पीएम मोदी के संबोधन 'मन की बात' से जुड़ी धन की बात
'मन की बात' से होने वाली कमाई में भारी गिरावट आई है, सरकार का कहना है कि इस संबोधन का मकसद जनता के साथ संवाद है, न कि विज्ञापनों से कमाई.
हाल ही में सरकार ने संसद को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक संबोधन 'मन की बात' की वजह से प्रसार भारती को 2014 से लेकर मार्च 2021 के बीच 30.8 करोड़ रुपए से अधिक की आय हुई है.
सरकार ने संबोधन से पहले और उसके बाद आने वाले विज्ञापनों से होने वाली कमाई का वर्षवार आँकड़ा भी दिया है, जिससे यह पता चलता है कि 'मन की बात' की कमाई में 2020-21 में 90 फ़ीसदी की गिरावट आई है, यह गिरावट वर्ष 2017-2018 की तुलना में है.
महाराष्ट्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की राज्यसभा सांसद डॉ फ़ौज़िया ख़ान ने सूचना-प्रसारण मंत्रालय से 'मन की बात' के बारे में कुछ सवाल पूछे थे. उन्होंने 'मन की बात' पर अब तक किए गए ख़र्च, उससे हुई कमाई और लाभ या हानि का वर्षवार ब्यौरा माँगा था.
कार्यक्रम बनाने के ख़र्च पर सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने कहा है, "प्रसार भारती बिना किसी अतिरिक्त ख़र्च के, मौजूदा आंतरिक संसाधनों का लाभ उठाकर ही मन की बात का प्रसारण करता है. मंत्रालय के अनुसार इस कार्यक्रम को बनाने के लिए "इन-हाउस स्टाफ" का ही उपयोग किया जाता है.
कमाई के सवाल पर नव-नियुक्त सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, "इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रेडियो के ज़रिए देश भर की जनता तक पहुँचना है और यह कार्यक्रम प्रत्येक नागरिक को प्रधानमंत्री के रेडियो संबोधन से जुड़ने, सुझाव देने और सहभागी शासन का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करता है."
वर्षवार ब्यौरा
साथ ही, अलग-अलग वर्षों में इस कार्यक्रम से जो राजस्व आया उसका ब्यौरा एक टेबल के माध्यम से दिया गया है.
इस ब्यौरे के अनुसार साल 2014-15 में मन की बात ने 1.16 करोड़ रुपए का राजस्व कमाया. मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद अक्टूबर महीने में की गई थी.
2015-16 में मन की बात से आने वाला राजस्व बढ़कर 2.81 करोड़ रुपए हो गया और 2016-17 में इसमें और बढ़ोतरी आई जब ये राजस्व 5.14 करोड़ रुपए से भी ज़्यादा हो गया.
इस संबोधन से प्रसार भारती को होने वाली कमाई में सबसे बड़ा उछाल 2017-18 में आया जब, यह रकम बढ़कर 10.64 करोड़ रुपए हो गई.
अगले साल 2018-19 में ये घटकर 7.47 करोड़ रुपए रह गया और 2019-20 में ये घटते-घटते 2.56 करोड़ रुपए तक आ गया.
आखिरकार 2020-21 में मन की बात से प्रसार भारती की आय मात्र 1.02 करोड़ रुपए रह गई.
विपक्षी सांसद के सवाल के जवाब में ये आँकड़े देने के साथ अनुराग ठाकुर ने यह दोहराया कि "माननीय प्रधानमंत्री के 'मन की बात' कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दिन-प्रतिदिन शासन के मुद्दों पर नागरिकों के साथ संवाद स्थापित करना है".
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क्या कहना है प्रसार भारती का?
बीबीसी ने प्रसार भारती से इस मसले पर सवाल पूछे, प्रसार भारती के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया, "मन की बात से आय उन विज्ञापनों से होती है जो प्रसारण शुरू होने से पहले और प्रसारण समाप्त होने के बाद प्रसारित होते हैं."
प्रसार भारती के अधिकारी भी वही कहते हैं जो सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद में कहा, "मन की बात का प्राथमिक उद्देश्य पैसे कमाना नहीं है" और कार्यक्रम का फोकस जनता और राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर नागरिक जुड़ाव है.
साथ ही, उन्होंने कहा कि ऑडियंस प्रोफाइल और मन की बात के उद्देश्य को देखते हुए वाणिज्यिक विज्ञापन के बजाय डीडी/एआईआर की सोशल मैसेजिंग पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है.
