4 सितंबर से पीएम मोदी का रूस दौरा: ऊर्जा संबंधों को मजबूत करने पर होगा खास ध्यान
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार (4 सितंबर, 2019) को महज 36 घंटे की यात्रा पर रूस के मशहूर शहर व्लदिवोस्तोक पहुंचेंगे लेकिन यह छोटी सी यात्रा दोनो देशों के रिश्तों को नई ऊंचाई पर पहुंचाने वाला साबित होगा। पीएम मोदी वहां ईस्टर्न इकोनोमिक फोरम (ईईएफ) की बैठक में शिरकत करने के साथ ही राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ भारत-रूस सालाना शीर्ष बैठक की भी अगुवाई करेंगे। मीडिया को जानकारी देते हुए, विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि मोदी की यात्रा के संबंध में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए बताया कि चेन्नई से व्लादिवोस्तोक को जोड़ने के लिए समुद्री मार्ग चालू करने की संभावना भी तलाश की जाएगी क्योंकि इससे आर्कटिक मार्ग के जरिए यूरोप भी जुड़ सकता है।
गोखले ने सहयोग के नए क्षेत्रों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि रूस को कुशल श्रमशक्ति भेजने की संभावना तलाशने के अलावा भारत कृषि क्षेत्र में भी सहयोग देख रहा है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि रूस कश्मीर मुद्दे पर और सीमा पार आतंकवाद संबंधी चिंताओं पर भारत का पूरा समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने परमाणु ऊर्जा और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों की रक्षा से परे रूस के साथ संबंधों को व्यापक बनाने पर जोर दिया है।
कई समझौतों को मिलेगा अंतिम रूप
उन्होंने
बताया
कि
मोदी
की
करीब
36
घंटे
की
यात्रा
के
दौरान
कोयला
खनन
और
बिजली
क्षेत्रों
सहित
कई
समझौतों
को
अंतिम
रूप
देने
की
उम्मीद
है।
गोखले
ने
कहा
कि
प्रधानमंत्री
की
व्लादिवोस्तोक
यात्रा
के
दौरान
हाइड्रोकार्बन
क्षेत्र
में
सहयोग
एक
प्रमुख
क्षेत्र
होगा।
विदेश
सचिव
ने
कहा
कि
तेल
और
गैस
क्षेत्र
में
सहयोग
की
संभावनाओं
को
पूरा
करने
के
लिए
दोनों
पक्षों
के
पांच
साल
का
खाका
(2019-2024)
बनाने
की
उम्मीद
है।
भारत
अभी
अपनी
ऊर्जा
जरूरतों
के
लिए
खाड़ी
क्षेत्र
पर
बहुत
अधिक
निर्भर
है।
गोखले
ने
कहा
कि
भारत
रूस
को
हाइड्रोकार्बन
के
एक
प्रमुख
स्रोत
के
रूप
में
देख
रहा
है
ताकि
खाड़ी
क्षेत्र
पर
उसकी
पूर्ण
निर्भरता
समाप्त
हो
सके।
उन्होंने कहा कि रूस में तेल और गैस क्षेत्रों के विकास के लिए भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और रूसी संस्थाओं के बीच कुछ आशय- पत्रों पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे। गोखले ने कहा कि भारत रूस में नए तेल क्षेत्रों में निवेश की घोषणा कर सकता है और रूस से एलएनजी के आयात पर कुछ ठोस फैसला हो सकता है। उम्मीद है कि शिखर वार्ता में दोनों नेता कई प्रमुख क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। इनमें अफगान शांति प्रक्रिया और खाड़ी क्षेत्र की स्थिति शामिल है। वे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय संगठनों में सहयोग बढ़ाने के तरीके तलाशने पर भी विचार कर सकते हैं।