गलवान में घायल हुए जवानों से मिले पीएम मोदी, बोले- पूरी दुनिया में गया आपके पराक्रम का संदेश
नई दिल्ली: सीमा विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह अचानक लेह पहुंचे। इस दौरान उन्होंने वहां पर सेना के उच्च अधिकारियों से जमीनी हालात की जानकारी ली। पीएम मोदी के साथ सीडीएस बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल नरवणे भी मौजूद थे। इसके बाद पीएम मोदी ने 15-16 जून की रात गलवान घाटी में हुई झड़प में घायल हुए जवानों से मुलाकात की, साथ ही उनके जल्द स्वस्थ होने की कमान की। पीएम मोदी ने जवानों के परिवार वालों की भी तारीफ की, जिन्होंने देश के लिए अपने वीर सपूतों को भेजा है।
जवानों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 130 करोड़ देशवासी आपके प्रति गौरव का अनुभव करते हैं। आपका साहस और शौर्य हमारी पूरी नई पीढ़ी को प्रेरणा देता है। साथ ही आपके पराक्रम का संदेश पूरी दुनिया को जाता है। पीएम मोदी ने कहा कि आपके पराक्रम को देखकर दुनिया ये जानने की कोशिश करती है कि आखिर ये जवान हैं कौन, इनकी ट्रेनिंग कैसे होती है। आज पूरा विश्व आपके पराक्रम का एनालिसिस कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि आपको देखकर मुझे भी एक ऊर्जा मिलती है।
#WATCH: Earlier today, Prime Minister Narendra Modi met soldiers who were injured in #GalwanValleyClash of June 15; delivered a message to the soldiers https://t.co/kz9ugwze54
— ANI (@ANI) July 3, 2020
पीएम मोदी के लद्दाख दौरे से चीन तिलमिलाया, कहा-तनाव बढ़ाने वाला कोई कदम न उठाएं
बिना
नाम
लिए
चीन
को
संदेश
बिना
नाम
लिए
चीन
को
जवाब
देते
हुए
पीएम
मोदी
ने
कहा
कि
हम
दुनिया
की
किसी
भी
ताकत
के
सामने
न
कभी
झूके
हैं
और
न
कभी
झूकेंगे।
उन्होंने
कहा
कि
ये
बात
मैं
इसलिए
बोल
पा
रहा
हूं
क्योंकि
आपके
जैसी
पराक्रमी
हमारी
सेना
में
हैं।
मैं
आपको
प्रणाम
करता
हूं
और
आपको
जन्म
देने
वाली
माताओं
को
भी
शत्-शत्
नमन
करता
हूं,
जिन्होंने
आपको
पाला-पोसा
और
देश
को
दे
दिया।
कुछ देशों की नीतियों ने भंग की शांति
इससे पहले निमू में सेना के जवानों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'हम वही लोग हैं जो भगवान कृष्ण की बांसुरी को पसंद करते हैं लेकिन हम उन्हीं भगवान कृष्ण को भी पूजते हैं, जिनके हाथ में सुदर्शन चक्र होता हैं।' पीएम मोदी ने चीन को चैलेंज देते हुए कहा कि अब विस्तारवाद का दौर खत्म हो चुका है। यह समय विकास का समय है, न कि विस्तार का। कुछ देशों की विस्तारवाद नीतियों ने दुनिया की शांति को भंग कर दिया है, लेकिन इतिहास गवाह है कि विस्तारवादी ताकतों को या तो पराजय का मुंह देखना पड़ा है या फिर उन्हें पीछे जाना पड़ा है।