नेपाल पर पीएम ओली की पकड़ पड़ी ढीली ? उत्तराखंड के पास 6 नए आउटपोस्ट में से 2 हटाए
नई दिल्ली- नेपाल ने अपने राजनीतिक नक्शे में बदलाव के साथ उत्तराखंड में भारतीय सीमा से लगे इलाके में 6 नए बोर्डर आउटपोस्ट बनाकर उसपर अपने जवानों को खड़ा कर दिया था। भारत-नेपाल के सीमावर्ती इलाकों के लोगों ने जिन्होंने कभी एक-दूसरे को अलग समझा ही नहीं, ओली सरकार की इस हरकत से हैरान रह गए थे। इस दौरान नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने कूटनीतिक मान्यताओं को ताक पर रखकर भारत-विरोधी बयान भी दिए। लेकिन, उनका यह रवैया नेपाल के लोग ज्यादा दिनों तक नहीं पचा पाए। ओली की अपनी ही पार्टी में उनके खिलाफ मोर्चा खुल चुका है। ऐसे में बड़ी खबर ये आई है कि नेपाल ने पिछले महीने जो नए बोर्डर आउटपोस्ट खड़े किए थे, उनमें से दो हटा लिए हैं। इतना ही नहीं खबरें हैं कि नेपाल जल्दी ही तीन और आउटपोस्ट हटाने वाला है। जानकार मान रहे हैं कि हो न हो यह भारत-विरोधी रवैये के चलते नेपाल की सत्ता से ओली सरकार के उखड़ने के संकेत हैं।
नेपाल ने 6 में से 2 नए आउटपोस्ट हटाए
नेपाल सशस्त्र प्रहरी को जिसे नेपाल (NSP) ने भारत नेपाल-सीमा पर बनाए गए 6 नए बोर्डर आउटपोस्ट पर तैनात किए थे, उनमें से दो पोस्ट बंद कर दिए गए हैं। नेपाल ने ये नए बोर्डर आउटपोस्ट हाल में नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली की ओर से भारत के खिलाफ अपनाए गए रवैए के बाद खड़े किए गए थे। ये सारे के सारे पोस्ट उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के उसपार बनाए गए थे और इन्हें हटाए जाने की जानकारी उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों ने ही सोमवार को दी है। नेपाल की ओर से ये कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है, जब भारत-विरोधी कदम उठाने के लिए नेपाली प्रधानमंत्री खुद अपनी ही सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के निशाने पर हैं। पार्टी की सबसे ताकतवरी स्टैंडिंग कमेटी के 45 में से 30 सदस्यों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है और सोमवार को होने वाली उसकी निर्णायक बैठक बुधवार तक के लिए टल गई, नहीं तो शायद इसी दिन नेपाल की सत्ता में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता था।
सड़क के उद्घाटन के बाद बहकावे में आया नेपाल
नेपाल ने भारतीय सीमा से सटे अपने इलाके में ये सारे नए 6 आउटपोस्ट पिछले महीने ही खड़े किए थे। नेपाल ने यह कार्रवाई तब की थी, जब भारत ने सामरिक तौर पर खास लिपुलेख दर्रे को पिथौरागढ़ के धारचुला शहर को जोड़ने वाले रोड का उद्घाटन किया था। उसके बाद से ही ओली सरकार ने अचानक कहना शुरू कर दिया था कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा इलाका उसका हिस्सा था। ओली सरकार ने आनन-फानन में कथित तौर पर चीन के बहकावे में आकर नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे पर वहां की संसद से मुहर भी लगवा लिया। लेकिन, उसके बाद से ओली के सितारे गर्दिश में चले गए। अब नेपाली पोस्ट हटाने की पुष्टि करते हुए धारचुला के एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला ने कहा है कि, 'दो बोर्डर आउटपोस्ट जिसपर नेपाल सशस्त्र प्रहरी को तैनात किया गया था, दो दिन पहले हटा लिया गया है।' उन्होंने कहा कि, 'हमनें कुछ दिन पहले नेपाली अधिकारियों के साथ चेक पोस्ट पर एक छोटी सी बैठक के दौरान इसे नोटिस किया था। जब हमने इसके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यह उच्चाधिकारियों के आदेश पर किया गया है।'
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बोर्डर पर जवानों का खर्चा भी पड़ रहा था भारी
एक दूसरे अधिकारी ने नाम नहीं बताए जाने की शर्त पर कहा कि 'ऐसी खबरें हैं कि नेपाल सीमा पर खड़े किए गए तीन और नए बोर्डर आउटपोस्ट जल्दी ही हटा लिए जाएंगे, जो कि बहुत बड़ी बात है।' अभी जो बोर्डर आउटपोस्ट हटाए गए हैं, वे उनके दारचुला जिले के उक्कु और बकरा इलाके में थे। वैसे धारचुला के एसडीएम ने कहा है कि हो सकता है कि इन बोर्डर आउट पोस्ट को मेंटेन करना नेपाल के लिए भारी पड़ रहा हो। शुक्ला के मुताबिक, 'इतने दूर-दराज वाले इलाके में पोस्ट पर इंसानों की तैनाती का खर्चा बहुत भारी पड़ रहा होगा। इसी वजह से दो पोस्ट हटा लिए गए हैं।'
ओली की पकड़ ढीली पड़ने के संकेत
हालांकि, जानकारों की मानें तो भारत-नेपाल के बीच हाल में पैदा हुए तनाव के माहौल के बीच इस तरह से पोस्ट का अचानक हटाया जाना द्विपक्षीय संबंधों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर एलएल वर्मा की मानें तो 'नेपाल की ओर से चौकी हटाए जाने से भारत के साथ पैदा हुए तनाव के नजरिए में बदलाव और पीएम ओली की सरकार पर पकड़ ढीली पड़ने के संकेत मिलते हैं।'
चीन की चाटूकारिता में फंस गए ओली
गौरतलब है कि नेपाल ने अपने नए राजनीतिक नक्शे में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के जिस लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना हिस्सा बताया है, वह असल में ब्यांस घाटी का हिस्सा है, जिससे होकर नया कैलाश मानसरोवर मार्ग भी गुजरता है। नेपाल ने अपने बदले हुए नक्शे में इसे अपने दारचुला जिले के ब्यास ग्रामीण नगरपालिका का हिस्सा दिखाया है। जबकि, भारत साफ कह चुका है कि यह भारत का हिस्सा था और हमेशा ही भारत का हिस्सा रहेगा। लेकिन, चीन में बैठे अपने वामपंथी आकाओं को खुश करने और उसी के इशारे पर नेपाली जनता को भारत के खिलाफ भड़काने के लिए ओली सरकार अपनी जमीन तो चीन के हाथों गंवाने के लिए तैयार रही, लेकिन भारत के साथ सदियों पुरानी मित्रता को भी ताक पर रख दिया। लेकिन, लगता है कि उनका खेल जल्द ही जनता समझ गई और उनके सत्ता से उलटी गिनती शुरू हो गए।
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