PNB SCAM: 12000 सैलरी पाने वाले लोगों ने मेहुल चोकसी को दिया 2500 करोड़ का लोन
नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक में हुए 13 हजार करोड़ रुपए के घोटाले में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। मेहुल चोकसी ने 12 से 15 हजार की सैलरी पाने वाले लोगों को कुछ शैल कंपनियों का डायरेक्टर बनाया। फिर इन्हीं शैल कंपनियों से गीतांजलि जेम्स कंपनी को 2500 करोड़ का कर्ज दिया गया। पीएनबी में हुए 13,400 करोड़ रुपए के फर्जी लेनदेन की जांच करने वाली एजेंसियों ने बताया है कि ये लोग चोकसी की शेल कंपनियों में डायरेक्टर थे। इन शेल कंपनियों में एशियन इम्पैक्स, प्रीमियर इंटरट्रेड और आइरिश मर्केन्टाइल के नाम शामिल हैं।
12 हजार की सैलरी वाले डायरेक्टर
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, गीतांजलि जेम्स को लोन देने वाली कंपनियों के कम तनख्वाह पाने वाले डायरेक्टर्स सिर्फ चेक को डिस्काउंट के लिए थे। दिवालिया संबंधी नियमों के मुताबिक, एक ऑपरेशनल लेनदार वह व्यक्ति या ईकाई होता है, जिसका संचालित कर्ज बकाया है और इसके दायरे में वह व्यक्ति भी आता है जिसने इस लोन को बांटा है या कानूनी तौर पर स्थानांतरित किया है। ये लोग किसी भी कंपनी या देनदार के लिए सामान या सर्विस के आपूर्तिकर्ता होते हैं।
लोन का ट्रांसफर के लिए शैल कंपनियों का इस्तेमाल
जांच एजेंसियों ने पिछले महीने ही इन डायरेक्टर के बयान दर्ज कराए थे। उसी दौरान पता चला कि ये लोग दक्षिणी मुंबई स्थित ओपेरा हाउस में एक हीरा स्टोर पर काम करते थे। जांच एजेंसियों को शक है कि लोन देने वाली कंपनियां मेहुल चौकसी की हैं और वह लोन का ट्रांसफर करने के लिए ही इन शैल कंपनियों का इस्तेमाल कर रहा था। मेहुल चोकसी के वकील ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने इंकार कर दिया, कहा कि इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
शेल कंपनियों का कोई रियल बिजनेस नहीं होता
आपको बता दें कि शेल कंपनियां सिर्फ कागजों पर होती हैं और इनका चेक डिस्काउंट के लिए इस्तेमाल होता है। इन शेल कंपनियों का कोई रियल बिजनेस नहीं होता है, सिर्फ सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के फर्जी बिल अन्य कंपनियों को देती हैं। पेमेंट का चेक शैल कंपनियों के नाम पर आता है, इसके बाद ये शैल कंपनियां इस चेक को बैंक में जमा कराती हैं। इसके बदले में मिली रकम या चेक को दूसरी शैल कंपनियों के खाते में जमा करा देती हैं। इस काम के बदले में इन शैल कंपनियों को एक प्रतिशत का कमीशन दिया जाता है।
एक साल में 2000 करोड़ रुपए हुए ट्रांसफर
डिस्काउंट चेक का उपयोग तत्काल रकम उपलब्ध करावाने के लिए किया जाता है। फर्म कंपनी के नाम पर एक फर्जी बिल जारी करती है यह कंपनी भी फर्जी बिल जारी करने वाले की होती है। जांच एजेंसी ने पाया कि गीतांजलि ज्वैलर्स की का कर्ज 31 मार्च 2017 तक 3859 करोड़ रुपए हो गया, जो कि पिछले साल 1548 करोड़ रुपए था।