बीबीसी ने प्रसार भारती से यह भी पूछा कि विज्ञापनों में आई इस भारी गिरावट को किस तरह देखा जाना चाहिए.
इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि मन की बात को निजी टीवी चैनल, निजी एफ़एम स्टेशन और डिज़िटल प्लेटफॉर्म और यूट्यूब चैनल बड़े पैमाने पर प्रसारित करते हैं, इसलिए दूरदर्शन और आकाशवाणी पर मन की बात पर विज्ञापन खर्च टीवी, रेडियो और डिज़िटल जगत में 'मन की बात' पर होने वाले कुल विज्ञापनों का एक अंश मात्र है इसलिए अकेले दूरदर्शन या आकाशवाणी के विज्ञापन डेटा के आधार पर कोई निष्कर्ष निकालना ग़लत होगा."
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घटती लोकप्रियता का संकेत?
ये पूछे जाने पर कि क्या घटते राजस्व को घटती लोकप्रियता का संकेत नहीं माना जाना चाहिए, प्रसार भारती के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि ऐसा नहीं है, बल्कि "इसके विपरीत मन की बात के दर्शकों की संख्या में लगातार और पर्याप्त वृद्धि हुई है."
सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने संसद को अपने जवाब में कहा है कि भारत के सबसे लोकप्रिय टेलीवाइज़्ड रेडियो कार्यक्रम के रूप में 'मन की बात' के दर्शकों की पर्याप्त संख्या है, ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के आंकड़ों के अनुसार इस कार्यक्रम की 2018 से 2020 की अवधि में लगभग 6 करोड़ से 14.35 करोड़ लोगों तक अनुमानित पहुँच थी.
सरकार साफ़ तौर पर कहती है कि 'मन की बात' का मकसद राजस्व की कमाई करना नहीं है लेकिन गिरावट के कारण फिर भी स्पष्ट नहीं हैं.
जवाहर सरकार 2012 से 2016 तक प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रह चुके हैं.
2017 में अपना कार्यकाल ख़त्म होने से कुछ महीने पहले ही उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था. उन्हें मोदी सरकार के आलोचक के रूप में भी देखा जाता है. जब मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी तो वही प्रसार भारती के सीईओ थे.
https://www.youtube.com/watch?v=DzLCZhjuVlU&t=2s
वे कहते हैं, "विज्ञापनों और दर्शकों की अनुमानित संख्या के बीच सीधा संबंध है. मन की बात के कुछ एपिसोड्स पर सोशल मीडिया में नकारात्मक प्रतिक्रिया आई थी और शो को सुनने वालों की संख्या में कमी आई है. ज़ाहिर है, विज्ञापनदाता अपना पैसा तभी लगाते हैं जब उन्हें लगता हो कि उनकी बात अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचेगी."
वे कहते हैं कि जब इस कार्यक्रम के प्रसारण के बाद सोशल मीडिया पर एक-दो बार खूब हंगामा हुआ तो देखा गया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कही गई बातें, उनके समर्थन में कही गई बातों से अधिक थीं.
जवाहर सरकार के अनुसार इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. वे कहते हैं कि हालांकि, रेडियो के श्रोताओं की संख्या का सही विश्लेषण मुश्किल हो सकता है लेकिन विज्ञापनदाता सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया का विश्लेषण कर सकते हैं.
'मन की बात' का अब तक का सफ़र
हर महीने के अंतिम रविवार सुबह 11 बजे आकाशवाणी और डीडी चैनलों पर प्रसारित होने वाले 'मन की बात' कार्यक्रम के अब तक 78 एपिसोड प्रसारित किए जा चुके है. प्रसार भारती अपने आकाशवाणी नेटवर्क पर इस कार्यक्रम को 23 भाषाओं और 29 बोलियों में प्रसारित करता है.
इसके अलावा, प्रसार भारती अपने विभिन्न डीडी चैनलों पर इस कार्यक्रम के दृश्य संस्करणों को हिंदी और अन्य भाषाओं में भी प्रसारित करता है.
सूचना-प्रसारण मंत्रालय के अनुसार आकाशवाणी और दूरदर्शन के अलावा यह कार्यक्रम देश भर में केबल और डीटीएच प्लेटफार्मों पर लगभग 91 निजी उपग्रह टीवी चैनलों पर भी प्रसारित किया जाता है.
साथ ही, यह कार्यक्रम "एंड्रॉइड" और "आईओएस" मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए "न्यूज़ऑनएयर" ऐप के माध्यम से और प्रसार भारती के विभिन्न यूट्यूब चैनलों पर भी उपलब्ध कराया जा रहा है.
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