National Press Day: पीएम मोदी, स्मृति ईरानी ने मीडिया को दी बधाई, स्वतंत्र प्रेस पर कही ये बात
आज राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने मीडिया को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर मीडिया को बधाई देते हुए लिखा कि मीडिया काम बेजुबानों को जबान देना है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, सुरेश प्रभु ने भी मीडिया को बधाई दी।
नई दिल्ली। आज राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने मीडिया को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर मीडिया को बधाई देते हुए लिखा कि मीडिया काम बेजुबानों को जबान देना है। 'राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर मीडिया के मेरे सभी मित्रों को बधाई। मीडिया में हर कोई दिन-रात मेहनत कर दुनिया के कोने-कोने से खबरें लाता है। पिछले तीन सालों में मीडिया ने स्वच्छ भारत अभियान में भी अपना सहयोग दिया है और इस संदेश को आगे बढ़ाने में मदद की है।'
हाल ही में आसियान शिखर सम्मेलन से लौटे प्रधानमंत्री ने कहा कि, 'एक स्वतंत्र प्रेस एक जीवंत लोकतंत्र की आधारशिला है। हम सभी प्रकारों में प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। 125 करोड़ भारतीयों की कौशल, ताकत और रचनात्मकता दिखाने के लिए हमारी मीडिया का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जा सकता है।'
वहीं सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, 'राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर सभी मीडिया कर्मियों को शुभकामनाएं। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाने जाने वाले, एक जीवंत प्रेस हमारी लोकतांत्रिक जड़ों को मजबूत करने में सहायक है। आइए हम खुद को प्रेस की स्वतंत्रता और निष्पक्ष रूप से उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध करें।' इसके अलावा केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, राज्यवर्धन सिंह राथौड़, मनोज सिन्हा, डॉ. महेश शर्मा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मीडिया को बधाई दी।
16 नवंबर को हर साल राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बनाए गए प्रेस परिषद ने इसी दिन 1966 में अपना काम शुरू किया था। इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज कलम की ताकत पहले के मुकाबले काफी मजबूत है। भारत में मीडिया को लोकतंत्र का चौधा स्तंभ कहा गया है। इसी से मालूम चलता है कि एक लोकतांत्रिक देश में मीडिया की कितनी अहमियत है।
आज भले ही देश में सेंसरशिप का माहौल हो लेकिन फिर भी मीडिया अपनी बात पर डटकर खड़ा है। जन-जन की आवाज को मंच देने में मीडिया का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। फिर चाहे 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप के आक्रोश को आंदोलन में तब्दील करना हो या मालूम प्रद्युम्न को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ना हो। मीडिया आज भी उतना ही स्वतंत्र और मजबूत है, जितना पहले थे।
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