बालासाहेब विखे की बायोग्राफी विमोचन पर पीएम मोदी ने कोरोना पर चेताया, 'जब-तक दवाई नहीं, तब-तक ढिलाई नहीं'
PM Narendra Modi On Autobiography Of Balasaheb Vikhe Patil Releases covid-19
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए डॉ. बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा का विमोचन मंगलवार (13 अक्टूबर) को किया है। (Autobiography Of Dr Balasaheb Vikhe Patil) इस मौके पर पीएम मोदी ने प्रवर रूरल एजुकेशन सोसाइटी का नाम बदलकर 'लोकनेते डॉ. बालासाहेब विखे पाटिल प्रवर रूरल एजुकेशन सोसाइटी' रखा है। पीएम नरेंद्र मोदी इस मौके पर कहा, डॉक्टर बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा का विमोचन भले आज हुआ हो लेकिन उनके जीवन की कथाएं आपको महाराष्ट्र के हर क्षेत्र में मिलेंगी।
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पीएम मोदी ने कहा- कोरोना को लेकर लापरवाही ना बरतें
पीएम नरेंद्र मोदी इस दौरान कोरोना वायरस को लेकर भी चेताया है। पीएम मोदी ने कहा, जब-तक दवाई नहीं, तब-तक ढिलाई नहीं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, कोरोना वायरस का खतरा अभी भी कायम है। महाराष्ट्र में स्थिति थोड़ी और चिंताजनक है। मैं सभी से अपील करता हूं कि जब मास्क पहनना और सामाजिक दूरियां बढ़ानी हों तो लापरवाही ना बरतें। एक बात याद रखिए, जब-तक दवाई नहीं, तब-तक ढिलाई नहीं।
पीएम मोदी ने कहा, गांव गरीब के विकास के लिए, शिक्षा के लिए, उनका योगदान हो, महाराष्ट्र में कॉपरेटिव की सफलता का उनका प्रयास हो, ये आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देगा, इसलिए बालासाहेब वीखे पाटिल के जीवन पर ये किताब हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
पीएम मोदी ने बालासाहेब विखे पाटिल को लेकर क्या-क्या कहा?
पीएम मोदी ने कहा, गांवों की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था में माइक्रो फाइनेंस का विशेष रोल है। मुद्रा जैसी योजना से गांव में स्वरोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं। यही नहीं बीते सालों में देश में सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी करीब 7 करोड़ बहनों को 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक का ऋण दिया गया है।
पीएम नरेंद्र मोदी बोले, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत महाराष्ट्र में बरसों से लटकी 26 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तेजी से काम किया गया। इनमें से 9 योजनाएं अब तक पूरी हो चुकी हैं। इनके पूरा होने से करीब-करीब 5 लाख हेक्टेयर ज़मीन को सिंचाई की सुविधा मिली है।
पीएम मोदी ने कहा, गांवों की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था में माइक्रो फाइनेंस का विशेष रोल है। मुद्रा जैसी योजना से गांव में स्वरोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं। यही नहीं बीते सालों में देश में सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी करीब 7 करोड़ बहनों को 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक का ऋण दिया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, व्यक्ति कितना ही पढ़ा-लिखा क्यों न हो, अगर उसमें खेती का कौशल नहीं हो तो वो कभी खेती नहीं कर पाएगा, जब ऐसी बात है तो हमें खेती को एंटरप्राइज क्यों नहीं कहते? बालासाहेब विखे पाटिल जी के मन में ये प्रश्न ऐसे ही नहीं आया। ज़मीन पर उन्होंने जो अनुभव किया, उसके आधार पर ये बात कही।