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पेरिस जलवायु समझौते की पांचवीं वर्षगांठ पर दुनिया को संबोधित करेंगे पीएम मोदी

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नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन को इस समय दुनिया के सबसे बड़े खतरे के तौर पर देखा जा रहा है और पूरी दुनिया में इसे लेकर चिंता बढ़ रही है। इसपर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा है, 'जलवायु परिवर्तन एक रात में नहीं हुआ है, ऐसा होने में 100 साल लगे हैं। इतिहास देखें तो अमेरिका की सभी तरह के उत्सर्जन में 25 फीसदी हिस्सेदारी रही, यूरोप की 22 फीसदी हिस्सेदारी, चीन की हिस्सेदारी 13 फीसदी रही और भारत की केवल 3 फीसदी हिस्सेदारी है। हम जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार नहीं है।'

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उन्होंने कहा, 'लेकिन दुनिया का एक जिम्मेदार देश होने के नाते भारत ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने का रास्ता चुना है। पेरिस जलवायु समझौते के अनुसार हमारी उत्सर्जन मात्रा 33 से 35 फीसदी तक कम होनी थी, इसमें से हमने 21 फीसदी को हासिल कर लिया है और बाकी की उत्सर्जन मात्रा अगले दस साल में कम हो जाएगी। आज के समय में उत्सर्जन में अमेरिका की 13.5 फीसदी, यूरोप की 8.7 फीसदी, चीन की 30 फीसदी और भारत की केवल 6.8 फीसदी हिस्सेदारी है, भारत इस समस्या के लिए जिम्मेदार नहीं है।' जावड़ेकर ने आगे कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 दिसंबर को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते की पांचवीं वर्षगांठ पर वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे।'

क्या है पेरिस जलवायु समझौता?

जलवायु परिवर्तन का मतलब होता है उद्योग, वाहनों और कृषि सहित अन्य तरह के कार्यों से उत्सर्जित होने वाली गैसों से पर्यावरण को होने वाला नुकसान। पेरिस जलवायु समझौते का मसकद इसी तरह की हानिकारक गैसों का उत्सर्जन कम करना है, ताकि दुनियाभर में बढ़ रहे तापमान को रोका जा सके। समझौते के प्रावधान में वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने की बात कही गई है। साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि ये भी कोशिश करनी है कि तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक ना बढ़े।

समझौते में कहा गया है कि ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को इस स्तर तक लाना होगा कि उसे मिट्टी, पेड़ और समुद्र प्राकृतिक रूप से सोख सकें। इसमें हर पांच साल में प्रत्येक देश की उत्सर्जन कम करने में क्या भूमिका रही है, इसकी समीक्षा करना भी शामिल है। वहीं विकासशील देशों को जलवायु वित्तीय सहायता के तौर पर हर साल 100 अरब डॉलर देने की बात कही गई है, जिसे भविष्य में बढ़ाने पर प्रतिबद्धता जताई गई है।

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English summary
india is no way responsible for climate change It has taken the last 100 years says prakash javadekar
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