प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिलाधिकारियों से की बात, बोले- हर जिले को दूसरे की सफलता से सीखने की जरूरत
, बोले- हर जिले को दूसरे की सफलता से सीखने की जरूरत
नई दिल्ली, 22 जनवरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश के कई जिलों के जिलाधिकारियों (डीएम) के साथ बातचीत की। पीएम मोदी और जिलाधिकारियों के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए। पीएम मोदी ने इस दौरान जिलाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हर जिले को दूसरे की सफलता से सीखने और उसकी चुनौतियों का अध्ययन करने की जरूरत है।
आकांक्षी जिले आगे बढ़ने के अवरोध को समाप्त कर रहे
प्रधानमंत्री मोदी ने जिलाधिकारियों से कहा, आज आकांक्षी जिले देश के आगे बढ़ने के अवरोध को समाप्त कर रहे हैं। आप सबके प्रयासों से आकांक्षी जिले आज गतिरोधक के बजाय गतिवर्धक बन रहे हैं। जो जिले पहले कभी तेज प्रगति करने वाले माने जाते थे,आज कई पैमानों में ये आकांक्षी जिले भी अच्छा काम करके दिखा रहे हैं। आज हम देश के आकांक्षी जिलों में यही इतिहास बनते हुए देख रहे हैं।
पीएम ने कहा, पिछले 4 सालों में देश के लगभग हर आकांक्षी जिले में जन-धन खातों में 4 से 5 गुना की वृद्धि हुई है। लगभग हर परिवार को शौचालय मिला है, हर गांव तक बिजली पहुंची है और बिजली सिर्फ गरीब के घर में नहीं पहुंची है बल्कि लोगों के जीवन में ऊर्जा का संचार हुआ है। आकांक्षी जिलों में जो लोग रहते हैं, उनमें आगे बढ़ने की तड़प होती है। इन लोगों ने अपने जीवन का अधिकतर समय अभावों में, मुश्किलों में गुजारा है। हर छोटी-छोटी चीजों के लिए उन्होंने परिश्रम किया है इसलिए वो लोग साहस दिखाने के लिए और रिस्क उठाने के लिए तैयार होते हैं।
142 जिलों की एक लिस्ट तैयार की गई है
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डिजिटल इंडिया के रूप में देश एक मौन क्रांति का साक्षी बन रहा है। हमारा कोई भी जिला इसमें पीछे नहीं छूटना चाहिए। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर हमारे हर गांव तक पहुंचे, सेवाओं और सुविधाओं की डोर स्टेप डिलिवरी का जरिया बने, ये बहुत जरूरी है। सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों ने, अलग-अलग विभागों ने ऐसे 142 जिलों की एक लिस्ट तैयार की है। जिन एक-दो पैरामीटर्स पर ये अलग-अलग 142 जिले पीछे हैं, अब वहां पर भी हमें उसी कलेक्टिव अप्रोच के साथ काम करना है, जैसे हम आकांक्षी जिलों में करते हैं।
पढ़ें-
दो
बेडरूम
फ्लैट
में
रहते
हैं
रतन
टाटा
के
छोटे
भाई
जिमी
टाटा,
मोबाइल
तक
नहीं
रखते