एक शख़्स के नाम पर राजनीति करते रहने से क्या होगा.

कांग्रेस में भी एक समय में इंदिरा गांधी पार्टी से बड़ी हो गई थी. 'इंदिरा इज़ इंडिया और इंडिया इज़ इंदिरा' के दौर में कांग्रेस के ज़मीनी काडर को जो नुकसान हुआ, कांग्रेस पार्टी आज तक उससे निकल नहीं पा रही है. बीजेपी का कांग्रेसीकरण होने से ये सारी परेशानियां उनके हिस्से में भी आएंगी.

राहुल
CHANDAN KHANNA/Getty Images
राहुल

वहीं, राहुल गांधी को चाहिए कि अब ज़मीनी स्तर पर कुछ काम करें क्योंकि शहरी वोटरों में पैठ बनाने के लिए आपको नीचे से शुरुआत करनी होगी. बीजेपी भी नीचे से ऊपर आई है. कांग्रेस को भी यह करना पड़ेगा.

देखा जाए तो राहुल गांधी के सबसे बड़े टीचर नरेंद्र मोदी ही हैं. उन्हें देखकर राहुल सीख सकते हैं कि उन्हें क्या नहीं करना चाहिए. उन्हें समझ आएगा कि मैं ये नहीं करूंगा तभी एक विकल्प के तौर पर सामने आऊंगा.

(वरिष्ठ पत्रकार आर के मिश्रा से बीबीसी संवाददाता प्रज्ञा मानव की बातचीत पर आधारित)

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

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English summary
Point Narendra Modi is Rahul Gandhis greatest teacher
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